सदगुरु जग्गी वासुदेव (Sadhguru Jaggi Vasudev) ने मद्रास हाई कोर्ट के एक निर्देश को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दी थी. वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने मामले की तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया था. दरअसल, हाई कोर्ट ने पुलिस को सदगुरु के ईशा फाउंडेशन के खिलाफ आपराधिक मामलों की जानकारी हासिल करने के लिए कहा था. अब शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट के निर्देश के बाद शुरू हुई पुलिस की कार्रवाई पर रोक लगा दी है.
सदगुरु के ईशा फाउंडेशन पर लड़कियों के ब्रेनवॉश का आरोप, पुलिस एक्शन पर SC ने क्यों लगा दी रोक?
Sadhguru Jaggi Vasudev के आश्रम के खिलाफ Madras High Court के फैसले पर रोक लगा दी गई है. Supreme Court ने कहा है कि ऐसे संस्थानों में पुलिस या आर्मी को घुसने नहीं दिया जा सकता. ये पूरा मामला है क्या? क्यों कोर्ट ने ऐसा कहा?
इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े अनंथाकृष्णन जी की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में पुलिस की कार्रवाई पर ‘स्टेट्स रिपोर्ट’ सौंपी जाए. इससे पहले 2 अक्टूबर को रोहतगी ने CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने दलील दी कि आश्रम का रिकॉर्ड बेदाग रहा है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी इस मामले में कहा कि हाई कोर्ट को आदेश पारित करते समय अधिक सतर्क रहना चाहिए था.
Sadhguru पर केस क्यों हुआ?एक रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ. एस कामराज ने सदगुरु पर केस किया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि उनकी दो पढ़ी-लिखी बेटियों का ‘ब्रेनवॉश’ कर उन्हें ईशा योग केंद्र में रखा जा रहा है. दोनों महिलाएं मद्रास हाई कोर्ट के समक्ष उपस्थित हुई थीं. उन्होंने कहा था कि वो अपनी मर्जी से वहां हैं. उन्होंने अपने पिता पर आरोप लगाया कि उनकी ओर से ये उत्पीड़न पिछले 8 सालों से हो रहा है.
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा था कि वो दोनों महिलाओं से अपने चैंबर में ऑनलाइन बात करेगी. दोनों महिलाएं सुप्रीम कोर्ट के समक्ष ऑनलाइन पेश हुईं भी. और उन्होंने मद्रास हाई कोर्ट में दिए अपने बयान को दोहराया. बेंच ने ये भी कहा कि बेशक ऐसे संस्थानों में आर्मी या पुलिस को घुसने नहीं दिया जा सकता.
मद्रास हाई कोर्ट के फैसले के बाद 1 अक्टूबर कोयंबटूर ग्रामीण पुलिस ने एक्शन लिया. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में 150 पुलिसकर्मी ईशा फाउंडेशन के आश्रम में दाखिल हुए.
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मद्रास हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के जस्टिस शिवगनम ने सदगुरु को लेकर भी टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति जिसने अपनी बेटी की शादी कर दी. और उनका जीवन अच्छे से स्थापित कर दिया, वो दूसरों की बेटियों को सिर मुंडवाने और एक संन्यासी का जीवन जीने के लिए क्यों कह रहा है. बहरहाल, अब इस मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी.
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