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राम मंदिर का निर्माण जिन 5 जजों के फैसले की बदौलत संभव हुआ, वो आज क्या कर रहे हैं?

Ram Mandir केस का फैसला सुनाने वाले Supreme Court के उन सभी पांच जजों को प्राण प्रतिष्ठा समारोह का न्योता भेजा गया है.

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ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाले जज (फोटो- आजतक)

9 नवंबर, 2019. वो तारीख जब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के पक्ष में फैसला सुनाया गया (Ayodhya Verdict SC Judges). जिस स्थल पर विवाद था, उसे हिंदू पक्ष को सौंप दिया गया. फैसला सुनाने वाली पांच जजों की बेंच में शामिल रहे तत्कालीन CJI रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi), पूर्व  CJI SA बोबडे (SA Bobde),  CJI DY चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud), पूर्व न्यायाधीश अशोक भूषण और पूर्व जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर (S Abdul Nazeer). इन सभी को राम मंदिर (Ram Mandir) प्राण प्रतिष्ठा समारोह का न्योता भी भेजा गया है.

उन पांच जजों में से जस्टिस DY चंद्रचूड़ बतौर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (Chief Justice of India), अपनी सेवाएं दे रहे हैं. बाकी के चार नाम इन दिनों क्या कर रहे हैं, ये भी जान लेते हैं.

जस्टिस रंजन गोगोई

-जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर, 2019 को भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में रिटायर हुए.

-चार महीने बाद उन्हें राष्ट्रपति ने राज्यसभा में संसद सदस्य के रूप में नियुक्त करने के लिए नामित किया. वो राज्यसभा में सांसद के रूप में बैठने वाले तीसरे सुप्रीम कोर्ट के जज बने.

-उनसे पहले पूर्व जस्टिस रंगनाथ मिश्रा और बहारुल इस्लाम कांग्रेस की तरफ से राज्यसभा के लिए चुने गए थे.

जस्टिस शरद अरविंद बोबडे

-शरद अरविंद बोबडे 23 अप्रैल, 2021 को भारत के मुख्य न्यायाधीश के पद से रिटायर हुए. सुप्रीम कोर्ट में उनका आठ साल का कार्यकाल था.

-रिटायर होने के बाद से उन्होंने कोई आधिकारिक सार्वजनिक पद नहीं संभाला. महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, मुंबई और महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, नागपुर के चांसलर के रूप में काम किया.

जस्टिस अशोक भूषण

- जस्टिस अशोक भूषण जुलाई 2021 में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए.

-चार महीने बाद, नवंबर 2021 में उन्हें राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया. NCLAT प्रमुख के रूप में उनका कार्यकाल चार साल का है.

जस्टिस S अब्दुल नज़ीर

-जस्टिस नज़ीर जनवरी 2023 में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए थे.

-एक महीने बाद उन्हें आंध्र प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया. उनकी नियुक्ति पर काफी विवाद भी हुआ.

-वो अयोध्या राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद में सर्वसम्मत फैसला सुनाने वाली पांच-जजों की बेंच में अकेले मुस्लिम न्यायाधीश थे. सायरा बानो केस में तीन तलाक की संवैधानिक वैधता तय करने वाली वाली बेंच का भी वे हिस्सा रहे हैं. 2016 में की गई नोटबंदी को सही ठहराने वाली बेंच का भी हिस्सा रहे.

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जस्टिस DY चंद्रचूड़

-डी वाई चंद्रचूड़ ने नवंबर 2022 में भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी.

-उनका कार्यकाल दो साल का यानी नवंबर 2024 तक रहेगा.

वीडियो: राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल ना होने वाले राजनीतिक दलों पर कंगना रनौत ने क्या कहा?

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