भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने मंगलवार, 26 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र को संबोधित किया. अटकलें थीं कि इस संबोधन में एस जयशंकर भारत-कनाडा विवाद पर कुछ बड़ी बात बोल सकते हैं. हालांकि विदेश मंत्री ने संबोधन में कहीं भी निज्जर, खालिस्तान, कनाडा या जस्टिन ट्रूडो का जिक्र नहीं किया. लेकिन कहा ये जा रहा है कि उन्होंने नाम लिए बिना ही कनाडा और उसके प्रधानमंत्री को संदेश दे दिया है.
UN महासभा में एस जयशंकर ने बिना नाम लिए कनाडा को दिखाया आईना, क्या-क्या कहा?
संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि जब वास्तविकता बयानबाजी से दूर हो जाती है, तो हम में उसे सामने लाने का साहस होना चाहिए.
दरअसल, जयशंकर ने कहा कि सियासी सहूलियत के हिसाब से आतंकवाद, चरमपंथ और हिंसा पर एक्शन नहीं लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि अपनी सहूलियत के हिसाब से क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं हो सकता. भारतीय विदेश मंत्री ने ये भी कहा कि जब वास्तविकता बयानबाजी से दूर हो जाती है, तो हम में उसे सामने लाने का साहस होना चाहिए.
इस बयान पर ऐसा माना जा रहा है कि एस जयशंकर का इशारा कनाडा की ओर ही था. वहां के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने हाल ही में अपने देश की संसद में आरोप लगाया था कि खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट शामिल हो सकते हैं. ट्रूडो ने ये भी कहा था कि उनकी सरकार के पास इस हत्या के खुफिया सबूत हैं. भारत इन आरोपों को बेतुका बताते हुए खारिज कर चुका है.
अब संयुक्त राष्ट्र महासभा में एस जयशंकर ने कहा है,
"वो दिन चले गए, जब कुछ देश एजेंडा तय करते थे और दूसरों देशों से उसके हिसाब से चलने की उम्मीद करते थे."
उन्होंने आगे कहा,
"हालांकि, अभी भी कुछ देश ऐसे हैं जो एजेंडा को शेप देते हैं और नियमों गढ़ने की कोशिश करते हैं, लेकिन ऐसा हमेशा नहीं चल सकता."
एस जयशंकर ने कहा कि दुनिया इस वक्त उथल-पुथल का असाधारण दौर देख रही है. ऐसे हालात में असाधारण जिम्मेदारी की भावना के साथ भारत ने सफलतापूर्वक G20 की अध्यक्षता संभाली. उन्होंने कहा कि कूटनीति और बातचीत से ही तनाव घट सकते हैं.
जयशंकर ने कहा कि G20 समिट ने साबित कर दिया है कि दुनिया में ध्रुवीकरण के बीच कूटनीति और संवाद ही एकमात्र प्रभावी समाधान है. नई दिल्ली में हुए G20 सम्मेलन से जो कुछ हासिल हुआ उसकी गूंज आने वाले कई सालों तक सुनने को मिलेगी. उन्होंने कहा कि भारत कई साझेदारों के साथ सहयोग को बढ़ावा देना चाहता है.
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