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'अब सीधे प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति से मुलाकात... ' सोनम वांगचुक ने रिहा होने के बाद क्या बताया है?

रिहाई के बाद सोनम वांगचुक और लद्दाख से आए बाकी लोगों ने महात्मा गांधी के स्मारक राजघाट पर उन्हें श्रद्धांजलि दी. इसके साथ ही उन्होंने अपना अनशन खत्म करने की घोषणा भी की.

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सोनम वांगचुक पुलिस हिरासत से रिहा (फोटो- PTI)

लद्दाख के क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक को 2 अक्टूबर की शाम को पुलिस ने रिहा कर दिया. वो लगभग 36 घंटे तक हिरासत में थे. सोनम वांगचुक ने बताया है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उन्हें उनकी चिंताओं के समाधान के लिए जल्द ही प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति से मुलाकात कराने का आश्वासन दिया है.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, 2 अक्टूबर को रिहाई के बाद सोनम वांगचुक और लद्दाख से आए बाकी लोगों ने महात्मा गांधी के स्मारक राजघाट पर उन्हें श्रद्धांजलि दी. इसके साथ ही उन्होंने अपना अनशन खत्म करने की घोषणा भी की. सोनम वांगचुक ने मीडिया से कहा,

हमने सरकार को अपनी मांगों को सूचीबद्ध करते हुए एक ज्ञापन दिया है. हिमालय में स्थानीय लोगों को सशक्त बनाया जाना चाहिए क्योंकि वो ही इसका सबसे बेहतर तरह से संरक्षण कर सकते हैं. हमने लद्दाख के लिए लोकतांत्रिक व्यवस्था की मांग की है और छठी अनुसूची भी इसका हिस्सा है. आने वाले दिनों में हम प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या गृह मंत्री से मिलेंगे. गृह मंत्रालय ने हमें यही आश्वासन दिया है. एक-दो दिन में बैठक की तारीख की पुष्टि हो जाएगी.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने रिहाई को लेकर जानकारी दी, कहा-

राजधानी के मध्य भागों में धारा 163 लागू कर दी गई है. वहां इकट्ठा नहीं होने और कोई यात्रा आयोजित नहीं करने के आश्वासन के बाद उन लोगों को जाने की अनुमति दी गई.

सोनम वांगचुक को बवाना पुलिस स्टेशन में रखा गया था जबकि अन्य पदयात्री दिल्ली-हरियाणा सीमा पर तीन अन्य पुलिस स्टेशनों में थे. पुलिस सूत्रों का कहना है कि वांगचुक सरकार के साथ बैठक के लिए कुछ और दिनों तक दिल्ली में रह सकते हैं. 

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बता दें, सोनम वांगचुक एक महीने पहले लेह से शुरू हुई 'दिल्ली चलो पदयात्रा' का नेतृत्व कर रहे हैं. ये मार्च, 1 सितंबर को शुरू हुआ था. इसका उद्देश्य केंद्र से चार सूत्री एजेंडे पर लद्दाख के नेतृत्व के साथ रुकी हुई बातचीत को फिर से शुरू करने की मांग है. ये मांगें हैं- राज्य का दर्जा, संविधान की छठी अनुसूची का विस्तार, लद्दाख के लिए लोक सेवा आयोग के साथ-साथ जल्दी भर्ती प्रक्रिया और लेह, कारगिल ज़िलों के लिए अलग लोकसभा सीटें. मार्च शुरू करते हुए वांगचुक ने उम्मीद जताई थी कि गांधी जयंती पर दिल्ली पहुंचने पर सरकार उन्हें अच्छी खबर देगी.

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