राजू पाल हत्याकांड में के गवाह उमेश पाल की हत्या के मामले में यूपी पुलिस ने अतीक अहमद के दो बेटों को हिरासत में लिया है. पुलिस अब तक 14 संदिग्ध लोगों को इस मामले में पकड़ चुकी है.
पूरे इलाहाबाद में दौड़ाकर गोलियों से भूना गया राजू पाल को, जानिए मर्डर वाले दिन की पूरी कहानी!
गैंगस्टर अतीक अहमद के कहने पर बम चले?
आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार, 24 फरवरी को ये हमला तब हुआ, जब उमेश कोर्ट से वापस लौट रहे थे. बताते हैं कि उमेश पाल जैसे ही अपने घर के पास पहुंचे, वैसे ही बदमाशों ने पहले तो उनकी कार पर गोलियों से हमला किया. फिर जब उमेश अपने गनर के साथ कार से निकले और अपने घर की ओर भागे, तो बदमाशों ने उन पर बम फेंके. स्थानीय लोगों ने तीनों को तुरंत स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया. इलाज के दौरान उमेश पाल और उनके गनर संदीप मिश्रा की मौत हो गई. दूसरे गनर राघवेंद्र सिंह का इलाज चल रहा है. उनकी हालत गंभीर बनी हुई है.
उत्तरप्रदेश में उमेश पाल हत्याकांड पर कल से बवाल मचा हुआ है. लेकिन इस हत्या के पीछे की कहानी समझने के लिए जरूरी है बसपा विधायक रहे राजूपाल हत्याकांड की कहानी जानने की.
2003 में मुलायम सिंह यादव की सरकार बनी. अतीक की सपा में वापसी हुई. 2004 के लोकसभा चुनाव में फूलपुर से चुनाव लड़ा. और संसद पहुंच गया. इलाहाबाद पश्चिमी की सीट खाली हुई. अतीक ने अपने भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ को वहां से मैदान में उतारा. लेकिन जिता नहीं पाया. 4 हजार वोटों से जीतकर विधायक बने बसपा के राजू पाल. वही राजू पाल, जिसे कभी अतीक का दाहिना हाथ कहा जाता था. राजू पर भी उस समय 25 मुकदमे दर्ज थे. अतीक के पतन की शुरुआत हो चुकी थी. ये हार अतीक को बर्दाश्त नहीं हुई. अक्टूबर 2004 में राजू विधायक बने. अगले महीने नवंबर में ही राजू के ऑफिस के पास बमबाजी और फायरिंग हुई. लेकिन राजू पाल बच गए. दिसंबर में भी उनकी गाड़ी पर फायरिंग की गई. राजू ने सांसद अतीक से जान का खतरा बताया.
25 जनवरी, 2005. राजू पाल के काफिले पर एक बार फिर हमला किया गया. राजू पाल को कई गोलियां लगीं. फायरिंग करने वाले फरार हो गए. पीछे की गाड़ी में बैठे समर्थकों ने राजू पाल को एक टेंपो में लादा और अस्पताल की ओर लेकर भागे. फायरिंग करने वालों को लगा कि राजू पाल अब भी जिंदा है. एक बार फिर से टेंपो को घेरकर फायरिंग शुरू कर दी गई. करीब पांच किलोमीटर तक टेंपो का पीछा किया गया और गोलियां मारी गईं. अंत में जब राजू पाल जीवन ज्योति अस्पताल पहुंचे, उन्हें 19 गोलियां लग चुकी थीं. डॉक्टरों ने उनको मरा हुआ घोषित कर दिया. आरोप लगा अतीक पर. राजू की पत्नी पूजा पाल ने अतीक, भाई अशरफ, फरहान और आबिद समेत कई लोगों पर नामजद मुकदमा दर्ज करवाया. फरहान के पिता अनीस पहलवान की हत्या का आरोप राजू पाल पर था.
9 दिन पहले ही राजू की शादी हुई थी. बसपा समर्थकों ने पूरे शहर में तोड़फोड़ शुरू कर दी. बहुत बवाल हुआ. राजू पाल की हत्या में नामजद होने के बावजूद अतीक सत्ताधारी सपा में बने रहे. 2005 में उपचुनाव हुआ. बसपा ने पूजा पाल को उतारा. सपा ने दोबारा अशरफ को टिकट दिया. पूजा पाल के हाथों की मेंहदी भी नहीं उतरी थी, और वो विधवा हो गई थीं. लोग बताते हैं, पूजा मंच से अपने हाथ दिखाकर रोने लगती थीं. लेकिन पूजा को जनता का समर्थन नहीं मिला. लोग कहते हैं कि ये अतीक का खौफ था. अशरफ चुनाव जीत गया था.
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