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रूस में हिंदुओं पर हुआ कैसा अत्याचार, जो उन्हें बचाने की लगी गुहार?

पाकिस्तान-बांग्लादेश के हिंदुओं की तरह क्या रूस में रहने वाले हिंदू भी सताए जा रहे हैं?

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ट्विटर पर कई लोगों ने ये तस्वीर रिट्वीट की है. 'सेव रशियन हिंदुज' तो ट्विटर पर खूब ट्रेंड भी कर रहा था.
7 नवंबर, 2017. शाम को ट्विटर देख रही थी. क्या चल रहा है दुनिया में, ये देखने के लिए. ट्विटर इस्तेमाल करने वाले जानते होंगे. यहां एक ट्रेंडिंग सेक्शन होता है. मतलब, ट्विटर पर क्या ट्रेंड कर रहा है. ट्रेंड माने ट्विटर बिरादरी सबसे ज्यादा किस चीज के बारे में बात कर रही है. तो यहां हमें दिखा 'SAVE RUSSIAN HINDUS' का ट्रेंड. माने, रूस में रहने वाले हिंदुओं को बचाओ. हिंदुओं को बचाने वाली बात हम पहले भी देखते-सुनते रहे हैं. मगर, पाकिस्तान और बांग्लादेश वाले हिंदुओं को. रूस में हिंदुओं को मदद की जरूरत है, ये पहली बार देख रही थी. ताज्जुब हुआ. सोचा, चलो पड़ताल की जाए. मामला क्या है, पता तो चले. जो मालूम चला, वो आपको बता रहे हैं. रूस में हिंदुओं को बचाने की गुहार करने वाले इस संदेश का पूरा मामला कुछ यूं है:
मैं और मेरा परिवार रूस की अल्पसंख्यक आबादी का हिस्सा हैं. हम हिंदू हैं. हमारा मानना है कि बाकी सारे धर्मों की ही तरह हिंदू धर्म भी महान है. हमें लगता है कि जब हिंदू बहुसंख्यक आबादी वाला भारत ईसाइयों को हिफाजत से रख सकता है, तो यकीनन रूस भी अपनी अल्पसंख्यक हिंदू जनसंख्या के हितों की रक्षा कर सकता है.
ऐलेक्जेंडर खुद एक कट्टर कैथलिक हैं. वो खुद को ऑर्थोडॉक्स थिओलॉजियन कहते हैं. यानी, ऐसा शख्स जिसे धर्म के स्वरूप में किसी तरह का बदलाव बिल्कुल पसंद न हो.
ऐलेक्जेंडर खुद एक कट्टर कैथलिक हैं. वो खुद को ऑर्थोडॉक्स थिओलॉजियन कहते हैं. यानी, ऐसा शख्स जिसे धर्म के स्वरूप में किसी तरह का बदलाव बिल्कुल पसंद न हो.

करीब सालभर पुरानी है ये याचिका ये एक अपील की चंद पंक्तियां हैं. एक याचिका में दर्ज हैं. चेंज.ओआरजी पर है ये ऑनलाइन याचिका. change.org के कई मेल आपके पास भी आए होंगे. ये याचिकाओं का मंच है. ज्यादा से ज्यादा लोगों के हस्ताक्षर जमा करता है. सब ऑनलाइन. ताकि फिर सरकार और प्रशासन के सामने बात रखी जाए. थोड़ा दबाव बनाया जाए. ये याचिका रूस की राजधानी मॉस्को में रहनेवाले एक सज्जन ने लिखी है. नाम है, प्रसून प्रकाश. याचिका करीब साल भर पुरानी है. इसके ऊपर लाल रंग के शब्दों में लिखा है:
प्लीज, हेल्प हिंदूज़ इन रशिया. यानी, रूस में रह रहे हिंदुओं की मदद कीजिए.
change.org पर प्रसून द्वारा डाली गई याचिका का स्क्रीनशॉट.
change.org पर प्रसून द्वारा डाली गई याचिका का स्क्रीनशॉट.

