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'मैं अभी तक जीवित हूं...भविष्य का पता नहीं', रूसी सेना में शामिल भारतीय जवान की भावुक अपील

Bengal के कलिम्पोंग के रहने वाले उर्गेन तमांग के मित्र और परिवारवालों ने भारत सरकार और रूसी राष्ट्रपति पुतिन को पत्र लिखकर उनकी मदद की अपील की है. उर्गेन को कथित तौर पर नौकरी का झांसा देकर रूसी सेना में शामिल किया गया था.

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रूसी सेना में शामिल भारतीय सैनिक ने मदद की गुहार लगाई है. (इंडिया टुडे)

कथित तौर पर धोखे से रूसी सेना में भर्ती एक पूर्व भारतीय जवान ने मोदी सरकार से स्वदेश वापसी में मदद की अपील की है. उन्होंने एक वीडियो जारी कर सरकार से मदद की गुहार लगाई है. पश्चिम बंगाल के रहने वाले उर्गेन तमांग को एजेंटों ने रूस में सुरक्षा गार्ड की नौकरी दिलाने का झांसा दिया. लेकिन वहां पहुंचने पर उन्हें यूक्रेन के साथ युद्ध के मोर्चे पर भेज दिया गया. उर्गेन के मित्र और परिवारवालों ने उनकी ओऱ से रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भी पत्र लिखा है. और उनकी स्थिति बताकर मदद मांगी है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उर्गेन ने बंगाल के कलिम्पोंग नगर पालिका के चेयरमैन रबी प्रधान के जरिए पहले भी वीडियो जारी किया है. और भारतीय अधिकारियों से मदद मांगी है. 21 जुलाई को भेजे गए  नए वीडियो में उन्होंने कहा, 

मैंने कई बार भारत सरकार से खुद को बचाने की अपील की है. मैं अभी तक जिंदा हूं. लेकिन मुझे नहीं पता कि भविष्य में क्या होगा. हालांकि, मुझे और दूसरे भारतीयों को उम्मीद है कि हम वापस घर जाएंगे. हम सभी भारतीय भारत सरकार से अपील करते हैं कि हमें जल्द से जल्द घर वापस लाया जाया. जब तक मैं जिंदा हूं,  उम्मीद बंधी है.

इुस महीने की शुरुआत में नरेंद्र मोदी और पुतिन के बीच मॉस्को में हुई बैठक में युद्ध में शामिल भारतीयों की वापसी पर चर्चा हुई थी.

23 जुलाई को रबी प्रधान ने उर्गेन की ओर से दिल्ली स्थित रूसी दूतावास के माध्यम से पुतिन को एक पत्र भेजा. जिसमें उन्होंने लिखा,

मेरा नाम उर्गेन तमांग है. मैं भारत से हूं. मैं भारतीय सेना का रिटायर्ड सैनिक हूं. मुझको गुमराह करके इस साल 3 मार्च को रूसी सेना में भर्ती किया गया था.

पत्र में यह भी कहा गया है कि उर्गेन को युद्ध के अग्रिम मोर्चे पर भेजा गया था. इसमें आगे लिखा है, 

कृपया मेरी मदद करें. मेरी पिता की तबीयत खराब है. मैं आपसे जल्द से जल्द मुझे वापस भेजने का अनुरोध करता हूं. हम आपकी मदद और समर्थन के लिए बहुत आभारी रहेंगे.

रबी प्रधान ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया कि हम उसके बचाव के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं.हमने 21 जुलाई को रूसी दूतावास के माध्यम से रूसी राष्ट्रपति को एक पत्र भेजा है. मैंने अपने दोस्त से उस पत्र को रूसी भाषा में अनुवाद करवाकर भेजा है. साथ में सभी डॉक्यूमेंट्स भी अटैच कर दिया है.

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प्रधान ने 19 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ममता बनर्जी को पत्र लिखकर उर्गेन को बचाने की अपील की थी. इस पत्र में उन्होंने लिखा कि प्रधानमंत्री ने पुतिन के साथ अपनी बैठक में रूस में लड़ रहे भारतीयों का मुद्दा उठाया था. लेकिन अब तक हमें कोई पॉजिटिव रिस्पॉन्स नहीं मिला है. उन्होंने आगे लिखा कि कृपया मामले पर विचार करें. और जल्द से जल्द आवश्यक कार्रवाई करें.

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