
फिल्म 'रेड' का पोस्टर.
#2. इस फिल्म में अजय उत्तर प्रदेश के इनकम टैक्स के डिप्टी कमिश्नर अमय पटनायक के रोल में नज़र आएंगे. अमय बहुत ही जाबड़ अफसर है. इसलिए उसे खास तौर पर एक बड़े काम के लिए बुलाया गया है. वो बड़ा काम है एक ऐसे आदमी के घर छापामारी, जिससे पंगा लेने में पूरा महकमा घबराता है.

फिल्म के एक सीन में अजय देवगन.
#3. उस आदमी का नाम है रामेश्वर सिंह. इस किरदार को निभा रहे हैं सौरभ शुक्ला. 'इस घर में कोई सरकारी आदमी मच्छर मारने नहीं आ सकता. तुम रेड मारने आए हो'. रामेश्वर सिंह इसी डायलॉग से अमय पटनायक का स्वागत करते हैं. मतलब इस आदमी का इलाके में बहुत भौकाल है.

फिल्म के दो अलग-अलग दृश्यों में सौरभ शुक्ला.
#4. ट्रेलर की शुरुआत में ये बताया जाता है कि ये फिल्म असल घटनाओं से प्रेरित है. फिल्म में दिखाई जा रही छापेमारी साल 1981 में लखनऊ में घटती है. इसे सबसे लंबी छापेमारी भी कहा जाता है. लेकिन यहां एक झोल है. जहां तक असल घटनाओं से प्रेरित होने की बात है तो ये फिल्म दो अलग-अलग साल में, दो अलग-अलग जगहों पर घटी घटनाओं को मिलाकर बनाई हुई लगती है.
#5. ट्रेलर में छापेमारी का साल 1981 दिखाया जाता है. बिलकुल सही. लेकिन 1981 में जो रेड हुई थी उसकी डिटेल हम आपको बता रहे हैं.
इंडिया टुडे मैग्ज़ीन के मुताबिक 16 जुलाई, 1981 में कानपुर के मशहूर बिज़नेसमैन और कांग्रेस के पूर्व विधायक सरदार इंदर सिंह के घर रेड पड़ी. इस काम के लिए डिपार्टमेंट के 90 अनुभवी अफसरों को चुना गया था. पहले दिन की छापेमारी जब खत्म हुई, तब तक 1 करोड़ रुपए बरामद हो चुके थे. ये रकम नकद, सोने के बिस्कुट और गहनों को मिलाकर थी. अफसरों को तब तक ये अहसास हो गया था कि वो अब तक की सबसे सफल रेड में भाग ले रहे हैं. ये छापेमारी सिर्फ विधायक जी के स्वरूप नगर वाले घर पर ही नहीं बल्कि तिलक नगर, लाजपत नगर और आर्य नगर स्थित उनके घरों पर एक साथ पड़ रही थीं. साथ ही साथ दिल्ली और मसूरी के बैंकों में इंदर सिंह के अलग-अलग नामों से खोले गए खाते और लॉकर भी सील होने लगे थे. इतनी बड़ी रेड थी इसलिए अफसरों की सुरक्षा के लिए 200 पुलिवालों को भी लगाया गया था.

सरदार इंदर सिंह का कानपुर के स्वरूप नगर स्थित घर.
ये रेड रूकने का नाम ही नहीं ले रही थी. इंदर सिह के साथ उनके घरवालों पर भी छापे पड़ने शुरू हो गए. मतलब ये छापेमारी काफी लंबे समय (तकरीबन एक महीने से भी ज़्यादा) तक चलती रही. माल-असबाब इतना ज़्यादा था कि इनकम टैक्स के अफसरों की मदद के लिए रिज़र्व बैंक के लोकल ब्रांच से लोग मंगवाने पड़े. वहां से निकले पैसे गिनने के लिए एक अलग रूम में 45 लोगों को काम पर लगाया गया था. तब इसे गिनने में 18 घंटे लगे थे. गिनती के बाद ये रकम 1 करोड़ 60 लाख हुई थी. तकरीबन डेढ़ लाख रुपए के नोट खराब हो गए थे इसलिए उन्हें गिनती से बाहर रखा गया था. ये इनकम टैक्स की अब तक की सबसे लंबी रेड मानी जाती है. ये रेड बिल्कुल शांतिपूर्ण ढंग से पूरी हुई.