27 सालों से रूस में रह रहे एक भारतीय से जुड़ा है मामला मदद किसलिए करनी है? इसका जवाब याचिका के ऊपर दिए गए टाइटल में है. ये शीर्षक है, 'रूस में रहने वाले हिंदू कट्टरपंथी तत्वों के जोर-जुल्म से हिफाजत चाहते हैं. ये जो प्रसून हैं, उनके पिता का नाम है प्रकाश जी. प्रकाश पिछले 26 सालों से रूस में रह रहे हैं. धार्मिक शख्स हैं. प्रसून के अलावा उनका एक और बच्चा है. पूरा परिवार साथ रहता है. ऐसा नहीं कि उन्होंने भारत की नागरिकता छोड़ दी है. वो अभी भी इंडियन ही हैं, मगर रहते रूस में हैं. प्रकाश जी की एक संस्था भी है. सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ कंजर्वेशन ऐंड डिवेलपमेंट ऑफ इंडियन कल्चर श्री प्रकाश धाम. रूस के जस्टिस डिपार्टमेंट में रजिस्टर्ड है ये संस्था. 2002 से. हिंदू होने के कारण निशाना बनाया जा रहा है! प्रसून और उनके परिवार का कहना है कि रूस में उन्हें तंग किया जा रहा है. हिंदू होने के कारण उन्हें निशाना बनाया जा रहा है. इल्जाम ऐलेक्जेंडर द्वोरकिन नाम के एक शख्स पर हैं. ऐलेक्जेंडर खुद ईसाई धर्म मानते हैं. कैथलिक हैं. कट्टर कैथलिक. आरोप है कि ऐलेक्जेंडर और उनके समर्थक पिछले दो साल से प्रकाश जी के परिवार को तंग कर रहे हैं. उनका जीना हराम कर दिया है. हमने ऐलक्जेंडर के बारे में इंटरनेट पर थोड़ी जांच-पड़ताल की. वो खुद को रिसर्चर बताते हैं. अभी की दुनिया में लोग जिन संप्रदायों और पंथों को मानते हैं न, उन पर रिसर्च करते हैं. साथ ही, वो चर्च के इतिहास पर भी पकड़ रखने का दावा करते हैं. अपनी याचिका में प्रसून लिखते हैं:
मेरे पिता श्री प्रकाश जी बहुत आध्यात्मिक हैं. वो लोगों को भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म से जुड़ी चीजें बताते हैं. उन्हें, जो ये सब जानना चाहते हैं, योग वगैरह भी सिखाते हैं. ऐलेक्जेंडर द्वोरकिन ने लोगों की नजर में आने के लिए हमारे पापा को निशाना बनाया. वो इसके बहाने रूस में रहने वाले हिंदुओं को सताना चाहते हैं. ऐलेक्जेंडर लगातार हिंदू धर्म के बारे में बुरा बोलते हैं. वो तो इसे धर्म तक नहीं मानते. अपनी बातों से वो दुनियाभर में रहने वाले करोड़ों हिंदुओं की बेइज्जती करने की भरपूर कोशिश करते हैं. हिंदू धर्म के बारे में बिना जाने, बिना समझे वो लगातार इसके बारे में गंदगी उगलते हैं. ऐलेक्जेंडर के दिल में हिंदुओं के लिए नफरत भरी हुई है. वो रूस में रहने वाले हिंदुओं को खासतौर पर नापसंद करते हैं. ऐसे में हमें आगे आना पड़ा. उन्हें चुनौती देनी पड़ी.
प्रकाश जी के फेसबुक पेज पर लगा कवर फोटो.
प्रकाश जी के फेसबुक पेज पर लगा कवर फोटो.

