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केंद्रीय मंत्री बैठे थे, इंडियन एक्सप्रेस के संपादक ने ऐसा क्या कहा जो विपक्ष वाले ताली पीटने लगे

राम नाथ गोएनका अवार्ड सेरेमनी में राज कमल झा की स्पीच वायरल.

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इंडियन एक्सप्रेस के एडिटर-इन-चीफ़ राजकमल झा (फोटो - यूट्यूब)

22 मार्च को दिल्ली में रामनाथ गोएंका अवॉर्ड्स समारोह था. पत्रकारों को अलग-अलग बीट्स के लिए, अलग-अलग माध्यमों की मानक पत्रकारिता के लिए अवॉर्ड्स दिए गए. इस मौक़े पर दो भाषणों की ख़ूब चर्चा है. पहला देश के चीफ़ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ का और दूसरा इंडियन एक्सप्रेस के प्रधान संपादक राजकमल झा की.

राजकमल ने सुप्रीम कोर्ट की अहमियत की बात की. पत्रकारों की आज़ादी की बात की. और, पत्रकारों की आज़ादी से लोकतंत्र पर क्या असर पड़ता है, उसकी बात की. भाषण के दौरान सुनने वालों में सूचना और दूरसंचार मंत्री अनुराग ठाकुर, भाजपा के वरिष्ठ नेता रवि शंकर प्रसाद भी बैठे थे. विपक्ष के नेता भी थे. AAP सांसद संजय सिंह, TMC सांसद डेरेक ओब्रायन समेत कांग्रेस के नेता भी मौजूद थे.

'हम ध्रुव तारे की तरफ़ कब मुड़ते हैं?'

भाषण की शुरुआत में ही राजकमल ने चुटकी ले ली. कहा,

"ये हमारा सौभाग्य है कि हमारे साथ माननीय चीफ़ जस्टिस मौजूद हैं. और, सीलबंद लिफ़ाफ़े में कुछ भी नहीं है. ये वोट ऑफ़ थैंक्स है, लेकिन हम जिस समय में रह रहे हैं, मैं कहना चाहता हूं कि कोई वोट नहीं होगा. यहां सिर्फ थैंक्स होगा."

यहां सीलबंद लिफ़ाफ़े वाली टिप्पणी का इशारा CJI के हालिया बयान पर था. हाल ही में CJI चंद्रचूड़ अदालत में दिए जाने वाले सीलबंद लिफ़ाफ़े के इस्तेमाल पर भड़क गए थे. OROP मामले में अटॉर्नी जनरल ने उन्हें सीलबंद लिफ़ाफ़ा दिया, तो उन्होंने लेने से इनकार कर दिया था.

आगे राजकमल ने आज़ाद मीडिया के लिए CJI के नज़रिए की तारीफ़ की और कहा कि सालों से सुप्रीम कोर्ट पत्रकारिता के लिए 'ध्रुव तारा' बना रहा है. CJI चंद्रचूड़ ने कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट के लिए इसी फ़्रेज़ का इस्तेमाल किया था: ध्रुव तारा.

"साल दर साल, केस दर केस, सुप्रीम कोर्ट की रोशनी ने पत्रकारों और पत्रकारिता के लिए राह रोशन की है. इसलिए जब रोशनी कम हो जाती है. जब एक रिपोर्टर को आतंकवादियों के लिए बने क़ानून के तहत गिरफ़्तार किया जाता है, जब दूसरे पत्रकार को सवाल पूछने के लिए गिरफ़्तार किया जाता है, जब एक विश्वविद्यालय के शिक्षक को कार्टून शेयर करने के लिए उठा लिया जाता है, एक कॉलेज के छात्र को एक भाषण देने के लिए, एक फ़िल्म स्टार को अपनी टिप्पणी के लिए या जब एक स्टोरी के बदले पुलिस FIR आती है- हम इसके रोशनी के लिए वापस इसी नॉर्थ स्टार की ओर मुड़ते हैं."

भाषण के अंत में उन्होंने पत्रकारों को नसीहत दी. कहा कि पत्रकारिता पत्रकारों के बारे में नहीं है, न ही केवल पत्रकारिता की आज़ादी के बारे में है. बल्कि पत्रकारिता हर नागरिक के जानने के अधिकार के बारे में है. हर नागरिक की आज़ादी के बारे में है.

वीडियो: सरकार के सीलबंद लिफाफे पर भड़के CJI DY चंद्रचूड़, मगर इसकी पूरी कहानी क्या है?