साउथ अफ्रीका में पावर कट की वजह से राष्ट्रपति ने स्टेट ऑफ़ डिजास्टर घोषित कर दिया है. यानी, मामला विकराल है. बात कुछ ऐसी है कि साउथ अफ़्रीका के कई हिस्सों में आधे दिन तक बिजली ही नहीं आती. 12-12 घंटों तक पावर कट्स हो रहे हैं. स्काय न्यूज़ की ख़बर के मुताबिक, 2022 में साउथ अफ्रीका में हुआ कुल पावर कट 4 महीने के बराबर था. यानी, 12 में से 4 महीने बिजली ही नहीं रही. पावर कट की वजह से दुकानों के फ्रिज में रखा सामान सड़ रहा है. इससे दूसरे बिजनेस भी इस प्रभावित हो रहे हैं.
एक दुकानदार ने अलजज़ीरा को बताया,
साउथ अफ्रीका में बिजली की कमी से हाहाकार क्यों मचा है?
साउथ अफ्रीका में बिजली कटौती से खाने के सामान सड़ रहे हैं.
‘हम बिजली लौटने तक इंतजार करते हैं. हम एक जनरेटर का खर्च नहीं उठा सकते, इस वजह से हमारे बहुत से ग्राहक खाली हाथ लौट जाते हैं.’
साउथ अफ्रीका में पवार कट की समस्या नई नहीं है. छोटे-मोटे पवार कट यहां कई सालों से हो रहे हैं लेकिन पिछले 1 साल में ये कुछ ज़्यादा ही बढ़ गया है. इसकी 2 मुख्य वजहें हैं,
साउथ अफ्रीका अपनी ऊर्जा ज़रूरतों का 80 प्रतिशत कोयले से पूरा करता है. कोयले से ही देश की ज़्यादातर बिजली बनाई जाती है. लेकिन पिछले कुछ समय से बिजली बनाने वाली कंपनी को कोयले की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो पा रही है. जानकारों का कहना है कि साउथ अफ्रीका की कोयला खदानों का सही से रख-रखाव नहीं हो पा रहा है. इसके कारण कोयला खनन कम हो गया है. इसकी वजह है, कोयला खदानों को रख-रखाव के लिए मिलने वाली रकम में हुई कटौती.
दूसरी वजह है, बिजली बनाने वाली कंपनी पर भारी भरकम कर्ज़ा-साउथ अफ्रीका में 90 फीसदी से ज़्यादा बिजली की सप्लाई eskom कपंनी करती है. लेकिन पिछले कुछ समय से ये कंपनी घाटे में जा रही है. साउथ अफ्रीका के ट्रेजरी विभाग के अनुसार, इस कंपनी पर लगभग 1 लाख 81 हज़ार करोड़ रुपए से ज़्यादा कर्ज़ा है. इसके चलते कंपनी के कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल पा रहा है. जिससे वहां हड़ताल भी चलती रहती है. इन्हीं सब घटनाओं के चलते दिसंबर 2022 में eskom के CEO ने इस्तीफ़ा दे दिया था.
पावर कट के लिए विपक्ष सीधे तौर पर राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा को ज़िम्मेदार बता रहा है. और विरोध प्रदर्शन कर रहा है.
राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि
‘कोविड को लेकर आपातकाल लगाया गया था. आपातकाल खत्म होने के 10 महीने बाद बिजली संकट की वजह से फिर आपात जैसी स्थिति हो गई है. ऊर्जा संकट हमारी अर्थव्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने के लिए एक संभावित खतरा है. हमारे देश ने कई महीनों तक बिजली की भारी कमी को झेला है, जिससे हमारी अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ है. इस मामले से अधिक प्रभावी और तत्काल निपटने के लिए एक बिजली मंत्री की नियुक्ति की जाएगी’
ये तो था राष्ट्रपति का संबोधन, अब बात करते हैं कि इस पावर कट से साउथ अफ्रीका पर क्या प्रभाव पड़ रहा है?
- इस पावर कट की वजह से देश को हर दिन लगभग साढ़े चार सौ करोड़ का नुकसान हो रहा है.
- विश्व बैंक का अनुमान है कि पावर कट के कारण 2022 में साउथ अफ्रीका की अर्थव्यवस्था को माने लगभग 2 लाख करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ है.
- दुकानों में फ्रिज में रखे जाने वाले खाने के सामान जैसे मीट, दूध, फल और दूसरे सामान ख़राब हो रहे हैं. इसकी वजह दुकानदारों में इन्हें जल्दी से जल्दी बेचने की होड़ मची हुई है.
- पॉल्ट्री फ़ार्म में चूजों के लिए हीटिंग की व्यवस्था नहीं हो पा रही है, जिससे बड़ी संख्या में चूज़े हर दिन मर रहे हैं.
- मुर्दाघरों में लाशों को जलाने में भी दिक्कत आ रही है. हैं.
- वॉटर स्टेशंस सुचारू ढंग से काम नहीं कर पा रहे, जिससे पानी की समस्या भी पैदा हो रही है.
साउथ अफ्रीका विंड और सोलर एनर्जी जैसी नई तकनीकों से बिजली बनाने के बारे में भी सोच रहा है लेकिन कम समय में इतनी ज़्यादा बिजली इन माध्यमों से बनाना भी संभव नहीं है.
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