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राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के तुरंत बाद मोहन भागवत ने क्यों कहा, 'जोश में होश बनाए रखने...'

Ayodhya में Ram Mandir Pran Pratishtha समारोह के दौरान RSS प्रमुख Mohan bhagwat ने लोगों को संबोधित किया, उन्होंने राम मंदिर को लेकर लोगों को क्या बड़ी सलाह दी, रामराज्य पर भागवत क्या बोले?

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मोहन भागवत ने देश के लोगों को बड़ा संदेश दिया है | फोटो: ANI

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम संपन्न होने के बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat Speech) ने लोगों को संबोधित किया. उन्होंने देशवासियों को एक बड़ी सलाह दी है. साथ ही कुछ जिम्मेदारियां भी सौंपी हैं. PM नरेंद्र मोदी की भी जमकर तारीफ की. मोहन भागवत ने कहा, ‘आज अयोध्या में रामलला के साथ भारत का स्वर लौट आया है. पूरे विश्व को त्रासदी से राहत देने वाला एक नया भारत खड़ा होकर रहेगा. आज का कार्यक्रम इसी प्रतीक है.' उन्होंने और क्या-क्या कहा आइए जानते हैं.

#पीएम मोदी ने कठोर व्रत रखा था. मैं उन्हें पुराने समय से जानता हूं कि वह तपस्वी है. उन्हें जितना कठोर व्रत करने को कहा गया था, उन्होंने उससे ज्यादा कठोर व्रत किया है. 

#पीएम मोदी की तरह रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर हमको भी तप करना है.

#आज 500 वर्षों बाद रामलला यहां लौटे हैं और जिनके प्रयासों से हम आज का यह स्वर्ण दिन देख रहे हैं, उन्हें हम कोटि-कोटि नमन करते हैं.

#इस युग में रामलला के यहां वापस आने का इतिहास जो कोई भी श्रवण करेगा, उसके सारे दुख-दर्द मिट जाएंगे, इतना इस इतिहास में सामर्थ्य है.

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#अयोध्या में रामलला आए हैं, लेकिन वो अयोध्या से बाहर क्यों गए थे? अयोध्या उस पुरी का नाम है जिसमें कोई द्वंद नहीं, कोई कलह नहीं है. राम जी 14 वर्ष बाद वापस आए और कलह खत्म हुआ.

#जोश की बातों में होश की बातें करने का काम मुझे सौंपा जाता है. रामलला तो आ गए, अब रामराज्य लाने की जिम्मेदारी रामभक्तों की है.

#रामराज्य के सामान्य नागरिकों का जो वर्णन है, हम सब इस भारत देश की संतानें हैं. हमें सारी कलह को विदाई देनी पड़ेगी, छोटी-छोटी कलह को लेकर लड़ाई करने की आदत छोड़नी होगी.

#सभी सत्य, करुणा, सुचिता, अनुशासन और परोपकार के लिए आगे बढ़ें. अपने जीवन में लालच छोड़कर अनुशासन में रहने से रामराज्य आएगा.

#सब मिलकर चलेंगे और अपने देश को विश्व गुरु बनाएंगे. पांच सौ वर्ष के संघर्ष के बाद ये घड़ी आई है. आज के दिन जिन्होंने संघर्ष किया उन्हें याद करने का दिन है. उनका ये व्रत हमें आगे लेकर जाना है. जिस धर्म स्थापना को लेकर रामलला आए हैं, उनका आदेश सिर पर लेकर हम यहां से जाएं.

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