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यूट्यूब से सीखी हैकिंग, 21 साल के लड़के अमेरिकी सेना का खुफिया डेटा निकाल लिया, अधिकारी हैरान!

लड़के के पास से तीन मोबाइल फ़ोन, एक लैपटॉप, एक कम्प्यूटर, दो पेन ड्राइव और पांच हार्ड डिस्क बरामद की गई हैं, जिसे देखकर सेक्योरिटी एजेंसियां हैरान-परेशान हैं.

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पुलिस और IB की टीम ने आरोपी को घर से पकड़ा है. (फ़ोटो - X)

राजस्थान (Rajasthan) में BA सेकेंड ईयर के एक छात्र को दुनिया का ‘सबसे बड़ा हैकर’ बनना था. इस होड़ में उसने भारत सरकार और प्राइवेट सेक्टर का संवेदनशील डेटा 'डार्क वेब' (Dark Web) पर बेचा. राजस्थान पुलिस ने शनिवार, 25 फ़रवरी को उसे पकड़ लिया है और उसके पास से 4500 जीबी डेटा, 5 लाख आधार कार्ड और चार देशों की मिलिट्री का संवेदनशील डेटा बरामद किया गया है. दिल्ली से आई इंटेलिजेंस ब्यूरो की एक टीम और राजस्थान पुलिस उससे पूछताछ कर रही है.

गेमिंग से हैकिंग तक

दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, आरोपी का नाम अमित चंद है. उम्र, 21 साल. श्रीगंगानगर ज़िले के गांव-49(एफ़) का रहने वाला है. पिता दुबई में काम करते हैं. ऑनलाइन गेमिंग का शौक़ीन था. 2018 से ऑनलाइन गेम खेलता था. लत लग गई थी. इंटरनेट पर गेम्स के बारे में ढूंढ़ता-देखता था. वहीं से डार्क वेब और डीप वेब का पता चला. यूट्यूब से सीखता रहा. धीरे-धीरे सर्फ़िंग में इतना माहिर हो गया कि ऑनलाइन डेटा चुराकर टेलीग्राम चैनल के ज़रिए बेचने लगा.

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हैकर्स की दुनिया में इसे 'साइबर थ्रेट ऐक्टर' कहेंगे. वो डार्क वेब के बहुतेरे प्लैटफ़ॉर्म्स पर ऐक्टिव था. पुलिस की प्रारंभिक पूछताछ में सामने आया कि वो घर से ही ये नेटवर्क चलाता था, और कई टेलीग्राम चैनल्स के ज़रिए डेटा बेचता था. जब पुलिस उसके घर धमकी, तब भी वो एक टेलीग्राम चैनल पर अश्लील कॉन्टेंट अपलोड कर रहा था.

जांच एजेंसियां भी हैरान

पुलिस और ख़ुफ़िया एजेंसी को आरोपी अमित चंद के पास से तीन मोबाइल फ़ोन, एक लैपटॉप, एक कम्प्यूटर, दो पेन ड्राइव, पांच हार्ड डिस्क और कुछ अन्य सामान मिला है. पैसे बहुत नहीं मिले हैं. बस 23,700 रुपये कैश बरामद हुआ है. पुलिस सहित अलग-अलग जांच एजेंसियां उससे पूछताछ कर रही हैं, और बरामद किए गए डेटा को जांच रही हैं.

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पूछताछ में आरोपी ने बताया कि उसकी इच्छा सबसे बड़ा हैकर बनने की है.  डार्क वेब के ज़रिए उसने लगभग 5 लाख आधार कार्ड्स, आर्मी और अलग-अलग देशों का लगभग 4500 जीबी डेटा हासिल कर लिया और वो क्रिप्टो के बदले ये संवेदनशील डेटा बेच रहा था. हालांकि, जांच एजेंसी को शक है कि वो ये डेटा दुश्मन देश को बेच रहा था और ये सुरक्षा के लिए बड़ा ख़तरा हो सकता था.

पूरा डेटा एनालिसिस करने में कम से कम तीन से चार महीने लगेंगे. और, आरोपी के टेलीग्राम चैनल्स पर डेटा किसे बेचा? उन ख़रीदारों का पता लगाने की भी कोशिश चल रही है.