ऐलेक्जेंडर द्वोरकिन नाम के शख्स पर है इल्जाम ऐलेक्जेंडर की अपनी एक वेबसाइट है. http://iriney.ru/ नाम है इसका. इस पूरी वेबसाइट पर धर्म ही धर्म भरा हुआ है. इस धर्म की बातें, उस धर्म की बातें. आलोचना. निंदा. कुछ साल पहले ऐलेक्जेंडर ने गीता भी जलाई थी. इल्जाम है कि ऐलेक्जेंडर हिंदू देवी-देवताओं की खिल्ली उड़ाते हैं. कृष्ण तो खासतौर पर उनके निशाने पर रहते हैं. खैर. तो बात ये हुई कि प्रकाश जी ने ऐलेक्जेंडर की वेबसाइट पर कानूनी कार्रवाई की. उसे नोटिस भेजा. प्रसून के मुताबिक, इसके बाद ऐलेक्जेंडर और ज्यादा आक्रामक हो गए. उनकी ओर से धमकी दी जाने लगी. यहां तक कि 11 दिसंबर, 2016 को ऐलेक्जेंडर ने अपने कुछ लोगों को भेजकर प्रकाश परिवार को डराया-धमकाया भी. वैसे उस मुकदमे का आगे चलकर कुछ नतीजा नहीं निकला. अदालत ने प्रकाश जी की याचिका रद्द करते हुए कहा कि ऐलेक्जेंडर को अपनी बात कहने की आजादी है.
प्रकाश जी का ट्विटर पेज.
प्रकाश जी का ट्विटर पेज. वो खुद को सनातन परंपरा को माननेवाला बताते हैं. कृष्ण में विशेष आस्था रखते हैं. शायद इसीलिए मोरपंख को कवर फोटो बनाया है.

बस इससे टूट जाएगी भारत और रूस की सालों पुरानी दोस्ती! प्रसून के मुताबिक, ऐलेक्जेंडर अपने इरादे मुकम्मल करने के लिए रूसी मीडिया का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. वो मीडिया के सहारे हिंदू धर्म और प्रकाश परिवार की बदनामी कर रहे हैं. इसी क्रम में रूस के एक चैनल 'रशिया-1' ने 14 दिसंबर, 2016 को एक खबर दिखाई. दो मिनट की. प्रसून के मुताबिक, इसमें उनके पिता पर झूठे इल्जाम लगाए गए. यहां तक कि उनके धर्म को महज एक संप्रदाय साबित करने की भी कोशिश की गई. ये सब बातें बताकर प्रसून ने लोगों से समर्थन मांगा है. न केवल अपने परिवार के लिए, बल्कि हिंदू धर्म के लिए भी. उनका कहना है कि इस तरह कट्टरपंथियों द्वारा हिंदुओं को निशाना बनाए जाने से रूस और भारत के रिश्ते खराब हो सकते हैं. उन्होंने आशंका जताई है कि इस मामले के कारण आगे चलकर भारत और रूस के दोस्ताना रिश्ते बिगड़ सकते हैं.
 'ताकि दुनिया को पता चले, संघर्ष करने से नहीं डरते हैं हिंदू' प्रकाश जी का एक फेसबुक पोस्ट भी हमें दिखा. इसके मुताबिक, रूस और भारत के विदेश विभाग को इस पूरे मामले की जानकारी है. प्रकाश जी ने मोदी जी से मिलने का समय भी मांगा है. ताकि अपनी बात विस्तार से समझा सकें. उन्होंने एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाला है. इसमें राष्ट्रपति पुतिन को संबोधित किया गया है. उन तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की गई है. प्रकाश जी ने लिखा है कि इस मामले का पूरी दुनिया के हिंदुओं तक पहुंचना बेहद जरूरी है. ताकि हर हिंदू इस बारे में पढ़ सके, जान सके. ताकि लोगों को पता चले कि हिंदू अपने धार्मिक अधिकारों के लिए जी-जान लगाकर संघर्ष करने से डरते नहीं हैं. वैसे, अपने एक फेसबुक पोस्ट में प्रकाश जी ने लिखा है कि राष्ट्रपति पुतिन ने पहले एक बार इस मामले में दखल दिया. इसके बाद चीजें थोड़ी बेहतर हुईं. मगर फिर उसी ढर्रे पर लौट आईं. उनका ये पोस्ट पढ़िए:

