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कौन हैं सुरिंदर सिंह जिन्हें उमर अब्दुल्ला ने J&K का डिप्टी CM बनाया है?

एक साल पहले ही भाजपा छोड़कर नेशनल कॉन्फ्रेंस में आए हैं. इससे पहले PDP और भाजपा के साथ रहे हैं.

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सुरिंदर ने जम्मू-कश्मीर के भाजपा अध्यक्ष रविंदर रैना को हराया है. (फ़ोटो - इंडिया टुडे)

बुधवार, 16 अक्टूबर को उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बन गए हैं. शपथ के साथ उन्होंने जम्मू के नौशेरा से विधायक सुरिंदर चौधरी को अपना उप-मुख्यमंत्री नियुक्त किया. कहा कि उन्होंने ऐसा जम्मू के लोगों की आवाज़ उठाने और अपनी सरकार को समावेशी बनाने के इरादे से किया है.

सुरिंदर चौधरी के साथ कुल पांच मंत्रियों - सकीना मसूद (इटू), जावेद डार, जावेद राणा और सतीश शर्मा - ने पद की शपथ ली.

कौन हैं सुरिंदर चौधरी?

सुरिंदर ने नौशेरा विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के जम्मू-कश्मीर अध्यक्ष रविंदर रैना को 7,819 वोटों से हराया है. 2014 के विधानसभा चुनाव में चौधरी ने इसी सीट पर रैना के ख़िलाफ़ पीपल्स डेमोक्रैटिक पार्टी (PDP) के टिकट पर चुनाव लड़ा था. तब हार गए थे. बाद में - अप्रैल, 2022 में - PDP महासचिव के पद से इस्तीफ़ा दे दिया और भाजपा जॉइन कर ली. उस समय उन्होंने भाजपा के प्रति ‘जनता के प्यार’ का हवाला दिया था. हालांकि, एक साल के भीतर ही उनका इस प्यार से मोहभंग हो गया और जुलाई, 2023 में नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) में शामिल हो गए. 

भाजपा छोड़ते हुए उन्होंने रैना पर परिवारवाद और भ्रष्टाचार के आरोप लगाया थे. उस समय अपने सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट किया था: "गुड बाय बीजेपी... रविंदर रैना अपने परिवारवाद और भ्रष्टाचार का आनंद लें."

पहले PDP, फिर भाजपा में रहने के बावजूद उन्हें डिप्टी CM क्यों बनाया गया? इंडियन एक्सप्रेस में अरुण शर्मा लिखते हैं कि उनको चुनने के पीछे दो वजहें हैं. पहली कि वह हिंदू-बहुल जम्मू क्षेत्र से NC के एकमात्र विधायक हैं, जहां पार्टी समावेशिता का संदेश देना चाहती है. दूसरा कि इस बार उन्होंने जम्मू-कश्मीर के भाजपा अध्यक्ष को हराया है, तो वो जायंट किलर वाला फ़ैक्टर भी है.

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उमर ने भी पुष्ट किया है कि सुरिंदर को उपमुख्यमंत्री इसलिए चुना गया है, ताकि जम्मू के लोगों को न लगे कि वे सरकार से अलग-थलग हैं. सीएम ने कहा,

“मैंने कहा था कि हम जम्मू को यह महसूस नहीं होने देंगे कि इस सरकार में उनकी आवाज़ या प्रतिनिधि नहीं हैं. मैंने जम्मू से उपमुख्यमंत्री इसलिए चुना है, ताकि जम्मू के लोगों को लगे कि यह सरकार उतनी ही उनकी है, जितनी बाक़ी लोगों की है.”

राजनीति में आने से पहले सुरिंदर चौधरी जम्मू के शेर-ए-कश्मीर कृषि विश्वविद्यालय में कर्मचारी थे. वहां उन्होंने NC के मजदूर संघ की एक इकाई को लीड किया था.

मज़े की बात यह है कि सिर्फ़ PDP और भाजपा नहीं, उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी बहुजन समाज पार्टी के साथ की थी. बसपा के टिकट पर ही 2009 में नौशेरा से अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा था.

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