टैलेंट हर जगह बराबर बिखरा हुआ है. पाकिस्तान में रोड पर ये दो सिंगर गा रहे हैं. ताजदार-ए-हरम हो निगाह-ए-करम. ये एक इस्लामिक नात है. नात मतलब ऐसे गाने जो पैगम्बर मोहम्मद के लिए गाए जाते हैं. उनकी तारीफ में. ये वाली नात लिखी थी शम्सुद्दीन हफीज-ए-शरीफ ने. हफीज 1325 में ईरान में पैदा हुए थे.
ताजदार-ए-हरम का इस्तेमाल पैगम्बर मोहम्मद के लिए किया जाता है. हरम वो जगह है जहां पैगम्बर रहते थे. उनको उस जगह का ताजदार या मालिक कहा गया है. इस नात में उनसे गुहार की जा रही है कि मुझपर अपनी निगाह बनाए रखो. मुझको अपने पास मदीने बुला लो.
किस्मत में मेरी चैन से जीना लिख दे डूबे ना कभी मेरा सफीना लिख दे जन्नत भी बहुत खूब मगर मेरे लिए ऐ कातिब-ए-तकदीर मदीना लिख दे ताजदार-ए-हरम, हो निगाह-ए-करम हम गरीबों के दिन भी संवर जाएंगे ताजदार-ए-हरम, हो निगाह-ए-करम ताजदार-ए-हरम, हो निगाह-ए-करम
ये नात सबसे पहले साबरी ब्रदर्स ने गाई थी. गाकर उन्होंने इस नात को ऐतिहासिक बना दिया था.
https://www.youtube.com/watch?v=cCUqEeu9GMI
फिर 2015 में आतिफ असलम ने ये नात गाई. कोक स्टूडियो में. कहा कि ये उनका ट्रिब्यूट है साबरी ब्रदर्स को. वो आतिफ वाला भी सुन लो.
https://www.youtube.com/watch?v=a18py61_F_w
वैसे तो सारे ही वर्जंस एक से एक हैं. लेकिन ये जो रोड पर बैठे, हारमोनियम और तबला लिए दो बुज़ुर्ग और बेमिसाल सिंगर्स गा रहे हैं. उस वर्जन ने इंटरनेट पर बवाल काट रखा है.
credit: facebook