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'स्वामी प्रसाद मौर्या की जीभ काटो, 10 लाख मुझसे लो', कांग्रेस नेता ने ये ऐलान क्यों किया?

मुरादाबाद कांग्रेस में जिनके कंधों पर मानवाधिकार मामलों की जिम्मेदारी है, उन्होंने ये ऐलान किया है. इसपर कांग्रेस पार्टी का क्या कहना है?

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स्वामी प्रसाद मौर्य, विवादित बयान देकर चर्चा में बने रहते हैं, कांग्रेस नेता द्वारा जारी किया गया नोट (फोटो सोर्स - आजतक)

सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्या (swami prasad maurya) ने बीते दिनों हिंदू धर्म को लेकर विवादित बयान दिया था. कहा था कि ‘हिंदू कोई धर्म नहीं, सिर्फ धोखा है’. उनकी इस टिप्पणी के बाद मुरादाबाद के कांग्रेस नेता गंगाराम शर्मा ने स्वामी प्रसाद मौर्या की जीभ काटने वाले को 10 लाख रुपए का इनाम देने की बात कही है.

लेटर जारी कर इनाम की घोषणा

गंगाराम शर्मा यूपी के मुरादाबाद जिले की कांग्रेस कमेटी के मानवाधिकार विभाग के चेयरमैन हैं.

उनकी तरफ से एक नोट जारी कर कहा गया,

"सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्या हिंदू धर्म को अपमानित करने के मकसद से हिंदू धर्म की धार्मिक पुस्तक रामचरितमानस की चौपाइयों की निंदा करते रहते हैं. इसलिए पंडित गंगाराम शर्मा ने स्वामी प्रसाद मौर्या की जीभ काटने वाले को दस लाख रुपए का नकद पुरस्कार देने की घोषणा की है."

सोशल मीडिया पर गंगाराम का ये लेटर वायरल है. हालांकि, गंगाराम के लेटर के बाद कांग्रेस पार्टी ने उनके बयान से किनारा कर लिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुरादाबाद के कांग्रेस जिलाध्यक्ष असलम खुर्शीद ने कहा है कि ये उनका निजी बयान है. पार्टी से इसका कोई लेना-देना नहीं है.

क्या बोले थे स्वामी प्रसाद मौर्या?

बीते दिनों स्वामी प्रसाद मौर्या ने रामचरितमानस को लेकर कई विवादित बयान दिए थे. उन्होंने कहा था,

“रामचरित मानस को करोड़ों लोग नहीं पढ़ते. इसमें सब बकवास है. तुलसीदास ने इसे अपनी खुशी के लिए लिखा है.”

स्वामी प्रसाद मौर्या ने रामचरित मानस पर बैन लगाने की भी मांग की थी.

दो दिन पहले फिर एक बार उन्होंने हिंदू धर्म को निशाना बनाते हुए विवादित बयान दिया. उन्होंने कहा,

“ब्राह्मणवाद की जड़ें बहुत गहरी हैं. सारी विषमता की वजह भी यही है. हिंदू नाम का कोई धर्म ही नहीं है. हिंदू धर्म केवल धोखा है. जो ब्राह्मण धर्म है, उसी को हिंदू धर्म कहकर इस देश के दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों को धर्म के मकड़जाल में फंसाने की साजिश है. अगर हिंदू धर्म होता तो आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों का भी सम्मान होता. हम भले ही पागल होकर हिंदू धर्म के लिए मरें, लेकिन ब्राह्मणवादी व्यवस्था के लोग हमें आदिवासी मानते हैं.”

मौर्या के इस इस बयान के बाद कई सपा नेताओं ने इसे उनके व्यक्तिगत विचार बताया था.

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