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"...तिलक लगाने वालों को भी", हिजाब बैन करने वाले कॉलेज को सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार सुनाया

याचिकाकर्ताओं ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी. हाई कोर्ट ने कॉलेज के सर्कुलर के निर्देशों को बरकरार रखा था. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने इस फ़ैसले पर सुनवाई की है.

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कोर्ट ने मुंबई के एनजी आचार्य एवं डीके मराठे कॉलेज की तीन मुस्लिम छात्राओं द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अंतरिम आदेश पारित किया. (सांकेतिक फ़ोटो/Unsplash.com)

सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के एक प्राइवेट कॉलेज द्वारा जारी सर्कुलर पर रोक लगा दी है. सर्कुलर में लिखा था कि कॉलेज परिसर में छात्राओं के हिजाब, टोपी या बैज पहनने पर प्रतिबंध है. कोर्ट ने मुंबई के एनजी आचार्य एवं डीके मराठे कॉलेज की तीन मुस्लिम छात्राओं द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अंतरिम आदेश पारित किया. याचिकाकर्ताओं ने बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी. हाई कोर्ट ने कॉलेज के सर्कुलर के निर्देशों को बरकरार रखा था. फिर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने इस फ़ैसले पर सुनवाई की.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट में कॉलेज ने कहा कि यह सर्कुलर इसलिए जारी किया गया है ताकि छात्रों का धर्म उजागर न हो. इसका जवाब देते हुए जस्टिस खन्ना ने कहा,

"यह क्या है? वे अपना धर्म नहीं बताएंगे? ऐसा नियम मत लागू कीजिए."

जस्टिस कुमार ने पूछा,

"क्या उनके नाम से उनके धर्म का पता नहीं चलेगा? क्या आप उनसे नंबर मांगेंगे ताकि उन्हें नाम से न बुलाया जाए?."

कॉलेज की पैरवी सीनियर वकील माधवी दीवान कर रही थीं. उन्होंने कहा कि यह प्राइवेट कॉलेज है. इस पर जस्टिस कुमार ने पूछा कि यह कॉलेज कब से चल रहा है. वकील ने जवाब दिया कि साल 2008 से चल रहा है. जस्टिस कुमार ने आगे कहा,

"यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आप स्वतंत्रता के इतने सालों बाद इस तरह के निर्देश लेकर आए हैं. अचानक आपको एहसास हुआ कि धर्म है."

वहीं जस्टिस खन्ना ने माधवी से पूछा,

"क्या आप कहेंगे कि तिलक लगाने वाले को भी कॉलेज में अनुमति नहीं देनी चाहिए?"

रिपोर्ट के मुताबिक माधवी ने कहा कि 441 मुस्लिम छात्राएं कॉलेज में "खुशी से पढ़ रही हैं" और इस पर आपत्ति केवल कुछ लोगों ने ही उठाई है. याचिका दायर करने वाली तीन लड़कियां दूसरे कॉलेज में चली गई हैं और वहां की छात्राएं हमेशा से हिजाब नहीं पहनती हैं.

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वकील को जवाब देते हुए जस्टिस खन्ना ने कहा,

"यह दुखद है. आप महिलाओं को यह बताकर कैसे सशक्त बना रहे हैं कि उन्हें क्या पहनना चाहिए?"

दूसरी ओर, जस्टिस कुमार ने पूछा,

"क्या यह लड़की पर निर्भर नहीं होगा कि वह क्या पहनना चाहती है? हां, उनके परिवार के सदस्य कह सकते हैं कि इसे पहन कर जाओ और उन्हें वह पहनना ही होगा. आपको समझना होगा कि छात्र किस बैकग्राउंड से आते हैं."

जस्टिस खन्ना ने कहा,

"छात्रों को कॉलेज छोड़ने के लिए मत कहिए. सर्कुलर पर फिलहाल के लिए रोक रहेगी. छात्रों को उचित और अच्छी शिक्षा दें."

वकील ने आगे कहा कि चेहरा ढकने वाले नकाब/बुर्का बातचीत में बाधा डालते हैं. पीठ ने इस बात पर सहमति जताई. कहा कि क्लास में चेहरा ढकने वाले नकाब की अनुमति नहीं दी जा सकती. पीठ ने आदेश दिया कि इस मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी. आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया कि किसी के द्वारा इस फैसले का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए, अगर ऐसा होता है तो कॉलेज अधिकारी संशोधन की मांग कर सकते हैं. 

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