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सांप पकड़ो! जहर के साथ एक दिन पद्म श्री भी मिल सकता है, मासी और वदिवेल को मिलेगा

क्या है मासी सदाइयां और वदिवेल गोपाल की कहानी?

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मासी सदाइयां और वदिवेल पद्मा अवार्ड से सम्मानित. (फोटो- Twitter@PadmaAwards)

कला, विज्ञान, खेल, मनोरंजन, शिक्षा जैसे क्षेत्रों और समाज के लिए महत्वपूर्ण कार्य करने वालों को हर साल नागरिक सम्मानों से नवाजा जाता है. लेकिन क्या सांप पकड़ना किसी को पद्म पुरस्कार दिला सकता है? जवाब है, हां. दिला सकता है. लंबे समय से सांप पकड़ने वाले तमिलनाडु के दो लोगों को उनके इस योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया है. नाम है मासी सदाइयां और वदिवेल गोपाल (Snake Catchers to receive Padma Award). 

इरुला जनजाति से आने वाले मासी और वदिवेल बचपन से ही सांप पकड़ते आए हैं. वे काफी समय से चेन्नई के इरुलर स्नेक कैचर्स कोऑपरेटिव सोसाइटी के सदस्य हैं. दोनों एंटीवेनम एक्सट्रैक्शन का काम करते हैं. यानी मनोरंजन के लिए नहीं, दवाओं में इस्तेमाल के लिए सांपों को पकड़कर उनका जहर निकालते हैं.

मासी और वदिवेल सांप को अपना भगवान बताते हैं. वे अपने काम में इतने माहिर है कि दुनियाभर में सांप पकड़ने क अपने कौशल को दिखा चुके हैं और लोगों को इसकी ट्रेनिंग दे रहे हैं. इसीलिए उन्हें देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान के लिए चुना गया है. दोनों इस पर खुशी जताई है.

इंडिया टुडे से बातचीत में मासी बताते हैं-

सांप पकड़ना हमारा पारंपरिक काम है और मुझे उन्हें पकड़ने का शौक है. ये काम मुझे मेरे पिता ने सिखाया था. जब मैं सांप पकड़ता हूं तो उसे बच्चे की तरह देखता हूं. वो हमारा भगवान है. बिना किसी उपकरण के मैं बस उन्हें अपने हाथ से पकड़ता हूं.

इरुला भारत के सबसे पुराने समुदायों में से एक है और अनुसूचित जनजाति के तहत आता है. इसके लोग ज्यादातर तमिलनाडु के उत्तर-पूर्वी तट पर रहते हैं. इन्हें सांप पकड़ने का एक्सपर्ट बताया जाता है. औषधि वाले पौधे से उपचार या प्राकृतिक चिकित्सा का काम भी करते हैं. 

एंटीवेनम एक्सट्रैक्शन के लिए मासी ने अब तक कई कोबरा, सामान्य क्रेट, बैंडेड क्रेट और रसेल प्रजाति के सांप पकड़े हैं. एक बार उन्हें सांप डंस भी चुका है. वो कहते हैं,

मुझे क्रेट ने काटा था. सांप का जहर बहुत शक्तिशाली होता है. आप शॉक में चले जाएंगे और आपका शरीर कांपने लगेगा. लेकिन अगर आप बहादुर बनकर शांत रहेंगे तो शरीर में जहर की गति धीमी हो जाएगी.

मासी बताते हैं कि उन्हें पद्म श्री के बारे में कोई जानकारी नहीं है. केवल ये जानते हैं कि उन्हें किसी पुरस्कार से सम्मानित किया जाना है. इसके लिए मासी ने केंद्र और राज्य सरकारों को धन्यवाद किया है. वहीं 54 साल के वदिवेल ने बताया,

जहरीले सांप पकड़ते वक्त हमें जान का डर रहता है. मुझे भी सांप ने काटा है. मैं कुछ हर्बल दवा लगाकर अस्पताल चला जाता हूं.

तमिलनाडु की पर्यावरण सचिव सुप्रिया साहू ने ट्वीट कर दोनों को बधाई दी है.

वदिवेल कहते हैं कि बहुत से लोगों को ये एहसास नहीं है कि स्थानीय समुदाय के कितने लोग हर दिन अपनी जान जोखिम में डालते हैं. कहा कि वे सांप के जहर से लोगों की जान बचाते हैं इसलिए उनके और उनके जैसे लोगों के बारे में सोचा जाना चाहिए. 

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