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जम्मू-कश्मीर में अबतक चुनाव क्यों नहीं हुए, कब होंगे? मोदी सरकार ने SC में हर बात का जवाब दिया

जम्मू-कश्मीर से धारा-370 हटे चार साल हो गए, अब सुप्रीम कोर्ट ने पूछा तो सरकार ने बताया है चुनाव कब होंगे? ये भी कहा तीन चुनाव होंगे

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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव कब होंगे. (फाइल फोटो: PTI)

अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से धारा-370 हटाई गई थी. तब से अबतक चार साल हो गए लेकिन राज्य में चुनाव की कोई आहट नहीं दिख रही. इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछ लिया कि चुनाव कब कराए जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने इस बात का जवाब दिया है. बोले सरकार चुनाव के लिए तैयार है.

किस वजह से चुनाव में हो रही देर?

जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को हटाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में लगातार सुनवाई चल रही है. 29 अगस्त को हुई सुनवाई के दौरान CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने केंद्र सरकार से पूछा था कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव कब होंगे और पूर्ण राज्य का दर्जा कब वापस मिलेगा. इस पर सुनवाई के 13वें दिन 31 अगस्त को केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को जवाब दिया गया है. कहा है, 

"केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में किसी भी समय चुनाव के लिए तैयार है. अभी तक वोटर लिस्ट को अपडेट करने का काम चल रहा था- जो काफी हद तक खत्म हो चुका है. कुछ काम बाकी है, जो चुनाव आयोग कर रहा है."

कौन से तीन चुनाव होंगे? 

आजतक के संजय शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक तुषार मेहता ने आगे बताया कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव कब हों, ये राज्य चुनाव आयोग और केंद्रीय चुनाव आयोग तय करेगा. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच को SG तुषार मेहता ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में अभी तीन चुनाव होने हैं. पहली बार तीन स्तर वाली पंचायत राज व्यवस्था लागू की गई है. पहला चुनाव पंचायतों का होगा. फिर म्यूनिसिपैलिटी चुनाव होंगे और फिर विधानसभा चुनाव होंगे.

जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के बारे में सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि वो इस पर कोई निश्चित समय नहीं बता सकते हैं. हालांकि, उन्होंने साफ किया कि केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा अस्थायी है. केंद्र की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य बनाने के लिए विकास के काम हो रहे हैं.

SG ने क्षेत्र को स्थिर बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का भी हवाला दिया और 2019 से पहले की स्थिति बताई. उन्होंने जम्मू-कश्मीर में 2018 के हालात से तुलना करते हुए बताया कि पत्थरबाजी की घटनाओं में 97.2% की कमी आई है. सॉलिसिटर जनरल ने आतंकवादी घटनाओं में 45.2% की कमी और घुसपैठ के मामलों में 90.2% की कमी आने की जानकारी भी दी.

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