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ऐसा क्या हुआ जो तमिलनाडु के राज्यपाल राष्ट्रगान गाए बिना ही सदन से चले गए?

पेरियार, धर्मनिरपेक्षता और आम्बेडकर का ज़िक्र आया, तो नहीं पढ़ा भाषण!

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भाषण देते हुए राज्यपाल आर एन रवि और मुख्यमंत्री एम के स्टालिन (फोटो - ANI/सोशल मीडिया)

सोमवार, 9 जनवरी को तमिलनाडु विधानसभा के शीतकालीन सत्र का पहला दिन था. तमिलनाडु (Tamil Nadu) के राज्यपाल आर एन रवि (RN Ravi) कार्यवाही के बीच में सदन छोड़ कर चले गए. राष्ट्र गान के लिए भी नहीं रुके.

‘राज्य सरकार बनाम राज्यपाल’

दरअसल, भाषण देने पर नहीं, भाषण में कुछ बातें न कहने पर बवाल हो गया. राज्यपाल ने सदस्यों को नए साल और 'पोंगल' की बधाई दी. इस बीच, डीएमके-गठबंधन के विधायक 'तमिलनाडु वाझगवे' (तमिलनाडु अमर रहे) और 'एंगलनाडु तमिलनाडु' (हमारी ज़मीन तमिलनाडु है) जैसे नारे लगाने लगे. ये नारे असल में आर एन रवि की टिप्पणी के विरोध में थे. पिछले हफ्ते ही रवि ने कहा था कि तमिलनाडु का नाम 'तमिझगम' होना चाहिए था.

इसके बाद राज्यपाल ने 'द्रविड़ मॉडल', 'पेरियार', 'धर्मनिरपेक्षता' और 'आंबेडकर' सहित कुछ शब्द अपने भाषण में नहीं पढ़े. राज्य के मुख्यमंत्री स्टालिन ने आरएन रवि के भाषण को रोका और आपत्ति जताई कि आर एन रवि ने तैयार किया हुए भाषण के कुछ हिस्से जानबूझ कर छोड़ दिए. फिर स्टालिन ने एक प्रस्ताव पेश किया कि सदन के शीतकालीन सत्र के पहले दिन वही भाषण जाना चाहिए, जो सरकार तैयार करती है. स्टालिन सरकार के पास बहुमत है, तो प्रस्ताव पारित हो गया. इसके बाद विरोध के तौर पर राज्यपाल आर एन रवि सदन वॉक-आउट कर गए.

राज्य सरकार और राज्यपाल रवि के बीच अलग-अलग मुद्दों को लेकर तनाव चल ही रहा है. DMK के आरोप हैं कि राज्यपाल ने 20 बिलों को मंज़ूरी देने से इनकार कर दिया है. द्रमुक पार्टी (DMK) और उसके सहयोगी आर एन रवि पर भाजपा की विचारधारा का प्रचार करने का आरोप लगाते हैं. इसके अलावा, 8 जनवरी को, पार्टी ने राज्यपाल के इस्तीफ़े की भी मांग कर ली. ये कहते हुए कि राज्यपाल ज़बरदस्ती राज्य की राजनीति में हस्तक्षेप करते हैं.

TN रवि, एक चर्चित IB अधिकारी रहे हैं, जिनका उत्तर-पूर्वी संघर्ष पर विशेष काम रहा है. रवि ने 1 अगस्त 2019 से 9 सितंबर 2021 तक नागालैंड के राज्यपाल और 18 दिसंबर 2019 से 26 जनवरी 2020 तक मेघालय के राज्यपाल के तौर पर काम किया. नागा उग्रवादियों के साथ बातचीत में भारत की ओर से वो मुख्य वार्ताकर्ता थे, लेकिन नागा उग्रवादियों के एक गुट ने आर एन रवि के साथ कोई भी डायलॉग करने से इनकार कर दिया. इसके बाद उन्हें तमिलनाडु भेजा गया. और, शुरू से ही सरकार के साथ उनकी तनातनी बनी रही.

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