राजस्थान के झुंझुनू जिले में एक जिंदा शख्स को मृत घोषित किए जाने का मामला सामने आया है (Rajasthan Dead Man wakes Up). ये घटना जिले के सबसे बड़े अस्पताल की है. राजकीय भगवान दास खेतान जिला अस्पताल. 21 नवंबर को रोहिताश नाम के शख्स को यहां तबीयत खराब होने पर भर्ती कराया गया था. वो बोल और सुन भी नहीं सकते थे. अस्पताल में डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया, लेकिन वो जीवित थे. मामले को लेकर तीन डॉक्टरों को सस्पेंड कर दिया गया है.
चिता पर जाग उठा मृत घोषित किया जा चुका शख्स, अब 3 डॉक्टर सस्पेंड हुए हैं
अधिकारियों ने बताया कि अस्पताल में मृत घोषित किए जाने के बाद रोहिताश के शरीर को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा जाना चाहिए था लेकिन इसकी बजाय उन्हें दाह संस्कार के लिए छोड़ दिया गया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने बताया कि अस्पताल में मृत घोषित किए जाने के बाद रोहिताश के शरीर को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा जाना चाहिए था, लेकिन इसकी बजाय उन्हें दाह संस्कार के लिए छोड़ दिया गया. खबर है कि दाह संस्कार के दौरान चिता पर रोहिताश अचानक जाग गए. इसके बाद उन्हें BDK और फिर जयपुर के SMS अस्पताल ले जाया गया, जहां एक दिन बाद उनकी मौत हो गई. रोहिताश पिछले एक महीने से शेल्टर होम में रह रहे थे.
झुंझुनू के SP शरद चौधरी ने कहा,
21 नवंबर को रोहिताश की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल ले जाया गया. उनका कोई भी संबंधी नहीं था. डॉक्टरों को युवक का पोस्टमॉर्टम करना था लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया. डॉक्टरों ने सिर्फ कागजी औपचारिकताएं पूरी कीं और शख्स को दाह संस्कार के लिए भेज दिया. जब शव चिता पर रखा गया तो वो जाग गए.
जिला कलेक्टर रामअवतार मीणा ने बताया कि डॉक्टरों के आचरण को देखने के लिए एक समिति गठित की गई और अस्पताल के कामकाज को देखने के लिए एक अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट को नियुक्त किया गया है. उन्होंने कहा,
डॉक्टर योगेश झखर, नवनीत मील और संदीप प्रचार को घोर कदाचार के लिए निलंबित कर दिया गया है. उन्होंने पोस्टमॉर्टम नहीं किया और व्यक्ति को दाह संस्कार के लिए भेज दिया.
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जिला कलेक्टर ने मामले को लेकर चिकित्सा विभाग से जल्द ही रिपोर्ट मांगी है.
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