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बिहार से पहले कहां-कहां हुई थी जाति जनगणना? रिपोर्ट कहां दब गई?

बिहार के आंकड़े आए तो हरियाणा और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में ऐसे ही सर्वे की मांग उठा दी गई है.

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बिहार, जातिगत जनगणना का डेटा जारी करने वाला पहला राज्य है (फोटो सोर्स- ANI, PTI)

बिहार सरकार ने 2 अक्टूबर, 2023 को जातिगत सर्वे (bihar caste census)के आंकड़े जारी कर दिए. बिहार ऐसा करने वाला पहला राज्य है. सुप्रीम कोर्ट में इस सर्वे को चुनौती दी गई थी, जिस पर 3 अक्टूबर को सुनवाई होनी थी, लेकिन उसके पहले ही गांधी जयंती के दिन बिहार सरकार ने डेटा जारी कर दिया. अब सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की तारीख 6 अक्टूबर तय की है. 

जाति, भारतीय राजनीति में एक अनिवार्य विषय है. इसका पेपर निकाले बिना आप सत्ता की परीक्षा पास नहीं कर सकते. इसीलिए दूसरे राज्यों में भी अलग-अलग पार्टियों के नेता जातिगत जनगणना का वादा कर रहे हैं. हालांकि बिहार से पहले भी कई राज्यों में जातिगत जनगणना या उससे मिलती जुलती प्रक्रिया हुई, लेकिन रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई. कुछ जगह बात सिर्फ बात रह गई. सर्वे शुरू ही नहीं हो पाया. किस राज्य में कहां बात अटकी, आइए सिलसिलेवार जानें.

कर्नाटक

साल 2014. कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार थी. सिद्धारमैया CM थे. उन्होंने सोशियो-इकॉनमिक सर्वे कराने का फैसला किया. साल 2015 में सर्वे हुआ भी. मई और अप्रैल के महीने में 1.6 लाख लोगों को जनगणना के काम पर लगाया गया. कर्नाटक राज्य पिछड़ा आयोग ने कुल 1 करोड़ 30 लाख घरों को सर्वे में शामिल किया. जून 2016 में इसकी रिपोर्ट आनी थी. बताया गया कि सर्वे का उद्देश्य, 127वें संविधान संशोधन विधेयक के अनुसार, अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) आरक्षण पर निर्णय लेना है. लेकिन इस सर्वे की रिपोर्ट कभी सामने नहीं आई.

ओडिशा

ओडिशा ने इसी साल मई के महीने में जाति आधारित सर्वे पूरा किया है. इस सर्वे का उदेश्य पिछड़ी जातियों की शैक्षिक और सामाजिक स्थितियों को समझना और उसके मुताबिक, इन जातियों के लिए योजनाएं तय करना बताया गया था. सर्वे में आजीविका और बुनियादी जरूरतों से जुड़े सवाल पूछे गए. हालांकि ओडिशा में विपक्षी नेताओं ने इसे चुनावी मुद्दा करार दिया है. इस सर्वे से जुड़े किसी तरह के आंकड़े बाहर नहीं आए हैं.

तेलंगाना

साल 2021 में तेलंगाना के राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी पिछड़ी जातियों का सर्वेक्षण कराने का फैसला किया. उद्देश्य था पिछड़ी जाति समूह (BC) में शामिल जातियों के कम्पोजीशन का पता करना. शुरुआती योजना थी कि एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ कॉलेज ऑफ इंडिया (ASCI), सेंटर ऑफ इकोनॉमिक एंड सोशल स्टडीज (CESS), ब्यूरो ऑफ इकोनॉमिक्स एंड स्टैटिस्टिक्स और सेंटर फॉर गुड गवर्नेंस जैसी कई विशेषज्ञ एजेंसियों को शामिल किया जाएगा. लेकिन अभी इसके आगे कोई काम शुरू होने की जानकारी नहीं आई है.

बिहार में जातिगत सर्वे के आंकड़े सामने आने के बाद कुछ और राज्यों से भी इसी तरह की जनगणना कराए जाने के वादे/दावे सामने आए हैं. मध्यप्रदेश के पूर्व CM और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा है कि कांग्रेस की सरकार आई तो मध्यप्रदेश में जाति आधारित जनगणना कराई जाएगी. इसी तरह भूपिंदर सिंह हुड्डा भी मांग कर चुके हैं कि पिछड़ी जातियों की पहचान के लिए हरियाणा में जाति जनगणना कराई जानी चाहिए.

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