देश में बेरोजगारी (Unemployment) दर में भारी उछाल देखने को मिला है. अर्थव्यवस्था (Economy) और रोजगार (Employment) पर नजर रखने वाली संस्था सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी यानी CMIE के आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर के महीने में देश में बेरोजगारी दर बढ़कर 7.77 फीसदी पर पहुंच गई है. जबकि सितंबर में बेरोजगारी दर चार साल में सबसे कम 6.43 फीसदी दर्ज की गई थी.
सितंबर में चार साल में सबसे कम थी बेरोजगारी दर, अक्टूबर में बढ़ गई, इतनी नौकरियां घट गईं
CMIE के आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर में बेरोजगारी दर बढ़कर 7.77 फीसदी पर पहुंच गई है.
अगर इन आंकड़ों की तुलना पिछले साल के आंकड़ों से करें, तो भी बेरोगजारी दर में बढ़ोतरी देखने को मिली है. अक्टूबर 2021 में बेरोजगारी दर 7.7 फीसदी रही थी. वहीं अक्टूबर 2020 में बेरोजगारी दर 7 फीसदी दर्ज की गई थी. ये आंकड़े दिखाते हैं कि साल दर साल बेरोजगारी दर में बढ़ोतरी हो रही है.
हरियाणा की बेरोजगारी दर सबसे ज्यादावहीं, राज्यों की बात करें तो बेरोजगारी के मामले में सबसे खराब हालात हरियाणा की है. CMIE के आंकड़ों के मुताबिक, जिन 25 राज्यों की लिस्ट जारी की गई है उनमें से 6 राज्यों में बेरोजगारी दर काफी तेजी से बढ़ी है.
इन 6 राज्यों के आंकड़ों में बेरोजगारी दर 10 फीसदी से भी ज्यादा दर्ज की गई है. इस मामले में हरियाणा 31.8 फीसदी के साथ पहले नंबर पर है. इसके बाद राजस्थान का नंबर आता है. बेरोजगारी दर के मामले में राजस्थान 30.7 फीसदी के साथ दूसरे स्थान पर पहुंच गया है. वहीं जम्मू-कश्मीर तीसरे नंबर पर है, जहां अक्टूबर महीने में 22.4 दर रही.
इसके अलावा झारखंड में 16.5 फीसदी, बिहार में 14.5 फीसदी और त्रिपुरा में 10.5 फीसदी बेरोजगारी दर दर्ज की गई है. वहीं देश के नौ राज्यों में बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत के मुकाबले ज्यादा रही.
CMIE के आंकड़ों के मुताबिक, अक्टबूर में मध्य प्रदेश में सबसे कम 0.9 फीसदी बेरोजगारी दर रही. इसके बाद छत्तीसगढ़ में 0.9 फीसदी, ओडिशा में 1.1 फीसदी और गुजरात में 1.7 फीसदी बेरोजगारी दर दर्ज की गई है. CMIE के अनुसार बेरोजगारी दर के मामले में उत्तर प्रदेश, दिल्ली और उत्तराखंड में हालात कुछ बेहतर हैं. यूपी में बेरोजगारी दर 4.2 फीसदी, दिल्ली में 6.7 फीसदी और उत्तराखंड में 3.4 फीसदी रही है.
वहीं, लेबर पार्टिशिपेशन रेट यानी LPR भी सितंबर के 39.3 फीसदी से कम होकर 39 फीसदी रह गई. एक साल पहले ये दर 37.3 फीसदी थी. CMIE ने कहा कि LPR में लगातार गिरावट गंभीर चिंता का विषय है. इससे पता चलता है कि कम संख्या में ही कामकाजी उम्र की आबादी रोजगार के लिए तैयार है. CMIE ने कहा, ज्यादा बेरोजगारी दर के साथ LPR में गिरावट का मतलब है कि देश में रोजगार के मौके घट रहे हैं. देश में बेरोजगारों की संख्या 56 लाख बढ़ गई है, जबकि 22 लाख लोग लेबर मार्केट से बाहर हो गए.
ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से बढ़ी बेरोजगारी दरइधर अक्तूबर में रोजगार मिलने की दर कम होकर 36% रह गई. इस दौरान कर्मचारियों की संख्या 78 लाख घटकर 39.64 करोड़ रह गई. सितंबर में इनकी संख्या 40.42 करोड़ रही थी. CMIE की रिपोर्ट के मुताबिक शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर में मामूली गिरावट हुई है. ये आंकड़ा 7.77 फीसदी से गिरकर 7.21 फीसदी हो गया है. जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोगजारी में भारी इजाफा देखने को मिला है. इन इलाकों में बेरोजगारी दर 5.84 फीसदी से बढ़कर 8.04 फीसदी हो गई है.
आंकड़ों के मुताबिक, कृषि क्षेत्र में काम करने वालों की संख्या नवंबर, 2021 में 16.4 करोड़ थी. इसके बाद से इसमें लगातार गिरावट आती गई और इस साल सितंबर में यह संख्या घटकर 13.4 करोड़ रह गई. हालांकि, अक्तूबर में कृषि क्षेत्र में रोजगार की संख्या बढ़कर 13.96 करोड़ पहुंच गई. इसके बावजूद पिछले चार साल में अक्तूबर में खेती से जुड़े कामगारों की संख्या सबसे कम है.
CMIE के मुताबिक, इस दौरान सर्विस सेक्टर में 79 लाख रोजगार घट गए. ग्रामीण इलाकों में 46 लाख और शहरी क्षेत्रों में 33 लाख. औद्योगिक क्षेत्रों में कामगारों की संख्या में 53 लाख की कमी आई है. कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में 10 लाख रोजगार घट गए. आपको बता दें इस साल पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2021-2022 में देश की GDP में कृषि की हिस्सेदारी 20.2 फीसदी थी, जो 2020-21 में 18.8 फीसदी दर्ज की गई थी.
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