अमेरिका में H-1B वीजा को लेकर छिड़ी बहस पर अब नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने कहा कि यह एक बेहतरीन प्रोग्राम है. ट्रंप की यह टिप्पणी टेस्ला और SpaceX के CEO एलन मस्क की सोशल मीडिया पोस्ट के बाद आई है. जिसमें उन्होंने विदेशी तकनीकी कर्मचारियों के लिए वीजा कार्यक्रम की रक्षा करने की कसम खाई थी. दरअसल, इस वीजा प्रोग्राम को लेकर ट्रंप की टीम में दो गुटों के बीच में फूट देखी जा रही है. लेकिन अब ट्रंप ने एलन मस्क, विवेक रामास्वामी, श्रीराम कृष्णन और डेविड सैक्स की बातों का समर्थन किया है, जो इस वीजा प्रोग्राम के पक्ष में हैं.
घटिया हैं इंडियंस... ट्रंप समर्थकों ने पार की हदें, मस्क भिड़े, H-1B वीजा पर मचा बवाल अब थमेगा नहीं!
Trump की यह टिप्पणी एलन मस्क (Elon musk) की सोशल मीडिया पोस्ट के बाद आई है. जिसमें उन्होंने H-1B Visa Program का समर्थन किया था. दरअसल, इस वीजा प्रोग्राम को लेकर ट्रंप की टीम में दो गुटों के बीच में फूट देखी जा रही है.
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बता दें कि इससे पहले डॉनल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा प्रोग्राम की आलोचना की थी. उन्होंने अपने पहले कार्यकाल के दौरान इस तक पहुंच को मुश्किल कर दिया था. लेकिन इस बार उनका रुख बदल गया है. इस चुनावी अभियान में उन्होंने H-1B वीजा प्रोग्राम का समर्थन किया था.
न्यूयार्क पोस्ट को दिए गए एक इंटरव्यू में डॉनल्ड ट्रंप ने कहा,
क्या है पूरा मामला?“मैं H-1B वीजा प्रोग्राम में विश्वास करता रहा हूं. मैंने कई बार इसका इस्तेमाल किया है. यह एक शानदार प्रोग्राम है. मुझे हमेशा से वीजा पसंद रहा है, मैं हमेशा से वीजा के पक्ष में रहा हूं. इसलिए हमारे पास ये हैं.”
दरअसल, ये पूरा मामला तब शुरू हुआ, जब डॉनल्ड ट्रंप ने वॉइट हाउस में AI के लिए श्रीराम कृष्णन को सीनियर पॉलिसी एडवाइज़र के तौर पर नियुक्त किया है. कृष्णन, चेन्नई में जन्मे भारतीय-अमेरिकी इंजीनियर हैं. लेकिन उनकी नियुक्ति के बाद से ही ट्रंप की उस लॉबी ने तीखी प्रतिक्रिया दी, जो अमेरिकी लोगों को प्राथमिकता देने की बात करते है. इस लॉबी में दक्षिणपंथी कार्यकर्ता लॉरा लूमर और अमेरिकी कांग्रेस के पूर्व सदस्य मैट गेट्ज़ भी शामिल हैं.
इसी हफ्ते लॉरा लूमर भारतीय प्रवासियों को निशाना बनाकर भड़काऊ टिप्पणी करने के लिए आलोचनाओं के घेरे में आई थीं. लॉरा लूमर ने एक्स पर श्रीराम कृष्णन की नियुक्ति को "बेहद परेशान करने वाला" बताया था और भारतीय प्रवासियों को "तीसरी दुनिया के आक्रमणकारी" कहा था.
वो यहीं नहीं रूकी. इसके बाद उन्होंने दोगुनी गति से भारतीयों के खिलाफ पोस्ट करना शुरू कर दिया.
लॉरा लूमर की इन नस्लभेदी और कट्टर टिप्पणियों की खूब आलोचना हुई. इसके बाद रामास्वामी ने एक्स पर एक लंबी पोस्ट करते हुए बताया कि अमेरिकी कंपनियां मूलअमेरिकियों की तुलना में विदेशी मूल के और पहली पीढ़ी के इंजीनियरों को काम पर रखते हैं और इसके पीछे एक वजह है कि मौजूदा अमेरिकी संस्कृति उतने काबिल लोगों को तैयार नहीं कर पा रही है.
विवेक रामास्वामी की इस पोस्ट पर निक्की हेली ने निशाना साधा, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि विदेशी मूल के तकनीकी कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि के लिए अमेरिकी संस्कृति जिम्मेदार है. उन्होंने रामास्वामी की पोस्ट के रिप्लाई में लिखा,
"अमेरिकी श्रमिकों या अमेरिकी संस्कृति में कुछ भी गलत नहीं है. आपको बस सीमा पर देखना है और देखना है कि हमारे पास जो है, उसे कितने लोग चाहते हैं. हमें अमेरिकियों में निवेश करना चाहिए और उन्हें प्राथमिकता देनी चाहिए, न कि विदेशी श्रमिकों में."
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H-1B वीजा प्रोग्राम क्या है?H-1B वीजा प्रोग्राम का उद्देश्य अमेरिका में कुशल कर्मियों की कमी को दूर करना है. यह उन प्रवासियों को मिलता है, जो अमेरिका काम करने के लिए जाते हैं. H-1B वीजा 6 साल के लिए वैध होता है. H-1B वीजा प्रोग्राम के जरिए वीजाधारक शख्स अपने बच्चों और पत्नी के साथ अमेरिका में रह सकता है. इसके साथ ही वह अमेरिका की नागरिकता के लिए भी अप्लाई कर सकता है. आंकड़ो पर नजर डालें तो H-1B वीजाधारकों में सबसे ज्यादा भारतीय हैं. वित्त वर्ष 2023 में कुल (3.86 लाख) H-1B स्वीकृत हुए. इसमें से 72.3 फीसदी यानी 2.79 लाख भारतीय थे.
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