जयललिता को लंबे समय से एक तरह का इंफेक्शन था. इससे पहले जयललिता के मरने को लेकर अफवाहें भी उड़ी थीं, लेकिन अस्पताल और तमिलनाडु सरकार ने अफवाहों को खारिज किया था. चेन्नई के राजाजी हॉल में उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है. मंगलवार शाम 4.30 बजे चेन्नई के MGR मेमोरियल में उनका अंतिम संस्कार होगा. यानी जिनकी राजनीतिक विरासत उन्होंने संभाली, उन्हीं के स्मारक के करीब उनका शरीर रज में मिल जाएगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व पीएम देवगौड़ा, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई बड़ी हस्तियां उनकी अंतिम विदाई में शामिल होने चेन्नई पहुंच रही हैं.
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जयललिता की मौत के बाद अपोलो हॉस्पिटल द्वारा जारी की गई प्रेस रिलीज
जयललिता के बाद देर रात ही राज्यपाल ने वरिष्ठ AIDAMK नेता पनीरसेल्वम को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी. प्रदेश में 7 दिनों का राजकीय शोक घोषित किया गया है और 3 दिनों के लिए स्कूल-कॉलेजों में छुट्टी घोषित कर दी गई है.
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लोग जयललिता के लिए जान देने को तैयार रहते थे. उदास तमिलनाडु में किसी भी तरह की हिंसा या अप्रिय घटनाएं न हो, अम्मा को यही सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी
रविवार चार दिसंबर की शाम उन्हें कार्डिएक अरेस्ट हुआ था. अपोलो अस्पताल में डॉक्टरों का एक दल उनका इलाज कर रहा था, जिसमें दिल और फेफड़ों के डॉक्टर्स के साथ क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ भी थे. इसके बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने तमिलनाडु के राज्यपाल सी विद्यासागर राव से बात भी की थी.

कार्डिएक अरेस्ट की दुखद खबर के बाद ही तमिलनाडु में अलर्ट जारी कर दिया गया था. हॉस्पिटल के बाहर लोगों की भीड़ जमा होने लगी थी. उनके चाहने वाले बिलख-बिलख के रो रहे थे. सिक्योरिटी के लिए अपोलो हॉस्पिटल की तरफ जाने वाली सड़कों को बंद कर दिया गया था.

जयललिता इसी साल 19 मई को तमिलनाडु की छठी मुख्यमंत्री बनी थीं. वह 1982 में AIADMK में शामिल हुई थीं और 'अम्मा' के नाम से पुकारी जाती थीं. तमिलनाडु में जयललिता के अच्छे-खासे समर्थक हैं. उनकी फैन फॉलोइंग इस बात से समझी जा सकती है कि जब वो बीमार थीं, तो उनके मरने की अफवाह उड़ी. ये अफवाह सुनते ही जयललिता के एक समर्थक की दिल के दौरे से मौत हो गई.

