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पुतिन का 'एशिया प्लान', इंडोनेशिया में बनाना चाहते हैं परमाणु बॉम्बर से लैस एयरबेस

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि Russia ने Indonesia से Papua में Biak Airbase के लिए संपर्क किया है. अगर ऐसा हुआ तो रूसी एयरफोर्स इस क्षेत्र में अपने लंबी दूरी के बॉम्बर जहाज तैनात कर सकती है. तो समझते हैं कि रूस को पापुआ में एयरबेस क्यों चाहिए? और इंडोनेशिया के अधिकारियों का इस पर क्या कहना है?

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रूसी के एक एयरबेस पर सैनिकों को संबोधित करते पुतिन (PHOTO- President of Russia)

आज के समय में समंदर में एयरक्राफ्ट कैरियर की मौजूदगी किसी देश की सामरिक ताकत को दर्शाती है. उसी तरह एयरबेस भी किसी देश की पहुंच को बताने का एक बड़ा मानक होते हैं. अमेरिका के एयरबेस पूरी दुनिया में फैले हुए हैं. ऐसे में अमेरिका के धुर विरोधी रूस की मंशा है कि दूसरे देशों में उसके एयरबेस हों जिससे वो अपने देश के अलावा दुनिया के बाकी हिस्सों पर भी निगरानी रख सके. रूस का प्लान है कि इंडोनेशिया के पापुआ में एक एयरबेस (Russian Air Base in Indonesia) बनाया जाए जिससे वो पूरे प्रशांत क्षेत्र (Pacific Region) पर नजर रख सके. 

रक्षा मामलों सेे जुड़ी वेबसाइट जेन्स की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रूस ने इंडोनेशिया से पापुआ प्रांत (Papua Indonesia) में स्थित एक एयरबेस के लिए संपर्क किया है. अगर ऐसा हुआ तो रूसी एयरफोर्स इस क्षेत्र में अपने लंबी दूरी के बॉम्बर जहाज तैनात कर सकती है. तो समझते हैं कि रूस को पापुआ में एयरबेस क्यों चाहिए? और इंडोनेशिया के अधिकारियों का इस पर क्या कहना है?

क्या चाहते हैं पुतिन?

ये बात किसी से छिपी नहीं है की शीत युद्ध के बाद भी अमेरिका और उसके सहयोगी रूस के मिलिट्री डेवलपमेंट्स पर नजर रखते हैं. ऐसा ही रूस भी करता है. ऐसे में जरूरी है कि प्रशांत के क्षेत्र पर नजर रखी जाए. इंडोनेशिया का पापुआ इसके लिए एकदम मुफीद है. रूस की राजधानी मॉस्को भले ही प्रशांत क्षेत्र से दूर हो, लेकिन इंडोनेशिया के बियाक टापू (Biak Island) की लोकेशन अमेरिका के गुआम मिलिट्री बेस (Guam Military Base) के काफी नजदीक है. गुआम मिलिट्री बेस से बियाक लगभग 1900 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. 

साथ ही ये ऑस्ट्रेलिया के डारविन में मौजूद मिलिट्री बेस से सिर्फ 1400 किलोमीटर दूर है. अगर रूस बियाक में अपना कोई सैन्य ठिकाना बनाता है तो उसे इन 2 अहम मिलिट्री ठिकानों पर निगरानी की सुविधा मिलेगी. रूस के पास लंबी दूरी के बॉम्बर विमान हैं जिनकी रेंज लगभग 10 हजार किलोमीटर है. यही वजह है कि अमरिका के रक्षा पार्टनर ऑस्ट्रेलिया ने इन ख़बरों पर चिंता जताई है.

लेकिन प्रशांत में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की रूस की ये इकलौती कोशिश नहीं है. 13 अप्रैल को रूस के तीन युद्धपोत बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह पहुंचे थे. इसके अलावा रूस ने म्यांमार में भी दिलचस्पी दिखाई है. रूस की ओर से म्यांमार को सैटेलाइट्स से मिली जानकारी साझा करने की पेशकश की गई है. ऑस्ट्रेलियाई समाचार एजेंसी ABC की रिपोर्ट के मुताबिक म्यांमार की सेना इसका इस्तेमाल विद्रोहियों से निपटने के लिए करेगी. हाल ही में म्यांमार के मिलिट्री जुंटा प्रमुख मिन आंग ह्लाइंग ने मॉस्को का दौरा भी किया था. इसके बाद रूस ने म्यांमार में एक ज्वाइंट सैटेलाइट इमेजरी एनालिसिस सेंटर भी बनाया है. 

ऑस्ट्रेलिया की चिंता?

जेन्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि मॉस्को ने कई लंबी दूरी के विमानों सहित रूसी एयरोस्पेस फोर्स के विमानों को बियाक स्थित एक फैसिलिटी में स्थापित करने की अनुमति के लिए जकार्ता के समक्ष आधिकारिक तौर पर रिक्वेस्ट की है. अमेरिका के रक्षा पार्टनर ऑस्ट्रेलिया को ये बात नागवार गुजरी क्योंकि इंडोनेशिया से उनके संबंध भी अच्छे हैं. लेकिन ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री और उप-प्रधानमंत्री रिचर्ड मार्लेस ने 15 अप्रैल को कहा कि उन्होंने अपने इंडोनेशियाई समकक्ष, सजाफ्री सजामसोएद्दीन से इन रिपोर्टों के बारे में बात की है. मार्लेस ने कहा

उन्होंने मुझसे स्पष्ट शब्दों में कहा कि इंडोनेशिया से रूसी विमानों के ऑपरेशन की रिपोर्ट्स बिल्कुल भी सच नहीं हैं.

वर्तमान स्थिति

बियाक एयरबेस फिलहाल इंडोनेशिया की एयरफोर्स के स्क्वाड्रन 27 का होम बेस है. यहां से फिलहाल CN235 टोही विमानों के बेड़े का संचालन होता है. अगर इंडोनेशिया को देखें उसने लंबे समय से एक ‘स्वतंत्र लेकिन सक्रिय’ विदेश नीति अपनाई हुई है. इंडोनेशिया शुरू से गुटनिरपेक्षता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर जोर देता रहा है.

बीते कुछ सालों में इंडोनेशिया ने अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और चीन के साथ सैन्य अभ्यास किया है. इसके अलाव नवंबर 2024 में, इंडोनेशिया और रूस ने जावा के तट पर अपना पहला नौसैनिक अभ्यास किया, जिसे रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण के बाद काफी आलोचना का सामना भी करना पड़ा था. इंडोनेशिया और रूस ने फरवरी में हुई द्विपक्षीय बैठक में अपने रक्षा संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया. यह बैठक दक्षिण-पूर्व एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था इंडोनेशिया को विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के ब्रिक्स ब्लॉक में फुल टाइम मेंबर के रूप में शामिल किए जाने के बाद हुई. दिलचस्प बात है कि ब्रिक्स संस्थापक सदस्यों में से रूस भी एक है.

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