न्यूज वेबसाइट द प्रिंट से बात करते हुए BKS के आयोजन सचिव दिनेश कुलकर्णी ने मोदी सरकार के फैसले पर अपनी राय रखी. कहा कि नए कृषि कानूनों को वापस लेने से लंबे वक्त में कहीं न कहीं किसानों को नुकसान ही होगा. दिनेश कुलकर्णी ने ये भी कहा,
"इन कानूनों में सुधार होने से किसानों को, खासकर छोटे और मध्यम किसानों को ज्यादा फायदा होता."फोटो: आजतक
कुलकर्णी का ये भी मानना है कि किसानों की असली समस्या बाजार में उनका शोषण है. द प्रिंट से बातचीत में उन्होंने कहा,
"लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य पर कानून बनाकर इसे (शोषण को) रोकने की जरूरत है."लेकिन दूसरी तरफ कुलकर्णी ने कानून वापस लेने के फैसले को सही भी बताया. उनके मुताबिक विवाद से बचने के लिए सरकार का ये फैसला सही ही है. दिनेश कुलकर्णी ने कहा,
"माननीय प्रधानमंत्री ने एमएसपी को और इफेक्टिव बनाने और इसके एक कमेटी गठित करने की बात की है. इसका स्वागत करते हुए भारतीय किसान संघ उनसे (यानी सरकार से) अपील करता है कि कमेटी में गैर-राजनीतिक संगठनों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करे."मोदी सरकार द्वारा पारित किए गए तीनों कृषि कानूनों का BKS ने समर्थन किया था. हालांकि उसने ये जरूर कहा था कि इन कानूनों में सुधार की जरूरत है. इस राय के साथ RSS के किसान संगठन ने तीनों कानूनों के खिलाफ शुरू हुए आंंदोलन में भाग लेने से इनकार कर दिया था.
जारी रहेगा आंदोलन
किसानों से जुड़े इन कानूनों को सितंबर 2020 में मंजूर किया गया था. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तीनों कानूनों के प्रस्ताव पर 27 सितंबर को दस्तखत किए थे. इसके बाद से ही किसान संगठनों ने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया था. दिल्ली-एनसीआर से सटी चारों सीमाओं शाहजहांपुर बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर और गाज़ीपुर बॉर्डर पर किसान पिछले एक साल से आंदोलन कर रहे हैं. और ये आंदोलन कानून वापस होने के ऐलान के बाद भी जारी रहेंगे. किसान नेताओं ने साफ कर दिया है कि सरकार पहले संसद में कानून रद्द करने की प्रक्रिया पूरी करे और किसानों से जुड़े दूसरे मुद्दों पर भी ध्यान दे, उसके बाद आंदोलन वापस लिया जाएगा.(ये स्टोरी हमारे यहां इंटर्नशिप कर रहीं आरुषि ने लिखी हैं.)