राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह संपन्न होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी का उपवास तुड़वाया गया.कार्यक्रम में यजमान होने की वजह से मोदी पिछले 11 दिनों से उपवास पर थे. बताया गया कि वो सिर्फ नारियल पानी पीते हैं और सोते भी जमीन पर कंबल बिछा कर हैं. प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम संपन्न होने के बाद उनका उपवास तुड़वाया गया. उनका उपवास तुड़वाया स्वामी गोविंद देव गिरी ने. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को सिर्फ तीन दिन के उपवास के लिए कहा गया था लेकिन उन्होंने पूरे 11 दिन का व्रत किया. गोविंद देव गिरी ने अपने हाथ से पीएम मोदी को चरणामृत पिलाया और उनका उपवास खत्म करवाया. आइए जानते हैं, कौन हैं प्रधानमंत्री मोदी का उपवास तुड़वाने वाले स्वामी गोविंद देव गिरी.
पीएम मोदी का 11 दिन का उपवास तुड़वाने वाले संत कौन हैं?
चरणामृत पीकर पीएम मोदी ने अपना 11 दिन का उपवास खत्म किया. उनका उपवास तुड़वाया स्वामी गोविंद देव गिरी ने, कौन हैं ये स्वामी?

गोविंद देव श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के 15 सदस्यीय ट्रस्ट का हिस्सा हैं. लेकिन उनकी जिम्मेदारी थोड़ी अधिक है क्योंकि ट्रस्ट के खजांची भी वही हैं. गोविंद देव भागवत कथा के माध्यम से जनमानस में आध्यात्मिक चेतना जगाने के लिए जाने जाते हैं. वो हरिद्वार स्थित भारत माता मंदिर के स्वामी भी हैं. इन्हें पहले आचार्य जी मदनगोपाल व्यास के नाम से भी जाना जाता था.
गोविंद देव का जन्म महाराष्ट्र के अहमदनगर में हुआ. संस्कार टीवी को दिए एक इंटरव्यू में गोविंद देव बताते हैं कि उनके परिवार की सात से आठ पीढ़ियां भागवत कथा के माध्यम से सनानत धर्म की सेवा करती आई हैं. उन्होंने भी उसी को आगे बढ़ाया. महज 7 साल की उम्र में उन्होंने अपना घर छोड़ दिया था. उसके बाद वैदिक शिक्षा प्राप्त की. वो बताते हैं कि उन्होंने 15 साल की उम्र में भागवत की कथाएं सुनाना शुरू कर दिया था. और 17 बरस की उम्र से श्रीमद्भागवत कथा का साप्ताहिक पाठ सुनाना शुरू कर दिया था. पांच दशक से ज्यादा से वो श्रीमद्भागवत, रामायण, महाभारत, ज्ञानेश्वरी, दासबोध, योग वशिष्ठ, श्री देवी भागवत, शिव पुराण, हनुमान कथा, बुद्ध कथा आदि के पाठ कर रहे हैं. गोविंद देव देशभर के अलावा दुनिया के कई देशों में पाठ करने जाते हैं.
सार्वजनिक जीवन से सन्यास लेने के बाद उन्होंने महर्षि वेद व्यास प्रतिष्ठान की स्थापना की. उनका कहना है कि इस प्रतिष्ठान के अंतर्गत 30 से ज्यादा वैदिक स्कूल खोले गए हैं. जिनमें बच्चों को वैदिक शिक्षा, संस्कृत ज्ञान सिखाया जाता है. इसके अलावा 1986 में उन्होंने गीता परिवार की स्थापना की. गोविंद देव कहते हैं कि इसका उद्देश्य युवाओं में गीता के संस्कार पैदा करना है. संस्था की बेवसाइट के मुताबिक 21 राज्यों में गीता परिवार फैला हुआ है. जो 5 लाख से ज्यादा बच्चों को गीता के माध्यम से शिक्षित कर चुका है.
गोविंद देव 2017 में एक समय चर्चा में आए थे. कर्नाटक के उडुपी में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की ओर से आयोजित तीन दिवसीय धर्म संसद का आयोजन किया गया था. आउटलुक मैग्ज़ीन की रिपोर्ट के मुताबित धर्म संसद के दूसरे दिन गोविंद देव ने मीडिया से बात करते हुए कहा -
समान नागरिक संहिता (UCC) के लागू होने तक हिंदुओं को कम से कम चार बच्चे पैदा करने चाहिए ताकि ‘जनांकिकीय असंतुलन’ पर लगाम लगाई जा सके. जिन क्षेत्रों में हिंदू आबादी कम हुई उन क्षेत्रों को भारत ने खो दिया, जिससे जनांकिकीय असंतुलन पैदा हुआ. इसलिए दो बच्चों की नीति सिर्फ हिंदुओं के लिए ही सीमित नहीं रहनी चाहिए.
साल 2006 में इन्होंने परमहंस सन्यास ग्रहण किया. परमहंस सन्यासी उसे कहा जाता है जो सर्वोच्च आध्यात्मिक व्यवस्था का भी त्याग कर देता है.