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"...तो दोबारा परीक्षा का आदेश देना होगा", NEET UC पेपर लीक पर सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी

Supreme Court ने केंद्र सरकार, NTA और CBI को 10 जुलाई शाम पांच बजे तक अपने हलफनामे दाखिल करने और उन्हें याचिकाकर्ताओं के साथ साझा करने का निर्देश दिया है.

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CJI चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान कहा कि हमें इस बात को नहीं नकारना चाहिए, हर कोई जानता है कि पेपर लीक हुआ है. (फोटो- PTI)

NEET UG पेपर लीक और NTA की अव्यवस्था के साथ-साथ रिजल्ट में गड़बड़ी से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में 8 जुलाई को सुनवाई हुई (Supreme Court NEET UG paper leak). NEET परीक्षा रद्द करने या नहीं करने से जुड़ी लगभग 30 याचिकाओं पर कोर्ट ने ये सुनवाई की. CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि NTA 5 मई को हुए एग्जाम और पेपर लीक के बीच की समय अवधि के बारे में कोर्ट को बताए. साथ ही बेंच ने CBI को जांच की स्थिति बताते हुए रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई को रखी गई है.

NEET पेपर लीक पर सुप्रीम कोर्ट क्या बोला?

NEET UG पेपर लीक की सुनवाई के दौरान CJI चंद्रचूड़ ने कहा,

“अगर परीक्षा की सुबह छात्रों को आंसर याद करने के लिए कहा जाता तो पेपर लीक इतना व्यापक नहीं होता. अगर हम उन उम्मीदवारों की पहचान नहीं कर पाते हैं जो गलत काम के दोषी हैं, तो दोबारा परीक्षा का आदेश देना होगा.”

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने कहा कि एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू ये भी है कि पेपर लीक हुआ कैसे. अगर सोशल मीडिया से हुआ है तो संभावना है कि लीक व्यापक है. अगर लीक टेलीग्राम/वॉट्सऐप या किसी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से होता है, तो ये जंगल की आग की तरह फैलता है. CJI ने ये भी कहा, “एक बात तो साफ है पेपर लीक हुआ है. सवाल ये है कि ये कितने बड़े स्तर पर हुआ?”

कोर्ट ने NTA को आदेश दिया कि वो अब तक उपलब्ध जानकारी के आधार बताए कि,

1. क्वेश्चन पेपर कब लीक हुआ?
2. किस तरह से पेपर लीक हुए या प्रसारित किए गए?
3. पेपर लीक और पेपर होने के बीच की समय अवधि.

मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि वो ये जानना चाहता है कि क्या पेपर लीक के लाभार्थियों को बेदाग छात्रों से अलग करना संभव है, ताकि ये तय किया जा सके कि दोबारा परीक्षा कराने का आदेश देना चाहिए या नहीं. बेंच ने कहा,

“अगर पेपर की सुचिता प्रभावित हुई है और गड़बड़ी करने वालों को अलग नहीं किया जा सकता तो री-टेस्ट कराना होगा. पर अगर पेपर लीक के लाभार्थियों की पहचान की जा सकती है तो री-टेस्ट की जरूरत नहीं होगी.”

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई को तय की है. कोर्ट ने कहा कि वो सरकार, CBI और NTA द्वारा प्रश्नों के उत्तर दाखिल करने के बाद मामले में मेरिट के आधार पर फैसला करेगा. बेंच ने सरकार से कमेटी के गठन के बारे में भी उसे सूचित करने को कहा, ताकि अदालत ये निर्णय ले सके कि इसमें कुछ और जोड़ने की जरूरत है या नहीं. कोर्ट ने केंद्र सरकार, NTA और CBI को 10 जुलाई शाम पांच बजे तक अपने हलफनामे दाखिल करने और उन्हें याचिकाकर्ताओं के साथ साझा करने का निर्देश दिया है.

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