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आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए थे कर्नल मनप्रीत सिंह, आज भी वॉयस मैसेज करके बुला रहा है बेटा

कर्नल मनप्रीत सिंह पिछले साल 13 सितंबर को जम्मू-कश्मीर में एक संयुक्त सैन्य अभियान के दौरान वीर गति को प्राप्त हो गए थे. उस समय वह अन्य सैनिकों के साथ गडूल गांव के आसपास के जंगलों में आतंकवादियों के साथ भीषण मुठभेड़ में शामिल हुए थे.

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कबीर को नहीं पता है कि अब उसके पिता कभी वापस नहीं आएंगे. (फ़ोटो/PTI/Unsplash.com)

“पापा बस एक बार आ जाओ, फिर मिशन पर चले जाना.”

ये वॉयस मैसेज़ 7 साल के कबीर ने अपने पिता कर्नल मनप्रीत सिंह को भेजा है. मां से छिपकर. लेकिन कबीर को नहीं पता है कि अब उसके पिता कभी वापस नहीं आएंगे. कबीर कर्नल मनप्रीत सिंह के नंबर पर लगातार वॉयस मैसेज़ भेजकर उनसे वापस आने की विनती करता है. मां से बार-बार कहता है कि एक बार पिता से वीडियो कॉल पर बात करा दें.

कर्नल मनप्रीत सिंह पिछले साल 13 सितंबर को जम्मू-कश्मीर में एक संयुक्त सैन्य अभियान के दौरान वीर गति को प्राप्त हो गए थे. उस समय वह अन्य सैनिकों के साथ गडूल गांव के आसपास के जंगलों में आतंकवादियों के साथ भीषण मुठभेड़ में शामिल हुए थे. मुठभेड़ में कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धोंचक, डेप्युटी सुपरिटेंडेंट पुलिस जम्मू-कश्मीर हुमायूं भट और सिपाही प्रदीप सिंह शहीद हुए थे.

पेड़ का नाम बच्चों के नाम पर रखा

कर्नल मनप्रीत सिंह की पत्नी जगमीत ने NDTV से बातचीत में बताया कि दोनों ने मिलकर दो चिनार के पेड़ लगाए थे और प्यार से उनका नाम अपने बच्चों - कबीर और वाणी - के नाम पर रखा था. जगमीत ने कहा,

"उन्होंने (कर्नल) कहा था कि हम इन पेड़ों को देखने के लिए 10 साल बाद फिर आएंगे. लेकिन अब..."

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जगमीत ने पंजाब के मोहाली से फ़ोन पर PTI को बताया कि कर्नल सिंह कश्मीर में लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कितने संवेदनशील थे. उन्होंने अपने बच्चों को यह भी समझाया कि वह वापस नहीं आएंगे. उन्होंने कहा,

“अक्सर मन (कर्नल मनप्रीत) को रात के अंधेरे में फ़ोन आते थे और वह तुरंत यह सुनिश्चित करते थे कि उन्हें मदद मुहैया कराई जाए. चाहे रात को हमें अस्पताल में जाना हो या कोई भी जरूरत हो.”

जगमीत ने बताया कि उनके पति को स्थानीय लोग शादी-ब्याह, बच्चे के जन्म और ईद मनाने के लिए आमंत्रित करते थे. उनके साथ अपनी आखिरी बातचीत को याद करते हुए, जो 32 सेकंड तक चली, जगमीत ने कहा,

“”ऑपरेशन में हूं" उनके आखिरी शब्द थे, उसके बाद मैंने उनसे कभी बात नहीं की."

कर्नल मनप्रीत सिंह 19 राष्ट्रीय राइफल्स (RR) यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर थे.

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