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बिस्किट कंपनी को गाली जैसे शब्द का ट्रेडमार्क दिया था, फिर वापस क्यों ले लिया?

यह रजिस्ट्रेशन एक बिस्कुट और नमकीन ब्रांड के लिए था जिसका आवेदन साधना गोस्वामी ने किया था. रजिस्ट्री ने अपनी गलती स्वीकारते हुए कहा कि यह धारा 9 और धारा 11 के तहत सही नहीं था.

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ट्रेडमार्क रजिस्ट्री चुटियारम’ के रजिस्ट्रेशन के लिए दिए गए आवेदन को वापस ले लिया है. (तस्वीर:सोशल मीडिया)

ट्रेड मार्क्स रजिस्ट्री ने नमकीन और बिस्कुट ब्रांड के लिए ‘ChutiyaRam’ के रजिस्ट्रेशन के लिए दिए गए आवेदन को वापस ले लिया है. रजिस्ट्री ने इसके लिए ट्रेड मार्क्स अधिनियम, 1999 के नियमों का हवाला दिया है. रजिस्ट्री ने कहा कि ट्रेडमार्क को ‘गलती’ से स्वीकार कर लिया गया था.

कोर्ट ने अपने ऑर्डर में क्या कहा?

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, यह रजिस्ट्रेशन एक बिस्कुट और नमकीन ब्रांड के लिए था जिसका आवेदन साधना गोस्वामी ने किया था. रजिस्ट्री ने अपनी गलती स्वीकारते हुए कहा कि यह धारा 9 और धारा 11 के तहत सही नहीं था. कोर्ट के आर्डर के मुताबिक,

"आवेदन को गलती से स्वीकार कर लिया गया था. ट्रेडमार्क के रजिस्ट्रेशन पर ट्रेड मार्क्स अधिनियम, 1999 की धारा 9 और 11 के तहत आपत्ति की जा सकती थी. रजिस्ट्रेशन के मानदंडों को पूरा नहीं करता है, इसलिए इसे रजिस्ट्रार अधिनियम की धारा 19 और नियम 30 के तहत वापस लिया जा रहा है.”

ऑर्डर के मुताबिक, इस मामले पर सुनवाई निर्धारित की गई है.

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ट्रेडमार्क को स्वीकार किए दो सप्ताह ही हुए थे कि उसे हटाने का फैसला आ गया. दरअसल, 4 मार्च को रजिस्ट्री के सीनियर एग्जामिनर बालाजी ने ट्रेडमार्क को स्वीकारते हुए एक ऑर्डर पास किया था. उस ऑर्डर में कहा गया था कि ‘Chutiyaram’ नाम दो शब्दों ’Chuti’ और ‘Ram’ को जोड़कर बना है. ऑर्डर के मुताबिक, “ये नाम अपने आप में अनोखा है, और नमकीन-बिस्किट से इसका कोई सीधा कनेक्शन नहीं है.”

इसके बाद 17 मार्च को इसे ट्रेडमार्क जर्नल में भी पब्लिश कर दिया गया.

लेकिन दिक्कत कहां हुई?

ट्रेडमार्क को स्वीकार करने में पहले तर्क दिया गया था कि चूंकि ये दो अलग-अलग शब्दों के संयोजन से बना है और ये अन्य ट्रेडमार्क से अलग है लिहाजा, धारा 9(1) के तहत कोई आपत्ति नहीं उठाई गई. यह धारा तय करती है कि कोई भी ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन के मानकों पर खरा उतरता है कि नहीं.  

लेकिन दिक्कत हुई धारा 9(2) (c) से. यह धारा किसी भी अपमानजनक, अश्लील और ऐसे ट्रेडमार्क के रजिस्ट्रेशन पर रोक लगाती है जो सार्वजनिक नैतिकता के खिलाफ हो.

किसी ट्रेडमार्क के ‘स्वीकृत’ होने का मतलब है कि उसने शुरुआती जांच पड़ताल की प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी कर ली है. मतलब जांच के दौरान या तो कोई आपत्ति नहीं मिली या फिर जांच के दौरान ही समस्या का समाधान कर दिया गया. इसके बाद उसे ट्रेडमार्क जर्नल में पब्लिश किया जाता है. बाद में जनता और जागरूक लोग इसकी समीक्षा कर सकते हैं.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आवेदनकर्ता साधना गोस्वामी ने पहले 'Chutiyawale' और 'Chutiyalal' जैसे नामों के लिए भी कोशिश की थी. लेकिन उन आवेदनों पर या तो आपत्ति जताई गई या उन्हें अस्वीकार कर दिया गया.

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