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फोटोकॉपी वाले ने 3 रुपए नहीं लौटाए, 'बेइज्जत' किया, घर जाकर ग्राहक ने जो किया 25 हजार देने पड़े

जब भी ऐसा कुछ होता है, तो हम लड़ लेते हैं या चुप होकर बैठ जाते हैं, सोचते हैं छोटी बात है. लेकिन इस मामले के पीड़ित शख्स ने बता दिया कि सही रास्ते पर चलकर अपने अपमान का बदला कैसे लिया जाता है?

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तीन रुपये ना लौटाना दुकानदार को पड़ा भारी, अब 25 हजार भरने होंगे (सांकेतिक फोटो- इंडिया टुडे)

ओडिशा के संबलपुर में ग्राहक के साथ बद्तमीजी और मनमानी करने वाले दुकानदार को भारी जुर्माना भरने को कहा गया है. दुकान के मालिक ने फोटोकॉपी कराने आए शख्स को तीन रुपये लौटाने से मना कर दिया था. जब शख्स ने जोर दिया तो वो गाली-गलौज पर उतर आया. कस्टमर ने केस दर्ज कराया. अब कोर्ट ने दुकानदार को 25 हजार रुपये जुर्माना भरने का आदेश दिया है.

इंडिया टुडे से जुड़े अजय नाथ ने मामले पर रिपोर्ट तैयार की है. शिकायतकर्ता का नाम प्रफुल्ल दास है. वो संबलपुर जिले के बुधराजा इलाके में रहते हैं. पेशे से एक पत्रकार हैं. 28 अप्रैल को प्रफुल्ल एक डॉक्यूमेंट की फोटोकॉपी कराने जेरॉक्स की दुकान पर गए थे. एक कॉपी के दो रुपये बने. प्रफुल्ल ने दुकानदार को पांच रुपये दिए. इस उम्मीद से कि उसे तीन रुपये वापस मिलेंगे, लेकिन दुकान के मालिक ने बचे हुए पैसे वापस लौटाने से मना कर दिया.

प्रफुल्ल दास ने मीडिया को बताया,

मैंने दुकानदार को पांच रुपये दिए लेकिन उसने जेरॉक्स के बाद मेरी बाकी रकम नहीं लौटाई. मैंने उससे बार-बार विनती की लेकिन उसने मुझे बुरी तरह अपमानित किया.

प्रफुल्ल के मुताबिक काफी बातचीत के बाद भी जब पैसे वापस नहीं मिले तो वो घर चले गए. घर जाकर उन्होंने इस मामले से निपटने की रणनीति तैयार की. इसके बाद प्रफुल्ल उपभोक्ता अदालत गए और दुकान वाले के खिलाफ मामला दर्ज कराया. 

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26 सितंबर को मामले पर सुनवाई के बाद उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने अपने आदेश में कहा,

आरोपी को निर्देश दिया जाता है कि वो शिकायतकर्ता से जेरॉक्स शुल्क के तौर पर लिए गए 3 रुपये और मानसिक पीड़ा, उत्पीड़न के मुआवजे के तौर पर 25 हजार रुपये 30 दिनों के अंदर शिकायतकर्ता को लौटाए.

इसके अलावा आदेश में कहा गया है कि अगर दुकान का मालिक तय समय में जुर्माना देने में विफल रहता है तो इस रकम पर हर साल 9% की दर से ब्याज लगेगा. अपने फैसले में कोर्ट ने कस्टमर के अधिकारों को कायम रखने और व्यापारिक लेनदेन में सही व्यवहार सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर दिया.