आंकड़ों के हिसाब से देश में लगभग 1 करोड़ स्वयंसेवक हैं. KVIC के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि वो इस काम को लेकर लगभग 1,000 करोड़ रुपिये के बिज़नेस की बात सोच रहे हैं. इससे रोज़ के 100-150 कमाने वाले खादी बुनकर को बेहतर स्थिति में लाया जा सकेगा. विनय सक्सेना ने कहा कि वो संघ के बड़े लोगों से बातचीत कर रहे हैं. हालांकि अभी बात ही चल रही है और कुछ भी फाइनल नहीं हुआ है लेकिन इससे हाथ से खादी बुनने वाले बुनकरों को बहुत फ़ायदा पहुंचेगा.

Khadi fabric handloom
अगर ये डील फाइनल हो जाती है तो ऑर्डर बड़ा होने की वजह से सभी बुनकरों के काम करने के घंटे बढ़ेंगे और उन्हें ज़्यादा पैसे भी मिलेंगे. प्रधानमंत्री मोदी जी तो वैसे भी मेक इन इंडिया के पक्षधर हैं. उन्होंने अभी हाल ही में लोगों से हफ़्ते में कम से कम एक दिन खादी पहनने की भी अपील की है जिससे देश में खादी की खपत बढ़े और ऐसे बुनकरों को काम मिले.
KVIC का देश में 7,050 खादी की दुकानों का नेटवर्क है जो कि देश के सभी बड़े शहरों और जिलों में फैला हुआ है. साथ ही ये इन नई पैंटों को संघ के 'भंडारों' में स्वयंसेवकों तक पहुंचा दिया जायेगा.
KVIC ने कहा है कि वो खादी कपड़ों पर 3% की छूट दे सकती है और पैंटों पर तो 35% की छूट मिल सकती है. पैंटों की कीमत 350 रूपये से शुरू होगी और 600 रूपये तक मिलेगी.