महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल इस साल नवंबर में खत्म हो रहा है. अक्टूबर-नवंबर में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव होने की संभावना है. चुनाव को लेकर NCP (SP) की सक्रियता भी नज़र आने लगी है. पार्टी अजित पवार गुट और BJP के कई नेताओं को अपने पाले में लाने की तैयारी में है. इसका आगाज कोल्हापुर की कागल विधानसभा क्षेत्र से हो चुका है. कागल से भाजपा नेता समरजीत सिंह घाटगे जल्द ही NCP (SP) में शामिल होने वाले हैं. उन्होंने खुद BJP छोड़ने की घोषणा की है.
अजित पवार और BJP को झटका देने की तैयारी में शरद पवार, इस प्लान की किसी को भनक तक नहीं होगी!
Maharashtra Assembly Elections: शरद पवार की NCP (SP) कई विधानसभा क्षेत्रों में अजित पवार और BJP को नुकसान पहुंचाने की रणनीति बनाती नज़र आ रही है.
कोल्हापुर के कागल के बाद सतारा के वाई, सोलापुर के माढा, पुणे के इंदापुर और जुन्नर विधानसभा क्षेत्रों में भी महायुति गठबंधन को झटका लग सकता है. NCP (SP) इन क्षेत्रों में अजित पवार और BJP को नुकसान पहुंचाने की रणनीति बनाती नज़र आ रही है.
कोल्हापुर में NCP (SP) का दांवNCP (SP) समरजितसिंह घाटगे को अपने पार्टी में एंट्री देने की तैयारी में है. 41 साल के समरजितसिंह घाटगे कोल्हापुर के राजघराने से ताल्लुक रखते हैं. वो राजर्षि शाहू महाराज के परिवार से आते हैं. घाटगे ने खुद 23 अगस्त को शरद पवार की पार्टी NCP (SP) में शामिल होने का फैसला लेने की घोषणा की.
समरजितसिंह घाटगे को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का करीबी माना जाता है. NCP (SP) घाटगे को कोल्हापुर के कागल विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतार सकती है. बता दें कि इस सीट से NCP के मंत्री हसन मुश्रीफ मौजूदा विधायक हैं.
घाटगे ने 2019 का चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर कागल से ही लड़ा था. तब वो मुश्रीफ के बाद दूसरे स्थान पर रहे थे. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक BJP छोड़ने के फैसले की जानकारी देते हुए सरमजित घाटगे ने कहा,
"मुझे 2019 में टिकट नहीं दिया गया... जब मैं 2024 के चुनावों की तैयारी कर रहा था, तो वे अब कह रहे हैं कि जिस पार्टी ने सीट जीती, उसे फिर से चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा... इसलिए, मैंने अपना रास्ता खुद तय करने का फैसला किया है."
आजतक के अभिजीत करंडे की रिपोर्ट के मुताबिक, BJP ने समरजितसिंह को MLC का ऑफर दिया था, लेकिन उन्होंने इस ऑफर को ठुकरा दिया. घाटगे ने पार्टी छोड़ने के अपने फैसले की जानकारी BJP के सभी नेताओं को दे दी है.
समरजितसिंह घाटगे 3 सितंबर को आधिकारिक तौर पर शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (SP) में शामिल हो सकते हैं.
समरजितसिंह पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं. युवाओं में उनकी अच्छी- खासी पैठ है. वो सहकारीता क्षेत्र में काफी समय से काम कर रहे हैं. छत्रपति शाहू मिल्क एंड एग्रो प्रोड्यूसर कंपनी के संचालक है और पुणे MHADA के चेयरमैन भी रह चुके हैं.
सतारा की वाई सीट पर NCP (SP) की रणनीतिकोल्हापुर के बाद शरद पवार की पार्टी ने सतारा पर फोकस किया है. यहां NCP (SP) मदन भोसले पर दांव लगाने की कोशिश में है. मदन भोसले शरद पवार की राजनीति के कड़े विरोधी रहे भूतपूर्व कांग्रेस नेता प्रतापराव भोसले के बेटे हैं. NCP (SP) के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटील ने पिछले हफ्ते मदन भोसले से मुलाकात की.
वाई सीट से मदन भोसले 2004 में विधायक रह चुके हैं, लेकिन इसके बाद इस सीट पर मकरंद पाटील लगातार जीत दर्ज करते आ रहे हैं. मकरंद पाटील अजित पवार के साथ हैं और शरद पवार की पार्टी मदन भोसले को अपने साथ लाने की कोशिश में है. दिलचस्प बात ये है कि मदन भोसले साल 2019 में ही BJP में शामिल हुए हैं. उन्हें शुगर मिल्स के लिए मदद मिलने की अपेक्षा थी, जो पूरी नहीं हुई.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मदन भोसले कह चुके हैं कि वो अपने निर्वाचन क्षेत्र के पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं से बात करके कोई फैसला लेंगे. उन्होंने कहा कि हालांकि, वो कांग्रेस छोड़कर BJP में शामिल हुए थे, लेकिन पार्टी ने उनके साथ बुरा व्यवहार किया. उन्होंने कहा कि उन्हें MLC सीट का वादा किया गया था, लेकिन उन्हें कभी नामित नहीं किया गया.
