राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने बीते शुक्रवार 7 अक्टूबर को कहा कि समाज के हित के लिए 'वर्ण' और 'जाति व्यवस्था' को खत्म किया जाना चाहिए.
'वर्ण और जाति व्यवस्था गुजरे जमाने की बात, इसे भुलाया जाए', RSS प्रमुख मोहन भागवत बोले
भागवत ने कहा कि सामाजिक समानता भारतीय परंपरा का हिस्सा है.
न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक एक बुक लॉन्च के मौके पर भागवत ने कहा,
'वर्ण और जाति के विचार को भुलाया जाना चाहिए. यदि आजकल कोई इस बारे में पूछता है तो समाज के हित में सोचने वाले लोगों को कहना चाहिए कि वर्ण और जाति व्यवस्था गुजरे जमाने की बात हो गई है और इसे भुलाया जाना चाहिए.'
इस दौरान RSS प्रमुख ने डॉ. मदन कुलकर्णी और डॉ. रेणुका बोकारे की किताब 'वज्रसुची तुंक' का हवाला दिया और कहा कि सामाजिक समानता भारतीय परंपरा का एक हिस्सा थी, लेकिन इसे भुला दिया गया और इसके हानिकारक परिणाम हुए हैं.
उन्होंने कहा, 'भेदभाव को जो भी कारण हैं, उन्हें खत्म कर दिया जाना चाहिए.' मोहन भागवत ने साथ में यह भी कहा कि पिछली पीढ़ियों ने कई गलतियां की है, भारत इसमें अपवाद नहीं है. उन्होंने कहा,
'उन गलतियों को स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए. और अगर आपको लगता है कि हमारे पूर्वजों ने गलतियां की हैं और वे हीन हो जाएंगे तो ऐसा नहीं होगा क्योंकि सभी के पूर्वजों ने गलतियां की हैं.'
इससे पहले विजयदश्मी के मौके पर बीते बुधवार 5 अक्टूबर को भागवत ने कहा था कि 'न तो आरएसएस और न ही हिंदुओं' की ये प्रवृत्ति है कि वे अल्पसंख्यकों को कोई नुकसान पहुंचाएं.
उन्होंने कहा था, 'अल्पसंख्यकों में ये डर बैठाया जा रहा है कि उन्हें हिंदुओं से खतरा है. ऐसा अतीत में नहीं हुआ है और न ही भविष्य में होगा. यह न तो संघ और न ही हिंदुओं की प्रवृत्ति है.'
भागवत ने कहा कि एक ऐसे हिंदू समाज की जरूरत है 'जो न डरे और न ही किसी को डराए'. उन्होंने कहा था,
'आत्मरक्षा हर उस व्यक्ति की जिम्मेदारीहै जो समाज में नफरत, अन्याय, अत्याचार के खिलाफ लड़ता है. न तो डरो और न ही डराओ. आज ऐसे हिंदू समाज की जरूरत है. यह किसी के खिलाफ नहीं है.'
भागवत ने दावा किया कि RSS भाईचारा और शांति बनाए रखना चाहता है.
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