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बैल के सींग पर बंधे इनाम के लिए खेल रहे थे मंजूविरट्टू, उसने सींग मार कर शख्स की जान ले ली

तमिलनाडु के शिवगंगा जिले में मंजूविरट्टू खेला गया. इस खेल को खेलने के दौरान बैल ने कार्तिक नाम के 28 साल के युवक के सीने पर वार कर दिया था. जिससे उसकी मौत हो गई.

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जोखिम से भरा बैलों का परंपरागत खेल मंजूविरट्टू
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प्रमोद माधव

तमिलनाडु के शिवगंगा जिले में रविवार 28 जुलाई के दिन मंजूविरट्टू (Manjuvirattu) खेला जा रहा था. ये बैलों के साथ खेला जाने वाला पारंपरिक खेल है. इसी खेल के दौरान 28 साल के कार्तिक की मौत हो गई. कार्तिक सलेम से खेल में हिस्सा लेने आए थे. खेल के चौथे राउंड के समय बैल ने अपने सींग से कार्तिक पर हमला कर दिया. जिसके बाद उन्हें पास के अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी  मौत हो गई. इस घटना का वीडियो भी सामने आया है.

आजतक से जुड़े प्रमोद माधव की खबर के मुताबिक शुराकुड्डी में खेले गए इस खेल में 1 बैल को 30 मिनट के लिए 9 लोगों के बीच छोड़ दिया जाता है. बैल को मैदान की लंबाई के मुताबिक एक लंबी रस्सी के सहारे किसी पत्थर या खम्भे से बांध दिया जाता है, जिससे बैल खंभे के चारों तरफ निश्चित दूरी तक घूमता है. बैल के सींग पर एक इनाम बांधा जाता है, इसे ही निकालने के जुगाड़ में 9 लोग खेलने उतरते हैं.

शिवगंगा में हुए मंजूविरट्टू (Manjuvirattu) में तमिलनाडु के पुदुकोट्टई, रामनाथपुरम, सेलम और त्रिची से लोग आए थे. इसी तरह बैलों को भी अलग अलग इलाकों से लाया जाता है. इस खेल में कुल 10 बैल लाए गए थे. 

हादसे का वीडियो देखें.

वीडियो में देखा जा सकता है कि खेल के दौरान कार्तिक बैल से बचने के लिए भागते हैं, लेकिन बैल उनके पीछे दौड़कर उन पर सींग से हमला कर देता है. बैल का सींग कार्तिक के सीने में जोर से लग जाता है. इसके बाद कार्तिक भाग भी नहीं पाते और गिर जाते हैं. मौका पाते ही बाकी खिलाड़ी उन्हें उठाते हैं. खेल को वहीं रोक दिया जाता है. इसके बाद कार्तिक को कराईकुड्डी सरकारी अस्पताल ले जाया जाता है. जहां वे दम तोड़ देते हैं. अब कुंद्राकुडी पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है.

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मंजूविरट्टू क्या है?

मंजूविरट्टू तमिलनाडु का पारंपरिक खेल है. इसे पोंगल के बाद मनाया जाता है. लेकिन कई बार इस तरह के खेलों पर सवाल उठते रहे हैं, इससे ही मिलता-जुलता खेल जल्लीकट्टू है. आपने इसके बारे में जरूर सुना होगा. रिस्क को देखते हुए साल 2006 में जल्लीकट्टू खेल पर मद्रास हाईकोर्ट ने पावंदी लगा दी थी. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले को बनाए रखा. लेकिन 2017 में राज्य सरकार ने इतिहास, परंपरा और धार्मिक आस्था का हवाला देते हुए नियमों में कुछ बदलाव किए, आखिर में 2023 में जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली बेंच ने इसे जलीकट्टू को मंजूरी दे दी थी. हर साल इस तरह के पारंपरिक खेलों से लोगों के घायल होने या मौत की खबर आती रही हैं. कई लोग इसे पशुओं पर हो रही क्रूरता की तरह देखते हैं.

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