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विनोद खन्ना का वो किस्सा, जो अमिताभ खुद से कभी जोड़ना नहीं चाहेंगे

एक वक्त था कि विनोद खन्ना बॉलीवुड के सबसे बड़े स्टार बन रहे थे.

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70 साल की उम्र में विनोद खन्ना ने ये दुनिया छोड़ दी.
ठीक इसी तरह से एक दिन उन्होंने करियर के टॉप पर बॉलीवुड को छोड़ दिया था. 1980 में उनकी दो बड़ी फिल्में आई थीं, द बर्निंग ट्रेन और कुर्बानी. पर 1982 में एकदम शांति की मुद्रा में विनोद खन्ना ने पत्नी गीतांजलि और दोनों बेटों अक्षय और राहुल के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इसमें पत्रकारों को चौंकाते हुए कहा कि अपने गुरु ओशो रजनीश के कहने पर वो इंडस्ट्री छोड़ रहे हैं. उन्होंने अपना नाम स्वामी विनोद भारती रख लिया था.
ये बहुत बड़ी बात थी. क्योंकि ग्लैमर की दुनिया से निकलकर सीधा स्पिरिचुअल रास्ते पर जाना असंभव सी बात लगती है. पर विनोद पहले ही मन बना चुके थे. पहले भी वो मुंबई में मंडे से फ्राइडे शूटिंग करते. और वीकेंड पर ओशो के पास चले जाते थे. इस न्यूज को शुरू में पब्लिसिटी स्टंट की तरह लिया गया. पर धीरे-धीरे पता चलने लगा कि विनोद ने फिल्मों के साइनिंग एमाउंट भी लौटाने शुरू कर दिये हैं. शूटिंग करना भी बंद कर दिए.
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सिन्थॉल साबुन को कल्ट बनाया विनोद खन्ना ने

उधर ओशो रजनीश के पूना आश्रम में भी दिक्कत हो गई थी. काफी राजनीतिक प्रेशर बन रहा था. तो वो अमेरिका के औरेगन में शिफ्ट हो रहे थे. विनोद भी वहीं शिफ्ट हो गए. कहानियों की मानी जाए तो वहां के रजनीशपुरम आश्रम में वो माली का काम करने लगे. 1985 तक उनकी कोई खबर नहीं मिली मीडिया को. पता तभी चला जब उस साल उनका डिवोर्स हो गया. फिर वो बॉलीवुड की तरफ लौटे. उनकी दो फिल्में इंसाफ और दयावान आईं. दयावान में बोल्ड सीन थे. इनको सेक्सी संन्यासी कहा जाने लगा. लेकिन करियर धीरे-धीरे डूबने लगा. अब वो बात नहीं पाई, जो पहले थी.
विनोद 1 ओशो के साथ विनोद

पर विनोद के इस एडवेंचर के साथ एक कॉन्सपिरेसी थ्योरी जुड़ी है.
कहा जाता है कि ओशो रजनीश अमिताभ बच्चन के पिता हरिवंश राय बच्चन के दोस्त थे. और उस दौर में अमिताभ बहुत बड़े स्टार थे. ये भी जानी हुई बात है कि हरिवंश राय अपने बेटे के लिए बहुत प्रोटेक्टिव थे. पर विनोद खन्ना स्टार के तौर पर अमिताभ को टक्कर दे रहे थे. माना जा रहा था कि ये उनसे बड़े स्टार होंगे. लेकिन हरिवंश राय बच्चन ने ओशो से दरियाफ्त की कि विनोद का बॉलीवुड से मोहभंग करा दिया जाए. इसी वजह से ओशो ने विनोद को स्पिरिचुअलिटी की तरफ मोड़ दिया.
विनोद 2

हालांकि इस कहानी का एक और पक्ष है. हरिवंश राय बच्चन ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि वो टीचर रहने के दिनों में ही ओशो से मिले थे. उनको कविताएं सुनाईं और दोनों में दोस्ती हो गई. पर बहुत बाद में जब अमिताभ स्टार बन गए तो हरिवंश राय ओशो से मिलने पुणे गए. वहां पर उनको इंतजार करने को कहा गया. ओशो की सेक्रेटरी ने कहा कि भगवान आराम कर रहे हैं. भगवान शब्द सुनकर हरिवंश राय का मन उखड़ गया. वो इसके बाद ओशो से दूर होते चले गए.
विनोद खन्ना ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था:
मैंने अपने गुरु के साथ अपनी यात्रा पूरी कर ली थी. उसके बाद साथ रहने का कोई मतलब नहीं रह गया था. इसीलिए मैं भारत लौट आया. ओशो ने मुझसे पुणे का आश्रम चलाने को कहा था. लेकिन मुझे नहीं करना था. जब मैं देश लौटा तो तंगहाली से गुजर रहा था. इस वजह से मैं बॉलीवुड वापस आया. यहां पर मेरा खुली बांहों के साथ स्वागत किया गया.



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