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कांवड़ यात्रा के रास्ते की दुकानों पर मालिक का नाम क्यों? पुलिस ने ये तर्क दिया है

Kanwar Yatra के मद्देनजर यूपी के मुजफ्फरनगर में पुलिस ने निर्देश जारी किया था कि यात्रा के रूट पर बनी दुकानों, ढाबों और ठेलों पर विक्रेता या मालिक का नाम लिखा जाए. इसे लेकर काफ़ी विवाद हो रहा है.

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सहारनपुर DIG अजय कुमार साहनी ने कहा कि पहले कई बार रेट और धर्म को लेकर कांवड़ियों में लड़ाई हुई है. (फ़ोटो/ANI)

उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) शुरू होने से पहले मुजफ्फरनगर में पुलिस ने निर्देश जारी किया कि यात्रा के रूट पर पड़ने वाली दुकानों, ढाबों और ठेलों पर विक्रेता का नाम लिखना जरूरी होगा. इसे लेकर काफ़ी विवाद हुआ. जिसके बाद पुलिस ने एक और निर्देश जारी कर बताया कि होटल, ढाबों के मालिक अपनी 'इच्छा' से अपना नाम और रेट कार्ड दुकान के बाहर लगा सकते हैं. अब इस पर सहारनपुर DIG अजय कुमार साहनी का बयान भी सामने आया है. उन्होंने कहा कि पहले कई बार रेट और धर्म को लेकर कांवड़ियों में लड़ाई हुई है. जिसे देखते हुए ये फैसला लिया गया था.

सहारनपुर DIG अजय कुमार साहनी ने न्यूज़ एजेंसी ANI से कहा,

“कांवड़ में जब भी कांवड़िए आते हैं तो कई बार ऐसे मामले आए हैं, जहां रेट को लेकर होटल और ढाबों वालों के बीच लड़ाई होती थी. इसके अलावा कई ऐसे मुद्दे उठे हैं, जैसे नॉनवेज किसी दुकान पर है, या कोई अन्य धर्म का व्यक्ति, किसी अन्य संप्रदाय के व्यक्ति ने किसी अलग नाम से होटल या ढाबा खोला हुआ है. इसे लेकर लोगों में आपस में हमेशा दिक्कतें आती रही हैं. इसे देखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि दुकान, होटल और ढाबों पर मालिक का नाम बड़े-बड़े अक्षरों में लिखना है. दुकानों पर रेट लिस्ट लगाई जाए. साथ ही वहां जो काम करते हों उनका नाम भी लिखा हो. ताकि किसी प्रकार की कोई भी समस्या ना हो."

DIG साहनी ने आगे कहा,

"जो भी व्यक्ति वहां खाने-पीने जाए तो उसके सामने सबकी पहचान सुनिश्चित हो. इससे कोई व्यक्ति जानबूझकर विवाद पैदा नहीं कर सकता है. कोई अपना नाम छिपाकर लोगों को भ्रमित नहीं कर सकता है. हमने सबसे बातचीत की थी. होटल ढाबों वालों की सहमति भी बन गई थी.”

अजय कुमार साहनी ने आगे कहा कि यह निर्देश सिर्फ कांवड़ मार्ग के लिए ही बनाया गया था.

क्या मामला था?

दरअसल, मुजफ्फरनगर के SSP अभिषेक सिंह का एक बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इसमें वो कहते हैं,

“कांवड़ यात्रा की तैयारियां शुरू हो गई हैं. हमारे जनपद में लगभग 240 किलोमीटर का रूट है. इसमें खाने-पीने की दुकानें, होटल, ढाबे और ठेले हैं, जहां से भी कांवड़िए खाने-पीने का सामान खरीद सकते हैं, उनको निर्देश दिया गया कि अपने प्रोपराइटर और मालिक का नाम बोर्ड पर जरूर लिखें. यह निर्देश इसलिए जरूरी है जिससे किसी भी कांवड़िए के मन में कोई कंफ्यूजन ना हो, बाद में कोई आरोप-प्रत्यारोप ना हो और कानून व्यवस्था की स्थिति बनी रही. सब अपने मन से इसका पालन कर रहे हैं.”

इस आदेश को  लेकर विपक्षी दलों के नेताओं ने नाराजगी जाहिर की है. असदुद्दीन ओवैसी ने आदेश को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा,

“उत्तर प्रदेश पुलिस के आदेश के अनुसार अब हर खाने वाली दुकान या ठेले के मालिक को अपना नाम बोर्ड पर लगाना होगा ताकि कोई कावड़िया गलती से मुसलमान की दुकान से कुछ न खरीद ले. इसे दक्षिण अफ्रीका में अपारथाइड कहा जाता था और हिटलर की जर्मनी में इसका नाम 'Judenboycott' था.”

सपा नेता अखिलेश यादव ने लिखा, 

"…और जिसका नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फत्ते है, उसके नाम से क्या पता चलेगा? 
माननीय न्यायालय स्वत: संज्ञान ले और ऐसे प्रशासन के पीछे के शासन तक की मंशा की जांच करवाकर, उचित दंडात्मक कार्रवाई करे. ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं, जो सौहार्द के शांतिपूर्ण वातावरण को बिगाड़ना चाहते हैं. " 

नया निर्देश क्या? 

विवाद होने पर मुजफ्फरनगर पुलिस ने एक नया निर्देश जारी किया. जिसमें कहा गया कि दुकानदार अपनी इच्छा से नाम लिख सकते हैं.

विवाद होने पर मुजफ्फरनगर पुलिस ने एक नया निर्देश जारी किया.
विवाद होने पर मुजफ्फरनगर पुलिस ने एक नया निर्देश जारी किया. 

इस बीच पुलिस के पहले आदेश का पालन होने लग गया था. सड़क किनारे ठेले लगाने वालों समेत खाने-पीने की कई दुकानों के मालिकों ने अपना नाम लिखना शुरू कर दिया था.

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