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महिला के अंडरगारमेंट्स उतारना 'बलात्कार का प्रयास' नहीं, राजस्थान हाई कोर्ट की टिप्पणी

Rajasthan High Court ने अपने फ़ैसले में कहा कि ये 'महिला के शील भंग करने' का अपराध है. इस तरह कोर्ट ने आरोपी के दोषसिद्धि और सज़ा में बदलाव कर दिया.

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जस्टिस अनूप कुमार ढांड की पीठ मामले की सुनवाई कर रही थी. (फ़ोटो - इंडिया टुडे)

राजस्थान हाई कोर्ट (Rajasthan High Court) ने एक मामले की सुनवाई में कहा कि किसी लड़की के 'अंडरगारमेंट्स उतारना' और लड़की के सामने 'ख़ुद के कपड़े उतारने' को 'बलात्कार की कोशिश' का अपराध नहीं माना जाएगा (Removing Girl's Innerwear and Undressing Oneself Not 'Attempt To Rape') . बल्कि ये 'महिला के शील भंग करने' का अपराध माना जाएगा. जस्टिस अनूप कुमार ढांड (Justice Anoop Kumar Dhand) की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी. ये कहते हुए पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि 'कोशिश' क्या होती है. पीठ ने 'बलात्कार करने की कोशिश' और 'अभद्र हमले करने' के बीच के अंतर (distinction between Attempt To Commit Rape and To Commit Indecent Assault) पर भी बात की.

कोर्ट ने कहा कि लड़की के 'अंतःवस्त्र उतारना' और 'ख़ुद के कपड़े उतारना' IPC की धारा 376 (बलात्कार के लिए सज़ा) के बजाए धारा 354 (महिलाओं से छेड़छाड़ एवं यौन उत्पीड़न) के तहत अपराध माना जाएगा. कोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया कि 'बलात्कार की कोशिश' के अपराध के लिए 3 चरणों को पूरा होना चाहिए. पहला- अपराध करने का इरादा, दूसरा-  उस अपराध को करने की दिशा में काम और तीसरा- काम अपराध की परिणति के काफी करीब होना. कोर्ट ने माना कि कोई भी ऐसा काम जो तैयारी के चरण को पार करने वाले ऐसे काम से कम हो, IPC की धारा 354 के तहत अभद्र हमला ही माना जाता है.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक़, कोर्ट का कहना है कि ये ऐसा कोई आरोप नहीं था कि आरोपी ने हमले की कोशिश की हो. 6 साल की बच्ची की तरफ़ से दायर याचिका के मुताबिक़ जब उसने शोर मचाया, तो आरोपी ने उसके और अपने दोनों के कपड़े उतार दिए और मौक़े से भाग गया.

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दो मामलों का ज़िक्र

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दो और मामलों का ज़िक्र किया. पहला मामला था सिट्टू बनाम राजस्थान राज्य का. इस मामले में लड़की को जबरन नग्न किया गया और आरोपी ने उसके प्रतिरोध के बावजूद उसके साथ यौन संबंध बनाने की कोशिश की गई. इस कृत्य को तैयारी के चरण को पार करने के रूप में देखा गया. साथ ही, इसे बलात्कार करने की कोशिश के रूप में माना गया.

वहीं, दूसरा मामला था दामोदर बेहरा बनाम उड़ीसा राज्य का. इसमें आरोपी पर आरोप लगाया गया था कि उसने विक्टिम की साड़ी उतार दी थी. लेकिन कुछ लोगों को देखकर वो भाग गया. इस कृत्य को बलात्कार करने की कोशिश के चरण तक पहुंचने के रूप में नहीं देखा गया, बल्कि IPC की धारा 354  के तहत एक अभद्र हमले की शर्तों को पूरा करने के रूप में देखा गया. इस तरह इन मामलों का ज़िक्र करते हुए कोर्ट ने आरोपी के दोषसिद्धि और सज़ा में बदलाव कर दिए.

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