क्या करते हैं ये ऐलेक्जेंडर द्वोरकिन हमने ऐलेक्जेंडर के बारे में थोड़ा और जानने की कोशिश की. पता चला कि वो ऐंटी-कल्ट आंदोलन से जुड़े हुए हैं. ये जो मूवमेंट है, वो किसी नए पंथ, किसी नए संप्रदाय के खिलाफ होता है. काफी पढ़े-लिखे हैं. धर्म और संप्रदाय वगैरह पर बहुत काम किया है. रूस के लोगों के बीच ऐलेक्जेंडर एक जाना-पहचाना चेहरा हैं. अक्सर टीवी पर आते रहते हैं. बस रूस में नहीं, बल्कि कई यूरोपीय देशों में भी उनका प्रोग्राम आता है. एक दर्जन से ज्यादा किताबें लिख चुके हैं. उनकी लिखी चीजों और इंटरव्यू वगैरह का 16 से ज्यादा भाषाओं में अनुवाद हो चुका है. कई लोग उन्हें 'नास्तिक चरमपंथी' भी कहते हैं. खासतौर पर वो लोग, जिनका ऐलेक्जेंडर विरोध करते हैं. एक साइंटोलॉजी संप्रदाय है. उसके बारे में तो खूब लिखते-बोलते हैं ऐलेक्जेंडर. साइंटोलॉजी का क्या बताएं. कभी तसल्ली से बताएंगे. किसी और लेख में. यहां लिखने लगे उसके बारे में, तो सब फैल जाएगा. इतना जान लीजिए कि वो टॉम क्रूज हैं न. हॉलिवुड के हीरो. वो भी मानते हैं इस साइंटोलॉजी को.
देखने में ये पूरा मामला ऐसा भी लगता है कि एक कट्टर धर्मांध दूसरे धर्मों की आलोचना कर रहा हो और बाकी धर्मों और संप्रदायों को नकारने में लगा हुआ है. वैसे, प्रकाश जी ऐलेक्जेंडर के अकेले शिकार नहीं हैं.
देखने में ये पूरा मामला ऐसा भी लगता है कि एक कट्टर धर्मांध दूसरे धर्मों की आलोचना कर रहा हो और बाकी धर्मों और संप्रदायों को नकारने में लगा हुआ है. वैसे, प्रकाश जी ऐलेक्जेंडर के अकेले शिकार नहीं हैं.

किसी खास धर्म या संप्रदाय को नहीं बनाते निशाना तो ऐलेक्जेंडर जो हैं, उन्होंने साइंटोलॉजी, जेहोवा विटनेस समेत कई संप्रदायों की मुखालफत की है. उनकी आलोचना की है. इस लिस्ट में 'हरे कृष्ण' संप्रदाय भी शामिल है. उनका कहना है कि इन संप्रदायों में बहुत लोकतंत्र नहीं है. एक आदमी की ही चलती है. उसको ही मानते हैं. उसका कहा ही करते जाते हैं. हमने ऐलेक्जेंडर की वेबसाइट पर ताक-झांक की. कई लेख दिखे. कुछ ऐसे भी थे, जहां हिंदू धर्म और वैदिक संस्कृति की आलोचना की गई थी. मगर ज्यादातर लेख किसी मामले से जुड़े हुए थे. जैसे, एक लेख नजर आया. 3 नवंबर, 2017 का है. इसमें किसी खुलासे का जिक्र है. इसमें किसी सेरेगी किरिऐंको का जिक्र है. जिसने कोई 'कौल धर्म' नाम का संप्रदाय बनाया था. उसका मानना था कि जितना सेक्स करोगे, उतना ज्ञान मिलेगा. जितना ज्यादा सेक्स करो, उतना ही ज्यादा अच्छा है. तो इसका जिक्र करते हुए लेख में कहा गया है:
एक फिटनस ट्रेनर ने संप्रदाय बनाया और मुक्ति-मोक्ष के नाम पर वेश्यावृति को सही ठहराता था. ये संप्रदाय वैदिक संस्कृति, हिंदू धर्म और इस तरह की चीजों से भरा पड़ा था.
एक लेख और है. 16 अक्टूबर, 2017 का. इसमें योग की आलोचना की गई है. लेख के मुताबिक, कई बार योग फायदे की जगह नुकसान कर देता है. इसमें एक लाइन है:
क्या ये सही है कि भारतीय योग गुरु भी चोटिल हुए बिना योग नहीं कर पाते?
एक और खबर टाइप का लेख है. 1 अक्टूबर, 2017 का. इसकी हेडिंग है:
योग सिखाने वाला गुरु जालिम हत्यारा निकला
ऐलेक्जेंडर की वेबसाइट पर राम रहीम का मामला भी मिला वो राजस्थान वाले फलाहारी बाबा थे न. जिन पर बलात्कार का आरोप है. उनकी खबर भी ऐलेक्जेंडर की वेबसाइट पर है. लिखा है, 'भारत में एक और गुरु गिरफ्तार'. डेरा सच्चा सौदा के राम रहीम की खबर भी पूरे विस्तार के साथ यहां कवर की गई. ऐलेक्जेंडर की वेबसाइट पर हमें एक लेख प्रकाश जी पर भी मिला. इसमें लिखा है, 'भारत के उस धूर्त, कपटी की एक और हार'. इसके मुताबिक, प्रकाश जी द्वारा दाखिल किया गया मुकदमा अदालत ने खारिज कर दिया.
ब्रसल्स के 'ह्यूमन राइट्स विदाउट फ्रंंटियर्स इंटरनैशनल' ने भी प्रकाश जी और ऐलेक्जेंडर के इस मामले को अपनी वेबसाइट पर जगह दी.
ब्रसल्स के 'ह्यूमन राइट्स विदाउट फ्रंंटियर्स इंटरनैशनल' ने भी प्रकाश जी और ऐलेक्जेंडर के इस मामले को अपनी वेबसाइट पर जगह दी.

