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नारायण मूर्ति खुद कितने घंटे काम करते थे, सुधा मूर्ति ने बता दिया

सुधा मूर्ति ने बताया कि उनके पति जुनूनी हैं और जीतोड़ मेहनत में विश्वास करते हैं.

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सुधा ने बताया कि नारायण मूर्ति अपना अनुभव ही साझा कर रहे थे. (फोटो- ट्विटर)

जॉब कल्चर पर बहस छिड़ी है. कई कंपनियां हफ्ते में दो वीकली ऑफ अनिवार्य रूप से देने लगी हैं. लेकिन कुछ लोगों/तबकों में चार दिन काम करने का विचार आने लगा है. दुनियाभर में इसकी मिसालें भी हैं. कुछ कंपनियां हफ्ते में तीन दिन ऑफ दे रही हैं. आमतौर पर इसका मकसद बताया जाता है कर्मचारियों की प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ में अच्छा बैलेंस बनाना. इस नए जॉब कल्चर की चर्चा लगातार गरम हो रही थी कि इस पर हथौड़ा मार दिया इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति ने. बीते हफ्ते उन्होंने एक बयान दिया. कहा कि युवाओं को देश के लिए हफ्ते में 70 घंटे काम करना चाहिए.

जॉब सेक्टर का एक बड़ा हिस्सा नारायण मूर्ति की इस राय से सहमत नहीं दिखा. लेकिन कुछ लोग उनकी बात से सीधे, अप्रत्यक्ष रूप से या कोई तर्क देते हुए सहमत नजर आए. इनमें जानी-मानी समाजसेवी और लेखिका सुधा मूर्ति भी शामिल हैं, जो नारायण मूर्ति की जीवनसाथी भी हैं. उन्होंने बताया है कि नारायण मूर्ति खुद 70 घंटों से ज्यादा काम करते थे (Narayan Murthy worked how many hours.)

इंफोसिस फाउंडेशन की हेड और कई किताबों की लेखक सुधा मूर्ति ने न्यूज18 से बात करते हुए बताया कि नारायण मूर्ति खुद हर हफ्ते 80-90 घंटे काम करते थे. सुधा ने बताया कि नारायण मूर्ति अपना अनुभव ही साझा कर रहे थे. उन्होंने कहा,

“नारायण मूर्ति ने खुद हफ्ते में 80-90 घंटे काम किया है इसलिए उन्हें नहीं पता कि इससे कम क्या होता है. वो सच में कड़ी मेहनत में विश्वास करते हैं और उसी तरह रहते थे.”

सुधा मूर्ति ने आगे बताया कि उनके पति जुनूनी हैं और जीतोड़ मेहनत में विश्वास करते हैं. सुधा ने कहा कि लोगों का चीजों को एक्सप्रेस करने का अलग-अलग तरीका होता है. लेकिन वो ऐसे ही रहते थे, इसलिए उन्होंने अपना अनुभव साझा किया.

इंफोसिस CEO ने मूर्ति का बचाव किया

इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति के बयान का बचाव करते हुए कंपनी के CEO मोहनदास पाई ने एक डेटा शेयर किया. पाई ने डेटा के माध्यम से बताया कि शहर में रहने वाले पुरुषों को कितने घंटे काम करना चाहिए. डेटा के मुताबिक भारत में लोग औसत 61.6 घंटे हर हफ्ते काम करते हैं. दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव में ये सबसे ज्यादा है. 78.6 घंटे प्रति हफ्ते. जबकि नागालैंड में 46.8 और मणिपुर में 46.9 घंटे प्रति हफ्ते है. ये डेटा भारत सरकार द्वारा किए गए टाइम यूज सर्वे 2019 का है.

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