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आगे पढ़िए जयललिता के कुछ किस्से...
7 साल में बनीं नेता प्रतिपक्ष
जयललिता ने साल 1982 में पार्टी जॉइन की. साल 1989 में पहली नेता प्रतिपक्ष बनी थीं. सरकार थी एम. करुणानिधि की. CM खुर्राट थे काले चश्मे वाले दादा तब. उनके इशारे पर 25 मार्च को विधानसभा में वो काम हुआ कि गालियों से उनकी झोली भर गई. असेंबली में जोरदार बहस चल रही थी. स्पीकर बैठे थे. अचानक हंगामा शुरू हो गया. करुणानिधि के गुर्गों ने जयललिता पर हमला बोल दिया. जबानी नहीं, सीधे हाथापाई. जब वो फटी साड़ी में बाहर निकलीं तो भूचाल आ गया. पब्लिक में करुणानिधि की थू-थू हो गई. मीडिया ने जयललिता को बना दिया महाभारत की द्रौपदी, जिनकी बेइज्जती लेटेस्ट कौरवों ने की थी. जयललिता ने प्रतिज्ञा की कि वो अब असेंबली लौटेंगी, तो CM बनकर. फिर साल 1991 में हुआ एलेक्शन और फैसला हो गया.बेटे की शादी की थी गिनीज बुक रिकॉर्ड बनाने के लिए
जयललिता के पाले कुल दीपक थे वीएन सुधाकरन. अरमान था कि बेटे की शादी धूमधाम से हो, जिसे जमाना याद रखे. लेकिन, शादी के लिए जरूरी होती है जोड़ी, जो कहते हैं कि ऊपर से बनकर आती हैं. ऊपर का तो पता नहीं, यहां उनकी जोड़ी बनी शिवाजी गणेशन की पोती से. ये तमिल फिल्म इंडस्ट्री के स्टार थे. कन्या का नाम था सत्यलक्षमी. शादी की डेट तय पाई गई 7 सितंबर 1995.ये तारीख अरमान पूरे करने की थी. अम्मा तो भैये सबपर मेहरबान रहती हैं. जब बात अपने बच्चे की हो तो दिल कैसे कंट्रोल में रहे. तिजोरी खोली, कलेजा खोल दिया.
थोटा थरानी. ये नाम है मशहूर आर्ट डायरेक्टर का, जिसने वो पंडाल सजाया था जो उस शादी में लगा था. करीब 70 हजार स्क्वायर फिट का ये पंडाल गिनीज बुक में रिकॉर्ड हुआ. 10 ठो तो डायनिंग हॉल थे और हर हॉल में 25 हजार लोगों के खाने की क्षमता थी. ढेर सारे हीरे जवाहरात और साड़ियां गिफ्ट में. एक से बढ़कर एक VIP गेस्ट्स. उस जमाने में माने करीब 21 साल पहले इस शादी में 3 करोड़ का खर्च आया था. बड़ी कंट्रोवर्सी भी हुई थी. सरकारी मशीनरी का गलत इस्तेमाल करने के इल्जाम भी लगे थे, लेकिन अम्मा के खुले दिल का सुबूत तो मिला ही था. MGR की लाश के पास 21 घंटे खड़ी रहीं जयललिता
जयललिता ने इस बारे में कहा था,
‘मैंने फिर चढ़ने की कोशिश की, पर दीपन ने फिर मुझे धकियाया, पीटा और नीचे गिरा दिया. मेरे पूरे शरीर पर खरोंचें आईं, मैं बुरी तरह से घायल हो गई.’अन्नाद्रमुक के एक और विधायक भी जयललिता को पीटने में शामिल थे. उनका नाम था डॉ. के पी रामलिंगम. जयललिता का कहना तो ये भी था,
‘जब मैं वहां पर खड़ी थी, तो करीब 7-8 औरतें मेरे पास आईं और खड़ी हो गईं. बार-बार वो मेरे पैरों को कुचलती रहीं. मेरे शरीर में यहां-वहां नाखून गड़ाती रहीं और नोचती रहीं. चेहरा छोड़ पूरे शरीर पर उन्होंने हमले किए, क्योंकि चेहरे पर वे कुछ करतीं, तो लोगों को नजर आ जाता.’दरअसल MGR के मरने के बाद जयललिता समर्थक और जयललिता विरोधी दो गुटों में अन्नाद्रमुक का बंटवारा हो चुका था. MGR का परिवार चाहता था कि जयललिता इस आखिरी विदाई में भाग न लें. इसलिए जयललिता के साथ MGR के घरवालों ने ऐसा बर्ताव किया. आखिर में जयललिता उनसे बचने के लिए अपने गुट के लोगों के बीच चली आईं.
इससे पहले जब जयललिता को खबर मिली थी कि उनके आइडल नेता MGR की मौत हो गई है, तो फौरन वो MGR के घर के लिए निकल पड़ी थीं.
जयललिता की ये बात भले ही कनपुरिया कहावत झाड़े रहो कलक्टरगंज
टाइप रही हो पर आखिर वक्त ने ये साबित कर ही दिया कि चाहे वो अन्नादुरई रहे हों या MGR, अगर कोई उनका असली सक्सेसर होने लायक था तो वो जयललिता ही थीं.
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