कई और वेबसाइट्स ने भी ऐलेक्जेंडर की निंदा की है फिर हमें एक लेख मिला. ऐलेक्जेंडर के बारे में. इसे लिखा है ह्युमन राइट्स विदआउट फ्रंटियर्स इंटरनैशनल. ये संस्था ब्रसल्स में बनी थी. 2001 में. इनकी वेबसाइट है. http://hrwf.eu/ इसमें 2 फरवरी, 2017 का एक लेख है. इस लेख में भी प्रकाश जी द्वारा ऐलेक्जेंडर पर लगाए गए इल्जामों का जिक्र है. लिखा गया है कि प्रकाश जी कानूनी दायरे में अपने और हिंदू समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं. एक और लेख मिला. http://www.scientologyreligion.org पर. ये लेख 9 जून, 2017 का है. इसमें भी ऐलेक्जेंडर और उनके समर्थकों द्वारा हिंदू धर्म को निशाना बनाए जाने की बात कही गई है. इसे 'धार्मिक उत्पीड़न' का मामला बताया गया है. इंटरनेट की खुदाई करते हुए हमें इस मामले से जुड़ी एक और जानकारी मिली. प्रसून की याचिका के बाद दिल्ली में करीब 1,000 लोगों ने दिल्ली में विरोध प्रदर्शन भी किया था. इसमें ऐलेक्जेंडर द्वोरकिन का पुतला भी जलाया गया.
प्रकाश जी के बेटे प्रसून. ये भी रूस में रहते हैं. चेंज. ओआरजी पर जो याचिका है, वो इन्होंने ही डाली है.
प्रकाश जी के बेटे प्रसून. ये भी रूस में रहते हैं. चेंज. ओआरजी पर जो याचिका है, वो इन्होंने ही डाली है.

खुद एक ईसाई संत को बहुत मानते हैं ऐलेक्जेंडर कुल मिलाकर बात ये समझ आई कि ये जो महानुभाव हैं, ऐलेक्जेंडर द्वोरकिन, वो ज्यादातर धर्मों और संप्रदायों के बारे में अच्छी राय नहीं रखते. इनसे जुड़ी ज्यादातर बातें उनको ढकोसला लगती हैं. हां, इनकी वेबसाइट के ऊपर ईसाई संत इरानायस का जिक्र है. संत इरानायस की तस्वीर भी है. ये संत इरानायस रोमन साम्राज्य के दौर में एक ईसाई बिशप थे. माने, ऐलेक्जेंडर संत इरानायस को बहुत मानते हैं. उनकी आस्था ईसाई धर्म में है. ऐलेक्जेंडर अच्छे-खासे मशहूर हैं. लोग देखते-सुनते हैं उनको. ऐसा नहीं कि किसी खास धर्म या संप्रदाय से चिढ़ हो उनको. जहां तक लगता है, तो उनको कई धर्मों से इकट्ठा दिक्कत है. धर्म गुरुओं से खास खुन्नस खाते हैं. हालांकि वो खुद भी एक संत में आस्था रखते हैं.
प्रकाश जी ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो डाला है. इसमें उन्होंने रूस के राष्ट्रपति पुतिन तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की है. प्रकाश जी ने भारत के लोगों से भी मदद मांगी है.
प्रकाश जी ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो डाला है. इसमें उन्होंने रूस के राष्ट्रपति पुतिन तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की है. प्रकाश जी ने भारत के लोगों से भी मदद मांगी है.

