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अमेरिका-चीन के टैरिफ झगड़े से भारतीय कंपनियों को फायदा? घबराहट में हैं चीनी कंपनियां, दाम घटाने को मजबूर

US-China Tariff विवाद से दुनिया भर के निवेशक परेशान हैं. लेकिन इससे भारतीय कंपनियों को फायदा हो सकता है. भारी टैरिफ के कारण, अमेरिका में चीनी सामानों की कीमत बढ़ेगी. जिस वजह से वहां डिमांड में कमी आ सकती है.

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ट्रंप ने चीन पर 125 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है. (सांकेतिक तस्वीर: इंडिया टुडे)

अमेरिका और चीन के बीच चल रहे टैरिफ विवाद (US China Tariff War) के बीच, भारतीय कंपनियों के लिए राहत की खबर आई है. रिपोर्ट है कि चीन की कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों की निर्माता कंपनियां इस विवाद से घबरा गई हैं. नए सिरे से कॉन्ट्रैक्ट करने के लिए, वो भारतीय कंपनियों को 5 प्रतिशत तक की छूट देने की पेशकश कर रही हैं. 

इकोनॉमिक टाइम्स ने 10 अप्रैल को इस जानकारी को रिपोर्ट किया है. ये भारतीय कंपनियों के लिए एक बड़ी राहत हो सकती है. क्योंकि इस क्षेत्र में चार से सात प्रतिशत के मामूली मार्जिन पर काम होता है. फ्रिज, टीवी और स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों का मानना है कि इससे डिमांड को बढ़ाया जा सकता है. दाम कम करने से उपभोक्ताओं पर बोझ कम होगा और इससे कंपनियों की बचत भी दो से तीन प्रतिशत तक बढ़ सकती है. औसतन, भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों में इस्तेमाल होने वाले पार्ट्स का लगभग तीन-चौथाई हिस्सा चीन से आयात होता है.

परेशानी में हैं निवेशक

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को करीब 100 देशों पर टैरिफ लगाया. चीन को लेकर अतिरिक्त सख्ती बरती. इसके बाद से जो स्थिति बनी है, वो ग्लोबल ट्रेड के लिए चिंताजनक है. ट्रंप के टैरिफ पर जवाबी कार्रवाई करते हुए चीन ने अमेरिका पर 34 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया. बात यहीं नहीं रुकी. इस जवाबी फैसले से ट्रंप नाराज हो गए. पलटकर उन्होंने चीन पर टैरिफ बढ़ाकर 104 प्रतिशत कर दिया. चीन भी चुप नहीं बैठा. उसने भी अमेरिकी आयातों पर टैरिफ बढ़ाकर 84 प्रतिशत कर दिया.

इसके बाद 9 अप्रैल को ट्रंप ने चीन पर 104 प्रतिशत के टैरिफ को बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर दिया. साथ ही, जो देश जवाबी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, 90 दिनों के लिए उन पर लगे टैरिफ पर रोक लगा दी.

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भारतीय कंपनियों के लिए फायदे की स्थिति

इन फैसले से दुनिया भर के निवेशक परेशान हैं. एक्सपर्ट्स का ये भी मानना है कि अमेरिका बनाम चीन टैरिफ विवाद से भारतीय कंपनियों को लाभ हो सकता है. भारी टैरिफ के कारण, अमेरिका में चीनी सामानों की कीमत बढ़ेगी. इसके कारण वहां डिमांड में कमी आएगी. चीनी कंपनियों पर दबाव बनेगा कि वो भारत में अपना सामान बेचने के लिए कीमतें घटाएं.

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