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डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था, 7 घंटे मोर्चरी में रहने के बाद जिंदा निकला शख्स

मुरादाबाद जिले का मामला.

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मृतक श्रीकेश (बाएं). सीएमएस डॉ शिव सिंह (बीच में). मृतक के जीजा (दाएं)

यूपी का मुरादाबाद जिला. यहां पर एक व्यक्ति को डॉक्टरों ने मृत घोषित करके मोर्चरी में रखवा दिया. व्यक्ति को भोर में चार बजे के करीब मोर्चरी में रखा गया था, लेकिन सुबह 11 बजे देखा गया तो उनकी सांसे चल रही थीं. इसके बाद फौरन वॉर्ड में शिफ्ट किया गया. उनका इलाज शुरू हुआ. हालत गंभीर होने पर मेरठ के मेडिकल कॉलेज में रेफर कर दिया गया. व्यक्ति जिंदा हैं और उनका इलाज चल रहा है.

पूरा मामला क्या है?

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, व्यक्ति का नाम श्रीकेश है. वह नगर निगम में कर्मचारी हैं. गुरुवार 18 नवंबर को दूध लेने के लिए देर रात घर से निकले थे. तभी सड़क पार करते समय श्रीकेश के साथ हादसा हो गया. उन्हें इलाज के लिए तीन अलग-अलग निजी अस्पतालों में ले जाया गया. अंत में डॉक्टरों द्वारा उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. फिर परिजन शव का पोस्टमॉर्टम कराने के लिए देर रात ही जिला अस्पताल लेकर आए. यहां इमरजेंसी में मौजूद डॉक्टर मनोज ने श्रीकेश का चेकअप करके उन्हें मृत घोषित कर दिया. शव को मोर्चरी में भिजवा दिया.

शुक्रवार 19 नवंबर की सुबह 11 बजे जिला अस्पताल की मोर्चरी में हो-हल्ला मच गया, जब पुलिस शव का पंचनामा करने की तैयारी कर रही थी, तभी पता चला कि मृत घोषित किए गए श्रीकेश की सांसें चल रही हैं. इस बात की जानकारी फौरन परिजनों ने जिला अस्पताल में डॉक्टरों को दी. फिर सूचना पर मोर्चरी में पहुंचे डॉक्टर्स ने चेकअप किया और जीवित होने की पुष्टि की. इसके बाद फौरन इलाज शुरू किया गया.

परिजनों का क्या कहना है?

श्रीकेश के जीजा ने मीडिया को बताया कि उनके साले मुरादाबाद नगर निगम में तैनात हैं. उनकी पत्नी एक डेंटल अस्पताल में नौकरी करती हैं. कोई बच्चे नहीं हैं. हादसे की सूचना के बाद उनकी पत्नी ही इलाज के लिए अस्पताल  लेकर पहुंची. वहां इनका सीटी स्कैन हुआ. उन्होंने आगे बताया,

रात 11 बजे मुझे फोन आया कि श्रीकेश का एक्सीडेंट हो गया. मैं तो गाड़ी लेकर आया. यहां आने के बाद देखा तो हॉस्पिटल ब्राइट स्टार में उन्होंने यह कह दिया कि हमारे यहां सुविधा नहीं है, साईं हॉस्पिटल ले जाओ. हम साईं हॉस्पिटल ले गए, एंबुलेंस हमारे पास थी. साईं में डॉक्टरों की टीम आ गई, लेक‍िन उनके यहां वेंटिलेटर नहीं था. हमने कहा क‍ि फिर कहां लेकर जाएं उन्होंने कहा कॉसमॉस ले जाओ. हमने सोचा क‍ि चलो विवेकानंद ले जाएं, विवेकानंद ले गए तो वहां पर इमरजेंसी में डॉक्टर साहब थे, उन्होंने चेकअप किया. ट्रीटमेंट तो नहीं दिया और मशीन लगाकर बोले न तो पल्स है, न बीपी है, फिर बोले यह खत्म हो गए. तब हम ऐसे ही एंबुलेंस लेकर जिला अस्पताल लाए, क्योंकि यह सरकारी है. इमरजेंसी में डॉक्टर साहब थे. पूरा मामला हमने डॉक्टर साहब को बता दिया तो फिर उन्होंने कहा क‍ि बॉडी को मोर्चरी में रखवा दो. फिर हम बॉडी को मोर्चरी में रखवा कर आए.

डॉक्टर का क्या कहना है?

इस मामले में जिला अस्पताल के CMS डॉक्टर शिव सिंह ने बताया कि श्रीकेश नाम के एक व्यक्ति को इलाज के लिए जिला अस्पताल लाया गया था. डॉ. मनोज यादव ने पूरा चेकअप किया था उसके बाद मृत घोषित किया था. इसके बाद ही उसे मोर्चरी में शिफ्ट करवाया गया था. और पुलिस को इन्फॉर्म किया गया था.

CMS ने आगे बताया कि परिजनों का कहना था कि जिला अस्पताल लाने से पहले और कई अस्पतालों में भी श्रीकेश को मृत घोषित कर दिया गया था. ऐसे मामले बहुत रेयर होते हैं. ऐसे मामलों में जब कभी-कभी व्यक्ति को चोट लगती है और उसको दवाइयां दी जाती हैं तो उनका असर बहुत देर बाद देखने को मिलता है. उस समय ऐसा महसूस होता है कि व्यक्ति की मौत हो चुकी है. इस केस में भी यही हुआ है और दवाइयों का असर बहुत देर के बाद हुआ, शायद इसकी वजह से एक बार फिर से उसकी सांस चलने लगी है.