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अमेरिका से भारत की मांग, SFJ को घोषित करें आतंकी संगठन

भारत दौरे पर आईं हुई हैं अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से हुई मुलाकात में उनसे 'सिख फॉर जस्टिस' (Sikhs for Justice) संगठन पर कार्रवाई करने की मांग की गई.

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मोदी और राजनाथ से मिलीं तुलसी गबार्ड

भारत चाहता है कि अमेरिका सिख अलगाववादी संगठन 'सिख फॉर जस्टिस' (Sikhs for Justice) पर शिकंजा कसे. ये जानकारी अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड (Tulsi Gabbard) और देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) की मीटिंग से सामने आई. भारत ने ये मांग ऐसे वक्त पर की है जब अमेरिकी कोर्ट में एसएफजे से जुड़े आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू पर हमले को लेकर कुछ भारतीय जांच के दायरे में हैं. 

इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि राजनाथ सिंह ने अमेरिका से भारत को अस्थिर करने की साजिश रचने वाले इस अलगाववादी संगठन पर कार्रवाई करने की मांग की. उन्होंने कहा कि एसएफजे को आतंकवादी संगठन घोषित किया जाए. साथ ही मीटिंग में एसफजे के संबंध पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ होने की भी जानकारी दी गई. 

बता दें कि भारत ने साल 2019 में एसएफजे को आतंकी संगठन घोषित किया था. गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ हत्या की साजिश के अलावा कनाडा ने एक अन्य खालिस्तान आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर मढ़ा था. हालांकि, भारत ने निज्जर की हत्या के आरोपों को दृढ़ता से बार-बार खारिज किया है. साथ ही इन आरोपों को बेतुका और राजनीति से प्रेरित बताया है.

खालिस्तान आतंकवाद के अलावा राजनाथ और गबार्ड के बीच इस्लामी आतंकवाद के संकट को लेकर भी चर्चा हुई. मीटिंग के बाद जब पत्रकारों ने गबार्ड से पूछा कि ट्रम्प प्रशासन पाकिस्तान से भारत पर बार-बार होने वाले आतंकवादी हमलों को कैसे देखता है? इस पर उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प अपने पहले कार्यकाल से ही इस्लामी आतंकवाद को हराने के लिए अपनी प्रतिबद्धता के बारे में बहुत स्पष्ट रहे हैं. इस खतरे ने दुर्भाग्य से हमें काफी परेशान किया है और अभी भी अमेरिकी लोगों के लिए सीधा खतरा बना हुआ है.

गबार्ड ने कहा, 

हम देखते हैं कि यह भारत में,बांग्लादेश में और (वर्तमान में) सीरिया में, इज़राइल और मध्य पूर्व के विभिन्न देशों में लोगों को कैसे प्रभावित कर रहा है. ऐसे में यह एक ऐसा खतरा है जिसे मैं जानती हूं कि प्रधानमंत्री मोदी भी गंभीरता से लेते हैं. हमारे दोनों देशों के नेता इस खतरे की पहचान करने और उसे हराने के लिए मिलकर काम करेंगे. 

क्या है Sikhs for Justice संगठन?

राजनाथ सिंह ने जिस अलगाववादी संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) को गबार्ड से आतंकवादी संगठन घोषित करने को कहा है उसे गुरपतवंत सिंह पन्नू नाम का शख्स अमेरिका से ही चलाता है. सिखों को भड़काने के लिए उसका मुख्य माध्यम सोशल मीडिया है. यह संगठन भारत से स्वतंत्र ‘खालिस्तान’ नाम के अलग सिख देश की वकालत करता है. पन्नू ने साल 2007 में इसका गठन किया था. 80 के दशक में अलग खालिस्तान की मांग को लेकर हिंसक विद्रोह हुआ था. एसएफजे इस विद्रोह को फिर से जिंदा करने की कोशिश में लगा है

एसएफजे के संबंध पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से भी पाए गए हैं. इस संगठन की देश विरोधी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए हाल के दिनों में भारत ने कूटनीतिक के साथ-साथ कानूनी रास्ते भी अख्तियार किए हैं. कनाडा, अमेरिका और यूके जैसे देशों से भारत ने एसएफजे के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील की है, साथ ही इसे आतंकवादी संगठनों की लिस्ट में शामिल करने का भी आग्रह समय-समय पर किया है. वहीं, साल 2019 में भारत सरकार ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत एसएफजे पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके संस्थापक पन्नू को भी भारत ने आतंकवादी घोषित किया है. 

मोदी से गबार्ड की मुलाकात

राजनाथ सिंह के साथ मीटिंग के बाद गबार्ड ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की. दो महीनों में गबार्ड की प्रधानमंत्री के साथ यह दूसरी बैठक है. दोनों की मुलाकात फरवरी में हुई थी, जब मोदी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ द्विपक्षीय वार्ता के लिए वाशिंगटन में थे. मोदी और गबार्ड ने आतंकवाद व साइबर सुरक्षा जैसे खतरों से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर भी चर्चा की.

खुफिया अधिकारियों से मीटिंग

तुलसी गबार्ड ने रविवार को नई दिल्ली में खुफिया प्रमुखों के सम्मेलन में भी हिस्सा लिया था, जिसकी मेजबानी भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल, रॉ (रिसर्च ऐंड एनालिसिस विंग) प्रमुख रवि सिन्हा और आईबी निदेशक तपन डेका ने की थी. इसमें कनाडा के सीएसआईएस के प्रमुख डैनियल रोजर्स, ब्रिटेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जोनाथन पॉवेल और न्यूजीलैंड के खुफिया प्रमुख एंड्रयू हैम्पटन भी शामिल हुए. ये सभी फाइव आईज (Five Eyes) का हिस्सा हैं, जो अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड का intelligence-sharing alliance है.

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