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पिता पान की दुकान चलाते हैं, बिटिया SDM बनी, 21वीं रैंक लाकर नाम रौशन किया!

पैसों की दिक्कत थी, भाई ने पढ़ाई छोड़ी. पिता ने बेटी का साथ नहीं छोड़ा...

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पान वाले कि बेटी बनी SDM, UPPCS में 21वीं रैंक (फोटो- आजतक)

पान की दुकान चलाने वाले शख्स की बेटी SDM बन गई है (Paan Seller Daughter SDM UPPSC Jyoti Chaurasiya). उत्तर प्रेदश के PCS एग्जाम में ज्योति चौरसिया ने 21वीं रैंक हासिल की है. परिवार खराब आर्थिक स्थिति से जूझता रहा और ज्योति को खूब सपोर्ट करता रहा. बड़ा भाई अपनी पढ़ाई छोड़कर दुकान संभालने लगा. हेल्थ प्रॉबलम आईं. पांच बार एग्जाम में फेल भी हुईं. लेकिन ज्योति का मोटिवेशन कभी कम नहीं हुआ.

ज्योति चौरसिया मूल रूप से उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले की हैं. उनका परिवार गोंडा में शिफ्ट हो गया था. यहीं ज्योति की स्कूली पढ़ाई पूरी हुई. श्री रघुकुल महिला विद्यापीठ से साइंस में ग्रेजुएशन के बाद ज्योति PCS की तैयारी करने लखनऊ चली गईं. लेकिन ये सफर आसान नहीं रहा.

आजतक के साथ बातचीत में ज्योति ने बताया,

घर की कंडीशन ऐसी थी कि भैय्या को पढ़ाई छोड़कर दुकान पर बैठना पड़ा. मैं 2015 से लगी हुई थी लेकिन एक बार भी प्री क्वालिफाई नहीं कर पाई. तब भी मेरे घरवाले मुझे मोटिवेट करते रहे. उन्होंने मुझे हार नहीं मानने दी. बीच में कुछ हेल्थ प्रॉब्लम भी हुईं. ये मेरा छठवां अटेंप्ट था और इसमें पहली बार मैंने प्री क्वालिफाई किया. मेन्स क्लियर हुआ और फिर मैं इंटरव्यू तक पहुंची. अब मेरा सलेक्शन हो गया है. मुझे ऐसी जॉब करनी थी, जहां मैं समाज के लिए काम कर सकूं. 

ज्योति से रिपोर्टर्स ने जब पूछा कि उन्हें सिविल सेवा में जाने की इंस्पिरेशन कहां से मिली तो ज्योति ने बताया,

मेरे ग्रेजुएशन के टाइम पर गोंडा में डीएम रोशन जैकब मैम की पोस्टिंग थी. तब मैं उनसे बहुत प्रेरित हुई थी. उन्हें देखकर मैंने ठान लिया था कि मुझे भी यही काम करना है. विवेकानंद ने कहा है- उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक अपने लक्ष्य को ना प्राप्त कर सको.

ज्योति के पिता हेमचंद चौरसिया बताते हैं,

काम नहीं मिलने के चलते 1997 में मैंने पान की दुकान खोली थी. खराब आर्थिक स्थिति के चलते मैं अपने बेटे को ज्यादा नहीं पढ़ा पाया. वो मेरे साथ दुकान पर बैठने लगा. बेटी पढ़ने में अच्छी थी तो उसे आगे पढ़ाया. जब उसने बताया कि वो सिविल की तैयारी करना चाहती है तो हमने उसे सपोर्ट किया. लोग कहते थे कि बेटा, माता-पिता का कर्ज नहीं चुका पा रहा है. लेकिन आज मैं कहता हूं कि हमारा कर्ज बेटी ने अदा कर दिया.

हेमचंद कहते हैं कि बेटी ने उनका सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है. 

UPPSC में 21वीं रैंक लाकर ज्योति वापस गोंडा पहुंची तो परिजन और मोहल्ले वालों ने उनका धूमधाम से स्वागत किया. आरती उतारी गई. मालाएं पहनाई गईं. ज्योति को बधाई देने के लिए लोग दूर दूर से आ रहे हैं.

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