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लिफ्ट में टकरा गए उद्धव ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस, अब 'ना ना करते प्यार तुम ही से कर बैठे' की चर्चा है

वीडियो वायरल होने के बाद उद्धव ठाकरे ने मज़ाकिया लहजे में कहा कि अब से वह अपनी सभी गुप्त बैठकें लिफ्ट में करेंगे.

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उद्धव ठाकरे और बीजेपी नेता व डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस का बात करते हुए एक वीडियो सामने आया है. (फ़ोटो/आजतक)

‘ना ना करते प्यार तुम ही से कर बैठे’… बहुत पुराना गाना है. लेकिन आज चर्चा में है महाराष्ट्र के दो सबसे बड़े नेताओं की वजह से. शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) और बीजेपी नेता व डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis). दरअसल दोनों का बात करते हुए एक वीडियो सामने आया है. वीडियो में दोनों नेता विधानसभा परिसर के अंदर लिफ्ट का इंतजार करते हुए बातचीत करते नज़र आ रहे हैं. वीडियो वायरल होने के बाद उद्धव ठाकरे ने मज़ाकिया लहजे में कहा कि अब से वह अपनी सभी गुप्त बैठकें लिफ्ट में करेंगे.

इस वीडियो ने सोशल मीडिया पर हंगामा मचा दिया है. लोग पूछ रहे हैं कि ये मुलाकात अचानक हुई या अंदरखाने कुछ चल रहा है. कुछ लोग जानना चाहते हैं कि दोनों नेताओं के बीच क्या बातें हुईं.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताब़िक वीडियो वायरल होने के बाद उद्धव ठाकरे ने कहा कि फडणवीस के साथ उनकी मुलाकात सिर्फ ‘संयोग’ था. यही बताते हुए उन्होंने उस गाने का जिक्र किया, मजाकिया अंदाज में. मीडिया के सवाल पूछने पर उद्धव ने कहा,

"मैं देवेंद्र फडणवीस से लिफ्ट में मिला था. यह एक इत्तेफाक से हुई मुलाकात थी. आप सोच रहे होंगे कि यह 'ना ना करते प्यार तुमसे कर बैठे' वाली बात है. लेकिन यह सच नहीं है. कहा जाता है कि दीवारों के कान होते हैं, इसलिए अब मैं लिफ्ट में ही गुप्त मुलाकातें करूंगा, क्योंकि लिफ्ट में दीवारें नहीं होतीं."

अक्टूबर 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के ठीक बाद तक भाजपा और शिवसेना सहयोगी थे. लेकिन बाद में मुख्यमंत्री पद को लेकर मतभेद के कारण दोनों दल अलग हो गए. उद्धव ठाकरे, जो शिवसेना के लिए मुख्यमंत्री पद चाहते थे. उन्होंने कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ मिलकर महा विकास अघाड़ी सरकार बनाई.

हालांकि, गठबंधन सरकार तीन साल बाद जून 2022 में गिर गई जब शिवसेना के एक प्रमुख नेता एकनाथ शिंदे ने पार्टी के भीतर विद्रोह का नेतृत्व किया और ज़्यादातर विधायकों को अपने साथ ले लिया. इसके बाद उन्होंने सरकार बनाने के लिए भाजपा के साथ हाथ मिला लिया और मुख्यमंत्री बन गए.

शिंदे के विद्रोह के कारण शिवसेना में भी विभाजन हो गया और बाद में उनके गुट को आधिकारिक रूप से पार्टी का चिह्न और नाम मिल गया.

वीडियो: शिंदे गुट के लिए फायदेमंद रहा महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष का फैसला, अब उद्धव ठाकरे क्या करेंगे?