साबरमती एक्सप्रेस (Sabarmati Express) में यात्रा कर रहे एक शख्स की बीच सफर में मौत का मामला सामने आया है. ट्रेन में सवार बाकी यात्रियों को घंटों तक नहीं पता चला कि वो एक शव के साथ सफर कर रहे हैं. मृतक के साथ उसकी पत्नी, एक दोस्त और दो बच्चे भी यात्रा कर रहे थे. लगभग 13 घंटों बाद यात्रियों ने विरोध किया तो शव को ट्रेन से निकाला गया.
साबरमती एक्सप्रेस में शख्स की मौत, 13 घंटे तक शव के साथ यात्रा करते रहे लोग
मृतक के दोस्त ने कहा- मैंने देखा कि वो मर चुका था लेकिन मैंने किसी को नहीं बताया.
दैनिक भास्कर ने मामले पर रिपोर्ट तैयार की है. मृतक का नाम रामकुमार कोरी है. उम्र 36 साल. वो अयोध्या के इनायत नगर थाना में मझलई गांव का रहने वाला था. खबर है कि वो 15 साल से सूरत में गाड़ी चलाने का काम करता था. 11 साल पहले उसकी शादी प्रेमा से हुई. दोनों के दो बच्चे हैं.
मृतक की पत्नी ने बताया कि कुछ दिन पहले रामकुमार का एक्सीडेंट हुआ था जिसमें उसके सिर पर गंभीर चोट आई थी. प्रेमा ने बताया कि अस्पताल आने-जाने में दिक्कत हो रही थी जिसके चलते उन्होंने रामकुमार को गांव ले जाने का फैसला किया. मदद के लिए प्रेमा रामकुमार के दोस्त सुरेश को भी ले गई.
1-2 दिसंबर की रात को वो साबरमती ट्रेन से गांव के लिए रवाना हुए. रामकुमार को व्हीलचेयर से ले जाया गया. सफर के बीच में ही रामकुमार की मौत हो गई. दोस्त सुरेश ने अखबार को बताया,
सुबह आठ बजे ट्रेन उज्जैन के पास पहुंची थी. मैंने देखा कि रामकुमार मर चुका था लेकिन मैंने किसी को नहीं बताया. बताता तो उसकी पत्नी रोने-चिल्लाने लगती और ट्रेन के लोगों को भी परेशानी होती.
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खबर है कि रात साढ़े आठ बजे के आसपास बाकी यात्रियों को पता चला कि रामकुमार की मौत हो गई. उन्होंने लाश को ट्रेन से निकालने को कहा तब जाकर सुरेश ने रेलवे पुलिस को जानकारी दी. फिर शव को नीचे उतारा गया. रास्ते भर पत्नी को यही लगा कि रामकुमार सोया हुआ है.
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