तमिलनाडु के परिवहन मंत्री एसएस शिवशंकर ने हिंदू भगवान राम को लेकर बयान दिया है जिस पर विवाद हो गया है. द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा कि भगवान राम के अस्तित्व को साबित करने के लिए कोई पुरातात्विक साक्ष्य या ऐतिहासिक रिकॉर्ड नहीं है. शिवशंकर ने 2 अगस्त, 2024 को राजेंद्र चोल की जन्म शताब्दी के अवसर पर गंगईकोंडाचोलपुरम के श्री बृहदेश्वर मंदिर में आयोजित एक समारोह में कहा,
"राम के वजूद का कोई सबूत नहीं", मंत्री का दावा, BJP का जवाब भी आया
Tamil Nadu के मंत्री एसएस शिवशंकर ने कहा कि- अगर राम अवतार होते तो उनका जन्म नहीं हो सकता था. अगर उनका जन्म हुआ तो वे भगवान नहीं हो सकते थे.
“हम चोल वंश के सम्राट राजेंद्र चोल का जन्मदिन मनाते हैं, क्योंकि हमारे पास शिलालेख, उनके द्वारा निर्मित मंदिर और उनके द्वारा बनाई गई झील जैसे पुरातात्विक साक्ष्य हैं. लेकिन, राम के इतिहास का पता लगाने के लिए कोई सबूत नहीं है.”
जनवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन किया था. इसका जिक्र करते हुए शिवशंकर ने कहा कि दावा किया गया था कि भगवान राम 3,000 साल पहले रहते थे. लेकिन राम के अस्तित्व को साबित करने के लिए कोई इतिहास नहीं है. मंत्री ने कहा,
“वे कहते हैं कि राम भगवान का एक अवतार हैं. अगर राम अवतार होते तो उनका जन्म नहीं हो सकता था. अगर उनका जन्म हुआ तो वे भगवान नहीं हो सकते थे.”
शिवशंकर ने कहा कि इन दावों का उद्देश्य लोगों को गुमराह करना, अपने इतिहास को श्रेष्ठ बताना और तमिलों के इतिहास को दबाना है. उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि इनके गलत इरादों को समझते थे. शिवशंकर ने ये भी कहा,
“करुणानिधि ने तमिलों की समृद्ध संस्कृति, सभ्यता और पहचान को प्रदर्शित करने के लिए कई कदम उठाए. उन्होंने तमिलों और उनकी संस्कृति की पहचान को स्पष्ट रूप से सामने रखा. वे रामायण और महाभारत के खिलाफ थे, जिन्हें कई शताब्दियों से थोपा जा रहा था.”
मंत्री ने आगे कहा, “महाकाव्य तमिलों के लिए नहीं हैं, इनमें जीवन और ईमानदारी के लिए कोई शिक्षा नहीं है.” जिस कार्यक्रम में तमिलनाडु के मंत्री बयान दे रहे थे वो जिला प्रशासन, पर्यटन विभाग और हिंदू रिलीजियस और चैरिटेबल इंडोमेंट द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था.
शिवशंकर की टिप्पणी पर हंगामा होना ही था. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के अन्नामलाई ने कहा कि DMK को भगवान राम से ना जाने क्या दिक्कत है. उन्होंने कहा,
“भगवान राम के प्रति DMK का अचानक बढ़ा ऑब्सेशन वास्तव में देखने लायक है. क्या यह आश्चर्यजनक नहीं है कि DMK नेताओं की याददाश्त कितनी जल्दी फीकी पड़ जाती हैं? क्या वे वही लोग नहीं थे जिन्होंने नए संसद परिसर में चोल राजवंश का सेंगोल स्थापित करने के लिए हमारे पीएम मोदी का विरोध किया था? यह लगभग हास्यास्पद है कि DMK एक ऐसी पार्टी है जो सोचती है कि तमिलनाडु का इतिहास 1967 में शुरू हुआ था. इनको अचानक देश की समृद्ध संस्कृति और इतिहास के प्रति प्रेम का एहसास हुआ है.”
अन्नामलाई ने कहा कि शिवशंकर को अपने साथियों से भगवान राम के बारे में कुछ जानकारी हासिल करने की जरूरत है.
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