कानपुर के तत्कालीन इनकम टैक्स कमिश्नर शारदा प्रसाद पांडेय.(चश्मा पकड़े हुए).
#6. अब दूसरा केस जानिए:
14 सितंबर, 1989 की तारीख़ थी. उत्तर प्रदेश के 88 काबिल अफसरों को मेरठ बुलाया गया. सबको लगा वही रेगुलर रेड होगी. जबरदस्ती ताम-झाम बढ़ाया जा रहा है. सुबह 10:45 मिनट पर उन्हें सील लिफाफे सौंपे गए जिसमें रेड कहां और किसके घर पड़नी है, सारी डिटेल थी. लिफाफा खुला और दो बिज़नेसमैन के नाम सामने आए. स्टील और पेपर मिल मालिक हरीश छाबड़ा और गहनों के व्यापारी चितरंजन स्वरूप. 88 लोगों की रेड वाली टीम नौ टीमों में बंट गई और बिजनौर और मुजफ्फरनगर में छापेमारी शुरू हुई. उम्मीद थी कि दो करोड़ तक का माल सामने आएगा.
मुजफ्फरनगर में छाबड़ा के घर पहुंचे अफसरों का स्वागत गाली-गलौच से किया गया. राजनीतिक पहचान की धौंस भी दिखाई गई. कुछ फायदा ना होता देख सर्च वारंट के अनुसार घर की तलाशी शुरू हुई. लेकिन छाबड़ा ने गेम खेला और बाहर निकलकर अपने लोगों को आगाह कर दिया. कुछ ही देर में वहां बहुत सारे लोग जमा हो गए और सर्च करने वाली टीम से मारपीट शुरू हो गई. सर्च टीम की इतनी बुरी तरह से धुनाई हुई कि आधे अफसर अस्पताल पहुंच गए. जो लोग छाबड़ा की फैक्ट्री पहुंचे उन्हें नंगा करके पीटा गया. उन्हें वापस मेरठ जाने के लिए लोगों से पजामे उधार मांगने पड़े. यही हाल गहना व्यापारी स्वरूप के घर का भी था. देखने वाले बताते हैं कि वहां ऑफिसर्स को फुटबॉल की तरह फेंका जा रहा था. सभी टीमों के साथ चार पुलिस के जवानों को लगाया गया था. लेकिन जैसे ही ये चीज़ें शुरू हुईं वो सारे सिपाही भाग खड़े हुए.

फिल्म 'रेड' का एक सीन.
#7. फिल्म के ट्रेलर में दिखाए गए घटनाक्रम से यही अंदाज़ा लगता है कि फिल्म की कहानी यहां बताई दो रेड की घटनाओं से प्रेरित है. फिल्म में एक बहुत लंबी रेड का ज़िक्र है, जिसके दौरान हिंसा होती है.
#8. फिल्म में अजय देवगन के साथ इलियाना डी क्रूज़ भी दिखाई देंगी. इलियाना इस फिल्म में अजय की पत्नी का रोल करेंगी. फिल्म को डायरेक्ट किया है राजकुमार गुप्ता ने. राजकुमार इससे पहले 'घनचक्कर' (2013), 'नो वन किल्ड जेसिका' (2011), और 'आमिर' (2008) जैसी फिल्में डायरेक्ट कर चुके हैं. फिल्म को लिखा है रितेश शाह ने जो 'सिटीलाइट्स' (2014), 'एयरलिफ्ट' (2016), 'मदारी' (2016), 'पिंक' (2016) और 'डैडी' (2017) जैसी फिल्में लिख चुके हैं. प्रोड्यूस किया है टी-सीरीज़ और कुमार मंगत पाठक ने और म्यू़ज़िक है सचिन-जिगर का.

फिल्म के दो अलग-अलग दृश्यों में अजय़ और इलियाना.
फिल्म का ट्रेलर यहां देखिए:
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