उत्तर प्रदेश के संभल जिले की शाही जामा मस्जिद (Sambhal Mosque) विवादों में है. जहां एक पक्ष का दावा है कि इस जगह पर पहले श्रीहरिहर मंदिर हुआ करता था तो वहीं दूसरे पक्ष का मानना है कि ये उनकी ऐतिहासिक मस्जिद है. मामले ने तूल पकड़ना तब शुरू किया जब सर्वे के लिए एक टीम मस्जिद के अंदर पहुंची और विवादित जगहों की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की. गुरूवार, 21 नवंबर को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की गई. पोस्ट में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जुमे की नमाज में शामिल होने की अपील की गई थी. इस पोस्ट के बाद पुलिस प्रशासन हाई अलर्ट पर है. जुमे की नमाज से पहले जिले के डीएम और एसपी ने RRF और PAC के जवानों के साथ संवेदनशील इलाकों में पैदलमार्च किया.
संभल मस्जिद विवाद: जुमे की नमाज से पहले सोशल मीडिया पोस्ट ने बढ़ाया तनाव, चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात
Sambhal Mosque Controversy: संभल जिले की शाही जामा मस्जिद विवादों में है. हिंदू पक्ष का दावा है कि इस जगह पर पहले श्रीहरिहर मंदिर हुआ करता था तो वहीं मुस्लिम पक्ष का मानना है कि ये उनकी ऐतिहासिक मस्जिद है. विवाद के बाद से पुलिस प्रशासन हाई अलर्ट पर है.
मंगलवार, 19 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन ने संभल की चंदौसी सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की कोर्ट में याचिका लगाई थी. याचिका में दावा किया गया कि जामा मस्जिद के पहले वहां पर श्रीहरिहर मंदिर था. इसके लिए उनकी तरफ से दो किताबों और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की एक रिपोर्ट का हवाला दिया गया है. इनमें बाबरनामा, आइन-ए-अकबरी और ASI की एक 150 साल पुरानी एक रिपोर्ट शामिल है.
याचिका दायर होने के बाद कोर्ट ने मस्जिद का सर्वे कराने का आदेश दिया. सर्वे के लिए एक टीम मस्जिद पहुंची. मस्जिद के अंदर टीम ने विवादित जगह की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की. इस दौरान मस्जिद के बाहर दूसरे पक्ष के लोग इकट्ठा हो गए और उन्होनें पुलिस प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. भारी पुलिस की मौजूदगी के बावजूद वहां हालात तनावपूर्ण हो गए. यह पक्ष लगातार कह रहा है कि ये उनकी ऐतिहासिक मस्जिद है, जो कभी नहीं हट सकती. कोर्ट में याचिका डालकर माहौल को खराब करने का प्रयास किया जा रहा है.
विवाद के बाद से ही सोशल मीडिया पर लगातार पोस्ट हो रहे हैं. इसी क्रम में एक पोस्ट जुमे की नमाज के दिन लोगों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में इकट्ठा करने के लिए की गई थी. जैसे ही इसकी भनक लगी, पुलिस प्रशासन तुरंत हाई अलर्ट मोड पर आ गया. जुमे की नमाज से पहले जिले के डीएम और एसपी ने RRF और PAC के जवानों के साथ संवेदनशील इलाकों में पैदल मार्च किया.
डीएम ने कहा कि अगर किसी ने माहौल खराब करने की कोशिश की तो उसे परिणाम भुगतने होंगे. वहीं SP ने असामाजिक तत्वों को दी कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि अराजकता फैलाने वालो के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. सोशल मीडिया पर पैनी नजर रखी जा रही है.
सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट करने वाले दो लोगों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई है. शहर में जगह-जगह CCTV लगाए गए हैं और ड्रोन कैमरे से भी निगरानी की जा रही है. मस्जिद जाने के लिए तीन रास्ते हैं, जिन पर दो रास्तों को फिलहाल बल्ली और बैरियर लगाकर बंद कर दिया गया है.
आज तक की खबर के मुताबिक याचिका दायर करने वाले वकील विष्णु शंकर जैन का कहना है,
“संभल में श्री हरिहर मंदिर हमारी आस्था का केंद्र है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यहां पर कल्कि अवतार होना है. वर्ष 1529 में बाबर ने मंदिर को तोड़कर उसे मस्जिद में बदलने की कोशिश की थी. इसलिए हमने याचिका लगाई है. सर्वे के बाद सच्चाई सामने आ जाएगी.”
वहीं, दूसरी तरफ संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क का कहना है,
“सर्वे में कुछ नहीं मिला है. ये मस्जिद थी, मस्जिद है और मस्जिद ही रहेगी. हमारी मस्जिद ऐतिहासिक है और बहुत पुरानी है. 1991 में सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया था कि 1947 से जो भी धार्मिक स्थल जिस स्थिति में हैं, वे अपने स्थान पर ही रहेंगे. उसके बाद भी सर्वे याचिका डालकर माहौल खराब किया जा रहा है.”
फिलहाल के लिए कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 29 नवंबर तय कर दी है.
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