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Budget 2020: निर्मला सीतारमण ने भाषण के दौरान कौन-कौन सी कविताएं सुनाई?

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा बजट था.

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1 फरवरी 2020 को पेश हो रहा है आम बजट.
साल है 2020. माह-ए-फरवरी का पहला दिन. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा बजट. सुबह 10 बजे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में पहुंची. उनके साथ वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर भी थे. दिन के 11 बजे. लोकसभा यानी कि निचला सदन. निर्मला सीतारमण ने अपना बजट भाषण पढ़ना शुरू किया. उन्होंने अपने सरकार की उपलब्धियां गिनवाईं, प्रधानमंत्री को धन्यवाद किया और केंद्रीय बजट 2020 की योजनाएं बतानी शुरू कीं. उससे पहले सीतारमण ने कश्मीरी भाषा की एक कविता सुनाई. कवि का नाम पंडित दीनानाथ कौल नदीम. कश्मीरी कविता सुनाने के बाद उन्होंने उसका हिंदी तर्ज़ुमा भी सुनाया,
हमारा वतन खिलते हुए शालीमार बाग़ जैसा है. हमारा वतन डल झील में खिलते हुए कमल जैसा है, नौजवानों के गरम खून जैसा है, मेरा वतन तेरा वतन, हमारा वतन, दुनिया का सबसे प्यारा वतन है.
दीनानाथ कौल नदीम का जन्म मार्च, 1916 में हुआ था. अक्टूबर 1947 में जब कश्मीर में घुसपैठ हुई, उस वक्त दीनानाथ कौल ने अपने साहित्य से उन्होंने लोगों को जगाने का काम किया था. उसके बाद से वे कश्मीर में साहित्य के सबसे खास चेहरे थे. कश्मीरी साहित्य में उनके योगदान के लिए उन्हें साहित्य अकादमी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. 08 अप्रैल 1988 को उनका निधन हो गया. अपने बजट भाषण के बीच में वित्त मंत्री ने अवयार की एक तमिल सूक्ति सुनाई. 'भूमि थिरुत्ति वूं'. अर्थात, पहले खेती वाली भूमि को पोषित करें. उसके बाद उचित तरीके से फसल उपजाएं. व्यक्ति को भोजन करने से पहले मेहनत करनी चाहिए. अवयार एक पद है. इसमें लगभग छह महिला विद्वानों का ज़िक्र आता है. सबसे पहली अवयार संगम काल में हुईं. संगम काल ईसा पूर्व छठी शताब्दी से ईसा पूर्व पहली शताब्दी तक माना गया है. वित्त मंत्री ने जिन अवयार का नाम लिया. वो लगभग 1200 ईस्वी के दौरान हुईं. अवयार तृतीय. उनकी रचना 'आदिचूड़ि' में ये पंक्ति संकलित है. 'अच्छे देश' के पांच आभूषण निर्मला सीतारमण ने इसके बाद तमिल कवि 'तिरुवल्लुवर' की कविता सुनाई. तिरुवल्लुवर की किताब है तिरुक्कुरल. तिरुक्कुरल का मतलब होता है 'पवित्र लघु काव्य'. उन्होंने एक अच्छे देश के पांच आभूषण गिनाए हैं. ये आभूषण हैं -
स्वास्थ्य अच्छी फसल धन खुशी और सुरक्षा.
ऐसी मान्यता है कि लगभग 2050 साल पहले तिरुवल्लुवर तमिलनाडु में रहा करते थे. उन्होंने तिरुक्कुरल नामक एक पुस्तक लिखी है, जिसमें 133 अध्याय और 1330 छंद हैं. ये पुस्तक नीतिगत शिक्षा का पाठ पढ़ाती है और इसे तमिल भाषाओं के प्रतिष्ठित साहित्य में से एक माना जाता है. सरकार टैक्स क्यों लेती है? ये समझाने के लिए वित्तमंत्री ने अपने भाषण में संस्कृत साहित्य का भी ज़िक्र किया. कालिदास की तीसरी रचना 'रघुवंशम' का. उन्होंने श्लोक सुनाया.
प्रजानामेवभूत्यर्थंसताभ्योबलिमग्रहीत्| सहस्रगुणमुत्स्रुष्टमादत्तेहिरसंरवि:||
हम आपको उसका हिंदी में अर्थ बता देते हैं,
जिस तरह से सूर्य पानी की हजारों बूंदों से थोड़ी-थोड़ी नमीलेता है ताकि उसे हज़ारों गुना वापस कर सके. उसी तरह राजा भी अपनी प्रजा की भलाई के लिए उससे टैक्स लेता है.
रघुवंशम में 'रघुकुल' के राजाओं की कथा है. कालिदास संस्कृत भाषा के महान कवि और नाटककार थे. उन्होंने प्राचीन भारतीय कहानियों और कथाओं को आधार बनाकर साहित्य की रचना की. मेघदूत, ऋतुसंहार, कुमारसंभव उनकी अन्य रचनाओं में गिनी जाती हैं.
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