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'अदालत को सियासी जंग का मैदान...', तिरुपति लड्डू विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने नई SIT बना दी

Tirupati Laddu Controversy: सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि आंध्र प्रदेश सरकार की गठित की हुई SIT टीम तिरुपति मंदिर के घी में मिलावट की जांच नहीं करेगी. Justice BR Gavai और Justice KV Viswanathan की बेंच ने कहा कि जांच के आरोप-प्रत्यारोप की जगह नहीं बनना चाहिए.

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तिरुपति लड्डू मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नई SIT बनाई है (फोटो-आजतक)
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संजय शर्मा

तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिले होने के आरोपों की जांच अब नई एसआईटी करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने नई SIT गठित करने के आदेश के साथ ये भी साफ कर दिया कि राज्य सरकार द्वारा गठित स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम अब मामले की जांच नहीं करेगी. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि ये आस्था से जुड़ा मुद्दा है, लिहाजा स्वतंत्र SIT ही इसकी जांच करेगी.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित इस नई SIT में 5 सदस्य होंगे. जिनमें से दो सदस्य सीबीआई से होंगे, जिन्हें सीबीआई डायरेक्टर नॉमिनेट करेंगे. दो सदस्य आंध्र प्रदेश पुलिस से होंगे, जिनका नामांकन सूबे के राज्यपाल करेंगे. जबकि टीम का पांचवां सदस्य फूड सेफ्टी एवं मानक प्राधिकरण (Food Safety and Standards Authority of India) का कोई सीनियर ऑफिसर होगा. 

आजतक से जुड़े संजय शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार 4 अक्टूबर को मामले की सुनवाई शुरू होने पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा,

हम अदालत को सियासी जंग का मैदान नहीं बनने दे सकते. इसमें आरोप-प्रत्यारोप जैसी बातों की कोई गुंजाइश नहीं है. ये आस्था से जुड़ा मामला है. जिसकी जांच स्वतंत्र SIT करेगी.

इस मामले पर केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार ने कहा,

हमें एसआईटी की क्षमता पर कोई संदेह नहीं है. हम सिर्फ इतना चाहते हैं कि केंद्रीय पुलिस फोर्स के किसी वरिष्ठ अधिकारी को मामले की जांच सौंप दी जाए.

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अगर इस मामले में सच्चाई का कोई अंश है तो यह अस्वीकार्य है. देशभर में भक्त हैं. खाद्य सुरक्षा भी जरूरी है.  

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इससे पहले मामले पर अपना पक्ष रखते हुए आंध्र प्रदेश सरकार के वकील ने कहा कि अगर SIT में किसी अधिकारी को कोर्ट जोड़ना चाहता है तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं है. याचिकाकर्ता की ओर से कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि कल फिर इसको लेकर बयान जारी किया गया. सिब्बल ने अनुरोध किया कि सर्वोच्च न्यायालय इस मामले की जांच का जिम्मा SIT के बजाए किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी को सौप दें.

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