माढा में बबन शिंदे की घर वापसी होगी?सतारा के बाद माढा विधानसभा क्षेत्र में भी खलबली मची हुई है. 6 बार विधायक रहे बबन शिंदे ने अजित पवार का दामन थामा था, लेकिन चुनाव से ठीक पहले अब बबन शिंदे और उनके बेटे रणजितसिंह के NCP (SP) में शामिल होने की अटकलें हैं.
हाल ही में बबन शिंदे ने शरद पवार से पुणे में मुलाकात की. बबन शिंदे इस बार अपने बेटे रणजित को माढा से चुनाव में लड़ाना चाहते है. बबन शिंदे के भतीजे धनराज भी शरद पवार की पार्टी के संपर्क में हैं. ऐसा माना जा रहा है कि राजनीतिक खतरा उठाने के बजाए बबन शिंदे घर वापसी के मूड में हैं.
इंदापुर से हर्षवर्धन पाटील देंगे महायुति को झटका?हर्षवर्धन पाटील 1995 से लगातार चार बार इंदापुर के विधायक रहे हैं. तीन बार निर्दलीय और एक बार कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर. हर्षवर्धन महाराष्ट्र सरकार में सहकारिता और संसदीय कार्यमंत्री रहे हैं. 2014 का चुनाव वो अजित पवार के करीबी दत्ता भरणे से हार गए थे. 2019 में हर्षवर्धन ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी और वो BJP में शामिल हो गए थे.
ऐसा माना जाता है कि 2019 में अजित पवार ने सुप्रिया सुले को मदद करने के बदले में इंदापुर चुनाव क्षेत्र छोड़ने की बात कही थी. लेकिन उन्होंने ऐसा किया नहीं. इसलिए लोकसभा चुनाव में जब अजित पवार की पत्नी खड़ी हुईं, तब हर्षवर्धन ने बागी रुख अपनाया. लेकिन फडणवीस की मध्यस्थता के बाद सब शांत हो गया.
रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार दत्ता भरणे पीछे हटने के मूड में नहीं हैं. वहीं सुप्रिया सुले हर्षवर्धन के लिए सहानुभूति की भाषा बोल रही हैं. हर्षवर्धन ने महाराष्ट्र के राजनीति के लिए जो योगदान दिया है, उसका अपमान नहीं होना चाहिए, ऐसा सुप्रिया सुले ने कहा. सुप्रिया सुले का यही बयान हर्षवर्धन को न्योता माना जा रहा है. अब हर्षवर्धन क्या करेंगे, इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं.
अजित पवार का साथ छोड़ेंगे अतुल बेनके?जबसे लोकसभा चुनाव के नतीजे आए हैं, कहा जा रहा है कि तब से जुन्नर से विधायक अतुल बेनके शरद पवार की पार्टी में जाने के लिए तैयार हैं. हाल ही में अजित पवार की अगुआई वाली NCP के अतुल बेनके ने शरद पवार से मुलाकात की थी.
25 अगस्त को भी जब ओतूर स्थित संस्था में शरद पवार का कार्यक्रम था, तो अतुल बेनके ने उनके स्वागत के बड़े पोस्टर्स लगवाए. इतना ही नहीं, अपने भाषण में भी शरद पवार के काम की काफी सराहना की. अतुल बेनके के पिता वल्लभ बेनके, जो चार बार विधायक रहे, उनका शरद पवार से काफी करीबी रिश्ता रहा है. अब इसका फायदा अतुल बेनके को होगा या नहीं? ये देखना होगा.
महाराष्ट्र में अभी महायुति गठबंधन की सरकार है. महायुति में एकनाथ शिंदे की शिवसेना, BJP और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) शामिल हैं. विपक्ष में है महाविकास आघाडी (MVA). इसमें उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT), शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (SP) और कांग्रेस शामिल है.
लोकसभा चुनावों में, महा विकास अघाड़ी (MVA) ने महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन को चौंकाते हुए 48 में से 30 सीटों पर जीत हासिल की. अजित पवार के नेतृत्व वाली NCP को सिर्फ एक रायगढ़ सीट मिली. वहीं शरद पवार की NCP (SP) को 8 सीटें मिलीं. शरद पवार ने पार्टी में दो फाड़ होने के बाद भी लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल की. इसके बाद सबकी नजरें अब महाराष्ट्र के आगामी विधानसभा चुनाव पर हैं.
वीडियो: 'जहां-जहां PM मोदी ने रोड शो-रैलियां की, वहां-वहां हम जीते'- शरद पवार का तंज