इस साल सिंतबर में नेशनल जियोग्राफिक की डॉक्यूमेंट्री टीम माउंट एवरेस्ट के उत्तरी भाग के नीचे सेंट्रल रोंगबुक ग्लेशियर पर थी. उनके सामने एक अचंभित कर देने वाला दृष्य था. पिघलती बर्फ से झांकता हुआ एक बूट. करीब जाने पर, इस बात में कोई संदेह नहीं रह गया कि ये दशकों पुराना एक फटा और घिसा हुआ चमड़ा था. और तलवे पर चढ़ाई के लिए उस जमाने के हीरे के पैटर्न वाले स्टील के हॉबनेल जड़े हुए थे. टीम के डायरेक्टर जिमी चिन ने जैसे उस अवशेष को उठाया उस पर लिखा हुआ था- A.C. IRVINE.
100 साल पहले एवरेस्ट पर गुम हुआ था शख्स, अब मिला तो क्या मिला?
एसी इरविन और जॉर्ज मैलोरी को आखिरी बार 8 जून, 1924 को देखा गया था, जब वे दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर पहुंचने वाले पहले व्यक्ति बनने की कोशिश कर रहे थे.
एंड्रयू कॉमिन इरविन प्रसिद्ध पर्वतारोही जॉर्ज मैलोरी के साथ 100 साल पहले गायब हो गए थे. अनुमान लगाया जा रहा है कि नेशनल जियोग्राफिक की टीम को जो अवशेष मिले वो इन्हीं इरविन के हैं. इरविन और मैलोरी को आखिरी बार 8 जून, 1924 को देखा गया था, जब वे दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर पहुंचने वाले पहले व्यक्ति बनने की कोशिश कर रहे थे. हालांकि इस बात का पता अब तक नहीं चला है कि दोनों एवरेस्ट तक पहुंच पाए थे या नहीं. अगर दोनों सफल हो जाते तो तेनजिंग नोर्गे और एडमंड हिलेरी की जगह एवरेस्ट की चोटि पर पहली बार कदम रखने वालों में इरविन और मैलोरी का नाम होता. तेनजिंग और हिलेरी ने इरविन के प्रयास के 29 साल बाद एवरेस्ट पर फतह हासिल की थी.
मैलोरी के अवशेष 1999 में मिले, लेकिन इरविन के बारे में कोई जानकारी अबतक नहीं मिली थी. ये पहला मौका है जब इरविन का कोई अवशेष मिला है. इस बात को पुख्ता करने के लिए उनके परिवार के सदस्यों का DNA टेस्ट कराया जा रहा है.
नेशनल जियोग्राफिक की रिपोर्ट के मुताबिक चिन ने सबसे पहले इरविन की सदस्य जूली समर्स को खबर दी. जूली रिश्ते में इवरिन की परपोती लगती है. उनकी उम्र 64 साल है. जूली ने 2001 में इरविन पर जीवनी लिखी थी और पर्वतारोहण में उनके योगदान को लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की. इरविन के अवशेष के बारे में जानकार जूली भावुक हैं. वह बूट के बारे में कहती है,
"यह एक ऐसी चीज़ है जो उनकी थी और इसमें उसका एक अंश है.यह पूरी कहानी बता सकता है कि संभवतः उस दौरान क्या हुआ था."
समर्स को संदेह है कि हिमस्खलन के कारण अवशेष पहाड़ से नीचे बह गए और ग्लेशियर में कहीं दब गए. समर्स ने कहा कि इस खोज ने 1999 में आई उस खबर की याद दिला दी जब मैलोरी का शव पर्वतारोही कॉनराड एंकर को मिला था. तब मैलोरी और इरविन रिसर्च एक्सपीडिशन चल रहा था, जिसका उद्देश्य यह पता लगाना था कि क्या दोनों वास्तव में शिखर पर पहुंचे थे. मैलोरी के अवशेषों की जांच करने पर रस्सी के गहरे निशान मिले जो शायद यह संकेत देते हैं कि गिरने के बाद उनकी कमर पर रस्सी बंधी हुई थी.जो यह संकेत देता है कि मैलोरी और इरविन अपने अंतिम क्षणों में एक साथ बंधे हुए थे.
मैलोरी के अवशेषों को खोजने से दोनों के बारे में काफी जानकारी मिली. लेकिन दो बड़े सवाल हैं जिनके उत्तर अभी भी नहीं मिले हैं. इरविन कहां थे? और क्या दोनों शिखर पर पहुंच गए थे? पर्वतारोही और इतिहासकारों ने लंबे समय से सोचा था कि पहले सवाल का जवाब देने से दूसरे के बारे में सुराग मिल सकते हैं. क्योंकि इरविन ही थे जिन्होंने अभियान के सदस्य हॉवर्ड सोमरवेल द्वारा उधार दिया गया कोडक वेस्ट पॉकेट कैमरा अपने पास रखा था. ऐसा माना जाता था कि कैमरे की फिल्म में उनकी सफलता का एकमात्र निर्णायक सबूत हो सकता है.
नेशनल जियोग्राफिक की रिपोर्ट के मुताबिक चिन कहते हैं कि बूट मिलने से कई दिन पहले सितंबर में टीम सेंट्रल रोंगबुक ग्लेशियर से उतर रही थी, तब उन्हें एक अलग कलाकृति मिली जिससे उनकी जिज्ञासा बढ़ी. वे कहते हैं,
"हमें एक ऑक्सीजन की बोतल मिली जिस पर 1933 की तारीख लिखी थी."
मैलोरी और इरविन के लापता होने के नौ साल बाद, 1933 का ब्रिटिश एवरेस्ट अभियान पहाड़ पर चढ़ने का चौथा प्रयास था. यह भी विफल रहा, लेकिन 1933 के अभियान के सदस्यों को एक बर्फ की कुल्हाड़ी मिली जो सैंडी इरविन की थी. हालांकि ये कुल्हाड़ी उस जगह से काफी नीचे मिली थी जहां मैलोरी के अवशेष पाए गए.
वीडियो: दुनियादारी: माउंट एवरेस्ट से छोटे पहाड़ K2 पर चढ़ना मौत के मुंह में जाने जैसा क्यों है?