धर्म गुरुओं को शक की नजर से देखते हैं खैर, आगे बढ़ते हैं. ऐसा कोई शख्स जो धर्म या आध्यात्म जैसी बातों के कारण लोगों में प्रचलित हो और लोग उसको गुरु जी टाइप मानने लगें, तो उसको ये ऐलेक्जेंडर साहब शक की नजर से देखते हैं. इसी कड़ी में एक नाम प्रकाश जी का भी है. चूंकि वो धर्म-कर्म के बारे में बात करते हैं और लोगों को इसके बारे में बताते हैं, तो कई लोगों के बीच में उनकी छवि भी धर्म गुरु टाइप बन गई है. शायद इसी वजह से वो ऐलेक्जेंडर के निशाने पर आए. इतना ही नहीं, ऐलेक्जेंडर कई बुरे लोगों और अपराधियों के बहाने पूरे धर्म और संप्रदाय को गलत मान लेने की भी गलती करते हैं कई बार. वैसे ही जैसे लोग कुछ आतंकवादियों के कारण दुनियाभर के मुसलमानों को गलत कह देते हैं. हमने आपको वो 'कौल धर्म' वाला किस्सा सुनाया. उस मामले में भी ऐलेक्जेंडर की वेबसाइट का ऐसा ही रवैया था.
ऐलेक्जेंडर की विचारधारा और गतिविधियां भले काफी कट्टर हों, मगर अभी तक ये मामला प्रकाश जी बनाम ऐलेक्जेंडर का ही लग रहा है. ऐलेक्जेंडर हिंदू धर्म की आलोचना जरूर करते हैं, मगर रूस में हिंदुओं को किसी तरह का खतरा हो, ये तो नहीं लगता.
अभी तक ये मामला प्रकाश जी बनाम ऐलेक्जेंडर का ही लग रहा है.  इसके पीछे प्रकाश जी का हिंदू होना एक बड़ी वजह हो सकती है. वैसे ऐलेक्जेंडर भले हिंदू धर्म के लिए तल्ख बातें करते हों, मगर रूस में हिंदुओं को सामूहिक रूप से कोई खतरा हो, ऐसा नहीं लगता.

रूस में हिंदुओं पर जुल्म हो रहा हो, इसका कोई सबूत नहीं मिला हमसे पूछो, तो ये बात गलत है. किसी एक खास धर्म या संप्रदाय को मानना अलग बात है. मगर बाकी सबको मूर्ख और मक्कार मानना बिल्कुल अलग बात है. अगर प्रकाश जी कुछ गलत कर रहे हैं और ये बात ऐलेक्जेंडर को मालूम हो, तो वो कानून के पास जा सकते हैं. प्रकाश जी की शिकायत कर सकते हैं. बाकी काम कानून का है. वो जांच-पड़ताल करेगी. जहां तक बात किसी धर्म के बारे में भला-बुरा कहने की है, तो ये हक किसी के पास नहीं. बिना किसी को नुकसान पहुंचाए और बिना कोई गलत काम किए, आप चाहें तो किसी को भी पूज सकते हैं. इसमें सही-गलत तय करने का हक तो किसी का नहीं है. अगर ऐलेक्जेंडर को लगता है कि वो ये अधिकार रखते हैं, तो ये सरासर गलत है. हां, जहां तक वो 'सेव रशियन हिंदुज' वाले ट्विटर ट्रेंड की बात है, तो वो समझ नहीं आया. उससे तो ऐसा लगता है कि रूस में हिंदुओं की जान आफत में है. ऐसे जैसे म्यांमार में रोहिंग्या का हाल है. चीन में उइगर मुसलमानों का हाल है. जैसे इराक में यजीदों का हाल था. जैसे पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय का हाल है. जैसे बांग्लादेश में हिंदुओं का हाल है. हमें फिलहाल ऐसा कुछ नहीं मिला, जो ये साबित करे कि रूस में रह रहे हिंदुओं को सामूहिक रूप से कोई खतरा हो.


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